देहरादून/पिथौरागढ़: प्रदेश सरकार छात्र संघ चुनाव कराने के पक्ष में दिखाई नहीं दे रही है, क्योंकि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कॉलेजों में परीक्षा और दाखिले कराना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में छात्र संघ चुनावों पर कोरोना का साया मंडराता हुआ दिख रहा है. छात्र नेताओं का कहना है कि जब सरकार थर्ड ईयर की परीक्षाएं करा सकती है तो सरकार छात्र संघ चुनाव कराने में क्यों हिचक रही है.
डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र नेता संजय चंद का कहना है कि जिस तरह से उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के बयान सामने आते रहते हैं. उसे देखते हुए सरकार छात्र संघ चुनावों को कराने के पक्ष में दिखाई नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार और यूजीसी ने गाइडलाइन जारी की है कि इस बार छात्रों से दाखिले के दौरान एडिशनल फीस नहीं ली जाएगी. इसके साथ ही छात्रों से गेम्स और स्टूडेंट यूनियन फीस भी नहीं ली जाएगी. ऐसे में अगर छात्रों से स्टूडेंट यूनियन फीस नहीं ली जाएगी तो छात्रसंघ आगे कैसे काम करेगा.
उन्होंने कहा कि यह अंदेशा है कि सरकार नहीं चाहती है कि इस बार छात्रसंघ चुनाव हों. उत्तराखंड में जिस तरह से कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है, उस समय सरकार परीक्षाएं आयोजित करा रही है, लेकिन छात्र संघ चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने हैं. ऐसे में हो सकता है कि कोरोना संक्रमण का प्रकोप इतना न रहे.
इस मामले में उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि कोरोना काल में सरकार की प्राथमिकता सुरक्षित परीक्षाएं और प्रवेश कराना है. फिलहाल, अभी चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं की जा रही है.
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परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग को लेकर छात्रों का अनशन दूसरे दिन भी जारी
उधर, कुमांऊ विवि की परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग को लेकर पिथौरागढ़ महाविद्यालय में छात्रसंघ की भूख हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. भूख हड़ताल पर बैठे छात्र संघ अध्यक्ष सीएम पांडे की तबीयत में गिरावट आ रही है. वहीं, अनशनकारी छात्रों का कहना है लंबे समय से आंदोलन करने के बावजूद सरकार और विश्व विद्यालय प्रशासन छात्रों की सुध नहीं ले रहा है.
छात्र संघ का कहना है सरकार युवाओं की जान के साथ खिलवाड़ करने पर तुली हुई है. छात्र संघ ने प्रदेश सरकार और कुमाऊं विवि से परीक्षाओं की तिथि बदलने की मांग की है. अनशनकारी छात्रों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तबतक भूख हड़ताल जारी रहेगी. जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी. बता दें, अपनी मांगों को लेकर छात्र संघ ने हफ्ते भर तक क्रमिक अनशन चलाया और अब उसे आमरण अनशन में तब्दील कर दिया है.