देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के खिलाफ दायर की गई याचिका को बीते दिन हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. जिसके बाद अब देवस्थानम बोर्ड चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने और चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने की कवायद में जुट गया है. कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब देवस्थानम बोर्ड में खाली पड़े सदस्यों के पदों को भरने की रणनीति भी बनाई जा रही है.
बोर्ड में प्रदेश के मुख्यमंत्री को बोर्ड का अध्यक्ष, धर्मस्व मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष और संबंधित क्षेत्रों के सांसद, विधायक और प्रमुख दानकर्ता को बोर्ड में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.
कब-कब, क्या हुआ
चारधाम समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर पिछले साल यानी 2019 में प्रस्ताव तैयार किया गया, जिसके बाद 27 नवंबर 2019 को सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जम्मू-कश्मीर में बने श्राइन एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड चारधाम बोर्ड विधेयक- 2019 को मंजूरी दे दी गई. इस विधेयक को 5 दिसंबर 2019 में हुए सत्र के दौरान सदन में पारित करा दिया गया. इसके बाद 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद एक्ट के रूप में प्रभावी हो गया. फिर 24 फरवरी 2020 को चारधाम देवस्थानम बोर्ड का सीईओ नियुक्त किया गया.
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80 साल पुराना अधिनियम हुआ निष्क्रिय
उत्तराखंड चारधाम यात्रा में वर्तमान समय में संचालित परंपरा करीब 80 साल पुरानी है. साल 1939 में बदरी-केदार मंदिर समिति के लिए अधिनियम लाया गया था, तब से लेकर अबतक बदरी-केदार मंदिर समिति का अधिनियम चल रहा था. जबकि यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के लिए कोई अधिनियम नहीं था, जिस वजह से यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा के संचालन के लिए अलग से व्यवस्था करनी पड़ती है. ऐसे में अब उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड प्रभावी होने के बाद से ही 80 साल से चली रही बदरी-केदार मंदिर समिति की परम्परा समाप्त हो गयी है.
कौन होंगे प्रतिनिधि
देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड में अभीतक 8 सदस्य नामित किये गए हैं, जिसमें बतौर अध्यक्ष मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उपाध्यक्ष धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव, वित्त सचिव अमित नेगी, पर्यटन धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी/सदस्य सचिव रविनाथ रमन शामिल हैं. इसके साथ ही दो विधानसभा सदस्य महेंद्र भट्ट और गोपाल सिंह रावत इस बोर्ड में अभी कार्यरत हैं. बोर्ड में अभी 3 सांसद, 4 विधानसभा सदस्य, टिहरी राज परिवार का सदस्य, टिहरी राजपरिवार से जुड़ा धार्मिक सदस्य को भी बोर्ड में सदस्य के रूप में नामित किया जाना है.
बोर्ड सीईओ रविनाथ रमन ने बताया कि चारधाम समेत अन्य मंदिर हैं उनके प्रतिनिधियों को बोर्ड में शामिल करने को लेकर राज्य सरकार विचार कर रही है.
मंदिरों के नाम ही रहेंगी भू-संपत्तियां
उत्तराखंड के कई जिलों सहित अन्य प्रांतों के कई स्थानों पर कुल 60 ऐसे स्थान हैं जहां पर बाबा केदारनाथ और बदरीनाथ के नाम भू-संपत्तियां दस्तावेजों में दर्ज हैं. हालांकि, इन संपत्तियों का रखरखाव अभी तक बदरी-केदार मंदिर समिति के पास था लेकिन अब बोर्ड बन जाने के बाद इन संपत्तियों का रखरखाव देवस्थानम बोर्ड करेगा.
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बोर्ड सीईओ रविनाथ रमन का कहना है कि हाईकोर्ट ने जो दिशा निर्देश दिए थे, उसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि जो मंदिर की संपत्ति है, वो मंदिर की ही रहेगी और बोर्ड भी इस बात को मानता है कि जो भू-संपत्तियां मंदिर के नाम हैं वह मंदिर के ही नाम रहेंगी. हालांकि, भू-संपत्तियों के मामले में बोर्ड का मकसद सिर्फ और सिर्फ उनका रखरखाव और संरक्षण करना है. इसको लेकर बोर्ड ने कवायद भी शुरू कर दी है.
इसी क्रम में चारधामों के जिलाधिकारियों से बातचीत की जा रही है. सभी से भू-संपत्तियों की पूरी जानकारियां उपलब्ध कराने को कहा गया है. रविनाथ रमन ने बताया कि अभी तक केदारनाथ और बदरीनाथ की भू-संपत्तियों की तमाम जानकारियां उपलब्ध हैं लेकिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की जानकारी उपलब्ध नहीं है.
वहीं श्री बदरीनाथ डिमरी धार्मिक पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि राज्य सरकार के पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला तो सुनाया है लेकिन राज्य सरकार को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी हाईकोर्ट के इस को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने जा रहे हैं. उनका कहना है कि अभी तक हिंदू धर्म से जुड़े मामलों पर जो भी फैसला हाईकोर्ट ने सुनाया हो, वह सुप्रीम कोर्ट में जाकर पलट गया है. हालांकि, हाईकोर्ट से रहने के बाद राज्य सरकार बोर्ड की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कवायद में जुटी हुई है लेकिन सरकार को एक बार फिर से विचार करना चाहिए, क्योंकि बीजेपी के ही भीतर देवस्थानम बोर्ड के गठन को लेकर विरोध है.
भू-संपत्तियों का ब्योरा-
- बदरीनाथ में मंदिर समिति के नाम 217 नाली और 3 मुखवा भू-संपत्ति दर्ज है.
- बदरीनाथ के माणा गांव में मंदिर समिति के नाम 133 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.
- मौजा बामणी राजस्व ग्राम में मंदिर समिति के नाम 239 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.
- जोशीमठ में मंदिर समिति के नाम 169 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.
- ग्राम अणीमठ में 43 नाली भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- अलियागढ़ (बसुली सेरा) राजस्व क्षेत्र में 186 नाली मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- पनेरगाव राजस्व क्षेत्र में 70 नाली भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- जनपद देहरादून के डोभालवाला क्षेत्र में 21.74 एकड़ भूमि नान जेड ए में मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 11020 वर्ग फीट भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- हसुवा फतेपुर में 5 बीघा भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.
- महाराष्ट्र के बुल्ढाना क्षेत्र में 17 एकड़ भूमि श्री बदरी नारायण संस्थान के नाम दर्ज है.
- श्री केदारनाथ धाम क्षेत्र में 41 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.
- ऊखीमठ क्षेत्र में 38 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.
- संसारी क्षेत्र में 28 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.
- 2019 में चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या
- यमुनोत्री धाम- 4,65,534
- गंगोत्री धाम- 5,30,334
- केदारनाथ धाम- 10,000,21
- बदरीनाथ धाम- 12,449,93
- साल 2020 में अभीतक 17,679 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. यमुनोत्री धाम में 366, गंगोत्री धाम में 2900, केदारनाथ धाम में 8047 और बदरीनाथ धाम में 6366 यात्री पहुंच चुके हैं.