देहरादून: भारतीय सेना से जब भी कोई जवान सेवानिवृत्त होकर घर लौटता है तो अपने साथ कई चौंकाने और दिल दहला देने वाली कहानियां भी लेकर आता है. हाल ही में लेफ्टिनेंट पद से सेवानिवृत्त हुए देहरादून के विजेंद्र थापा भी अपने साथ 30 साल के कार्यकाल से जुड़ी कई कहानियों को संजोकर लाए हैं. इन कहानियों को उन्होंने ईटीवी भारत के साथ साझा किया.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में लेफ्टिनेंट पद से सेवानिवृत्त हुए विजेंद्र थापा ने बताया कि वह 20 अप्रैल 1989 में भारतीय सेना का हिस्सा बने थे. ऐसे में इसी साल 20 अप्रैल को 30 साल की सेवाएं देने के बाद उन्हें सेवानिवृत्त होना था. लेकिन इसी साल मार्च महीने के दूसरे सप्ताह में पाकिस्तानी सेना के साथ चल रही मुठभेड़ में वह जख्मी हो गए और बाएं पैर की हड्डी टूटने के चलते उन्हें 20 अप्रैल से पहले ही सेना ने सेवानिवृत कर दिया.
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विजेंद्र थापा ने बताया कि अपने 30 साल के कार्यकाल में उन्होंने लगभग 15 साल जम्मू कश्मीर में बतौर सैनिक अपनी सेवाएं दी हैं. इस दौरान उन्होंने यह महसूस किया कि बीते 2 सालों में जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी सेना की ओर से सीजफायर के उल्लंघन की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं. जिस कश्मीर की कभी स्वर्ग से तुलना की जाती थी, उस कश्मीर घाटी से लगे पाकिस्तान सीमा से आए दिन गोला बारूद के फटने की गूंज सुनाई देती है.
पाकिस्तानी सेना के साथ हुई मुठभेड़ में अपने जख्मी होने की कहानी बयां करते हुए विजेंद्र थापा ने बताया कि उन्हें गर्व है कि भारतीय सेना से सेवानिवृत होने से पहले उन्हें भारत मां की रक्षा में अपना खून बहाने का मौका मिला. साथ ही देश और प्रदेश के युवाओं को सेना से जुड़ने का संदेश देते हुए उन्होंने बताया कि भारत में सेना से जुड़ने से बेहतर और कोई देश सेवा नहीं हो सकती.