देहरादून: स्पेशल टास्क फोर्स ने देर रात कार्रवाई करते हुए देहरादून के बसंत विहार के प्रगति विहार इलाके में फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. इस कॉल सेंटर के जरिए यूएस सीनियर सिटीजन को निशाना बनाया जाता था. छापेमारी के दौरान एसटीएफ ने 22 कम्प्यूटर, 4 लाख कैश रुपए जब्त करते हुए 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन की छानबीन कर रही है. वहीं, इस गिरोह का भंडाफोड़ करने वाली एसटीएफ टीम को डीजीपी अशोक कुमार ने 20 हजार रुपये नकद इनाम देने की घोषणा की है.
पीड़ितों को किस तरह से फंसाया जाता था?
एसटीएफ ने बताया कि देहरादून में एक ऐसा कॉल सेंटर संचालित हो रहा है, जो विदेशों में रहने वाले विशेषकर सीनियर सिटिजन और विकलांग सहित सेना से रिटायर अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाना बनाता था. ये फर्जी तरीके से उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर (SSN) प्राप्त कर उनकी व्यक्तिगत जानकारी (उनका पता, मोबाइल नम्बर, बैंक विवरण, व्यवसाय आदि) प्राप्त कर उन नम्बरों पर वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकटल (VOIP) करके पुलिस अधिकारी और लॉ इन्फोरसमेंट एजेंसी का अधिकारी बन कर उन्हें अलग-अलग प्रकार से डराकर उनकी जानकारी लेते थे.
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इसके अलावा कोरोना काल में उनकी बीमा पॉलिसी पर स्कीम व बोनस का लालच देकर उनको कुछ गिफ्ट कार्ड प्रदान कर उनमें कुछ धनराशि के निवेश के नाम पर धोखाधड़ी करके या उन लोगों को विश्वास में लेकर उनके गिफ्ट कार्ड की जानकारी हासिल कर सारी धनराशि अपने खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं. इस तरह डॉलर में रकम प्राप्त करके भारत में करोड़ों रुपये प्रतिमाह कमाते हैं.
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कैसे फंसे साइबर ठग
शिकायतकर्ता विदेश में होते हैं, वो शिकायत अपने देश में कराते हैं जो कि, भारत की लॉ इनफोर्समेन्ट एजेन्सियों तक नहीं आ पाती हैं. जिससे इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही थी. इस प्रकार कॉल सेन्टर भारत में केवल रात को ही संचालित होते हैं, क्योंकि अमेरिका एवं अन्य यूरापियों देशों में उस समय दिन होता है. सूचना के आधार पर साइबर पुलिस थाना और थाना बसन्त बिहार की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया. संयुक्त टीम द्वारा 14 जनवरी की देर रात में बसन्त विहार थाना क्षेत्र के अंतर्गत प्रगति विहार के पास फर्जी अन्तरराष्ट्रीय कॉल सेन्टर पर दबिश दी गयी, जोकि एक बहुमंजिला इमारत में संचालित हो रहा था. जिसमें मौके पर मौजूद कार्यरत कर्मचारियों से पूछताछ की गयी तो उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया. पुलिस ने मौके से दिल्ली निवासी दानिश, संदीप, नारायण, आयुष्मान और देहरादून निवासी अर्चित को गिरफ्तार किया. पुलिस ने नकद चार लाख चैतीस हजार के साथ 21 कंप्यूटर, 8 मोबाइल और तीन इंटरनेशनल घड़ियां भी बरामद की है.
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विदेश में रहने वाले लोगों का कैसे मिलता है डेटा
पूछताछ के दौरान गिरफ्त में आये आरोपियों ने बताया कि वे पहले दिल्ली में काम करते थे. वहां उनके सीनियर थे, जो कि दिल्ली और नोएडा में रहते हैं. उनके द्वारा प्रदान किये गये डेटाबेस के आधार पर हम लोग देहरादून से इस कॉल सेन्टर से संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले सीनियर सिटीजन एवं विकलांग व्यक्तियों को फोन करके उनके साथ इस प्रकार की धोखाधड़ी कर उनकी धनराशि अपने सीनियरों के खातों में ट्रान्सफर करवाते हैं.
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पकड़े गये आयुष्मान मल्होत्रा और अन्य से पूछताछ में जानकारी मिली कि उनके मुख्य सहयोगी उनको जो डेटाबेस उपलब्ध कराते हैं, जिस पर उनको एक निर्धारित लक्ष्य दिया जाता है जो कि, उनको पूरा करना होता है. जिस पर कार्य करने पर उनको एक निर्धारित वेतन व कमीशन दिया जाता है. अपने मुख्य सहयोगियों से वो लोग व्हाटसअप ग्रुप के माध्यम से जुडे हैं. जिसके माध्यम से उनको डेटाबेस, स्क्रिप्ट व आडियो मिलते हैं कि, उनको किस प्रकार से लोगों से बात करनी है. आरोपियों ने कई करोड़ रुपयों की धनराशि का अवैध लेनदेन किया है.
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एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि भविष्य में दिल्ली में रहने वाले आरोपियों द्वारा घटना के अन्य मास्टरमाइंड द्वारा संचालित किये जा रहे पूरे गिरोह का भी भंडाफोड़ हो सकता है. घटना के सम्बन्ध में थाना वसन्त विहार पर विभिन्न धाराओं में मुकद्दमा दर्ज किया गया है. कार्रवाई के दौरान पाया गया कि, कॉल सेन्टर की विभिन्न दीवारों पर लगी तीन दीवार घड़ियों पर अलग-अलग समय प्रदर्शित हो रहा था, जिससे साफ था कि घड़ियों में जो समय प्रदर्शित हो रहा था, वह अलग-अलग देशों का टाइम जोन देखने के लिए प्रयोग की जा रही थी.