देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन के 19 साल बाद अब अनुपयोगी अधिनियमों को रद्द करने की कवायद तेज हो गई है. राज्य विधि आयोग ने अबतक अनुपयोगी 23 अधिनियम को रद्द कर दिया है. उम्मीद है कि आने वाले 2 सालों में प्रदेश में लागू तमाम अनुपयोगी एक्ट रद्द किये जाएंगे.
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष और पूर्व न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने बताया कि उत्तराखंड में लागू सभी अधिनियमों की किताब बनकर आयी है. जिसमें ए से एम तक सभी एक्ट शामिल हैं. जबकि बाकी एम से जेड तक के जितने भी एक्ट हैं, उसकी किताब को तैयार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन अधिनियमों में से अभी तक 23 अनुपयोगी अधिनियम छांटे गए हैं, जिन्हें रद्द किया जाना है.
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साथ ही उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे अन्य अधिनियमों की किताब आती रहेगी, उसमें से अनुपयोगी एक्ट को रद्द किया जाएगा. उन्होंने बताया कि साल 2021 तक सभी अनुपयोगी एक्ट को रद्द कर दिया जाएगा. जिसके बाद उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में जो नए कानून बनने हैं, वो बनने शुरू हो जाएंगे.
जल्द लागू होगा उत्तराखंड रेंट कंट्रोल एक्ट
राजेश टंडन के अनुसार उत्तराखंड राज्य में अभी तक उत्तरप्रदेश रेंट एक्ट लागू है. लेकिन अभी मॉडल एक्ट जो सेंट्रल एक्ट में बन रहा है, वह अगस्त महीने में पास हो जाएगा. जिसमें मकान मालिकों को तमाम सुविधा देने का प्रावधान है. इस एक्ट के आते ही उत्तराखंड राज्य में अलग से रेंट कंट्रोल एक्ट लागू किया जाएगा. जिससे मकान मलिकों को तमाम तरह की सुविधाएं मिल पाएंगी.
राजेश टंडन बताते हैं कि उत्तराखंड में बेनामी ट्रांजेक्शंस एक्ट का पूरा पावर मुख्यमंत्री को दिया जाएगा. जिससे बेनामी संपत्ति के मामलों का निपटारा हो सके.
जल्द लागू हो सकता है एंटीसिपेटरी बेल एक्ट
उन्होंने बताया कि एंटीसिपेटरी बेल का सुझाव भी दिया गया है. यह एक्ट 1975 में इमरजेंसी के समय डिलीट हो गया था. जिसके बाद उत्तरप्रदेश में फिर से लागू किया गया है. जिसके बाद राज्य विधि आयोग से उत्तराखंड में भी एंटीसिपेटरी बेल को फिर से लागू करने के लिए संस्तुति दे दी गई है.
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में सेंट्रल एक्ट है, इसलिए यहां एंटीसिपेटरी बेल एक्ट लागू करने के लिए राष्ट्रपति की संस्तुति लेनी होगी. जिसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया हुआ है, ताकि कैबिनेट से पास होकर उत्तराखंड में लागू हो सके.
जम्मू-कश्मीर में साइन एक्ट की तर्ज पर बने चारधाम एक्ट
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष टंडन ने बताया कि आयोग ने राज्य सरकार को साइन एक्ट से संबंधित प्रपोजल भी भेजा है. जिसमें जम्मू-कश्मीर में बने साइन एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड के चारधाम में भी चारधाम एक्ट बनाया जा सके. जिससे राज्य सरकार को अच्छा राज्स्व मिलेगा.