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राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष ने Etv भारत से की खास बात, कहा- 2021 तक अनुपयोगी एक्ट हो जाएंगे रद्द

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Published : Aug 1, 2019, 9:04 PM IST

साल 2021 तक सभी अनुपयोगी एक्ट को रद्द कर दिया जाएगा. राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष राजेश टंडन ने बताया कि राज्य सरकार को साइन एक्ट से संबंधित प्रपोजल भी भेजा है. जिसमें जम्मू-कश्मीर में बने साइन एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड के चारधाम में भी चारधाम एक्ट बनाया जा सके.

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष और पूर्व न्यायमूर्ति राजेश टंडन

देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन के 19 साल बाद अब अनुपयोगी अधिनियमों को रद्द करने की कवायद तेज हो गई है. राज्य विधि आयोग ने अबतक अनुपयोगी 23 अधिनियम को रद्द कर दिया है. उम्मीद है कि आने वाले 2 सालों में प्रदेश में लागू तमाम अनुपयोगी एक्ट रद्द किये जाएंगे.

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष से खास बातचीत

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष और पूर्व न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने बताया कि उत्तराखंड में लागू सभी अधिनियमों की किताब बनकर आयी है. जिसमें ए से एम तक सभी एक्ट शामिल हैं. जबकि बाकी एम से जेड तक के जितने भी एक्ट हैं, उसकी किताब को तैयार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन अधिनियमों में से अभी तक 23 अनुपयोगी अधिनियम छांटे गए हैं, जिन्हें रद्द किया जाना है.

पढे़ं- देहरादून: विक्रमों के रंग पर खड़ा हुआ विवाद, अधिकारी करेंगे अब ये काम

साथ ही उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे अन्य अधिनियमों की किताब आती रहेगी, उसमें से अनुपयोगी एक्ट को रद्द किया जाएगा. उन्होंने बताया कि साल 2021 तक सभी अनुपयोगी एक्ट को रद्द कर दिया जाएगा. जिसके बाद उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में जो नए कानून बनने हैं, वो बनने शुरू हो जाएंगे.

जल्द लागू होगा उत्तराखंड रेंट कंट्रोल एक्ट

राजेश टंडन के अनुसार उत्तराखंड राज्य में अभी तक उत्तरप्रदेश रेंट एक्ट लागू है. लेकिन अभी मॉडल एक्ट जो सेंट्रल एक्ट में बन रहा है, वह अगस्त महीने में पास हो जाएगा. जिसमें मकान मालिकों को तमाम सुविधा देने का प्रावधान है. इस एक्ट के आते ही उत्तराखंड राज्य में अलग से रेंट कंट्रोल एक्ट लागू किया जाएगा. जिससे मकान मलिकों को तमाम तरह की सुविधाएं मिल पाएंगी.

राजेश टंडन बताते हैं कि उत्तराखंड में बेनामी ट्रांजेक्शंस एक्ट का पूरा पावर मुख्यमंत्री को दिया जाएगा. जिससे बेनामी संपत्ति के मामलों का निपटारा हो सके.

जल्द लागू हो सकता है एंटीसिपेटरी बेल एक्ट

उन्होंने बताया कि एंटीसिपेटरी बेल का सुझाव भी दिया गया है. यह एक्ट 1975 में इमरजेंसी के समय डिलीट हो गया था. जिसके बाद उत्तरप्रदेश में फिर से लागू किया गया है. जिसके बाद राज्य विधि आयोग से उत्तराखंड में भी एंटीसिपेटरी बेल को फिर से लागू करने के लिए संस्तुति दे दी गई है.

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में सेंट्रल एक्ट है, इसलिए यहां एंटीसिपेटरी बेल एक्ट लागू करने के लिए राष्ट्रपति की संस्तुति लेनी होगी. जिसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया हुआ है, ताकि कैबिनेट से पास होकर उत्तराखंड में लागू हो सके.

जम्मू-कश्मीर में साइन एक्ट की तर्ज पर बने चारधाम एक्ट
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष टंडन ने बताया कि आयोग ने राज्य सरकार को साइन एक्ट से संबंधित प्रपोजल भी भेजा है. जिसमें जम्मू-कश्मीर में बने साइन एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड के चारधाम में भी चारधाम एक्ट बनाया जा सके. जिससे राज्य सरकार को अच्छा राज्स्व मिलेगा.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन के 19 साल बाद अब अनुपयोगी अधिनियमों को रद्द करने की कवायद तेज हो गई है. राज्य विधि आयोग ने अबतक अनुपयोगी 23 अधिनियम को रद्द कर दिया है. उम्मीद है कि आने वाले 2 सालों में प्रदेश में लागू तमाम अनुपयोगी एक्ट रद्द किये जाएंगे.

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष से खास बातचीत

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष और पूर्व न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने बताया कि उत्तराखंड में लागू सभी अधिनियमों की किताब बनकर आयी है. जिसमें ए से एम तक सभी एक्ट शामिल हैं. जबकि बाकी एम से जेड तक के जितने भी एक्ट हैं, उसकी किताब को तैयार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन अधिनियमों में से अभी तक 23 अनुपयोगी अधिनियम छांटे गए हैं, जिन्हें रद्द किया जाना है.

पढे़ं- देहरादून: विक्रमों के रंग पर खड़ा हुआ विवाद, अधिकारी करेंगे अब ये काम

साथ ही उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे अन्य अधिनियमों की किताब आती रहेगी, उसमें से अनुपयोगी एक्ट को रद्द किया जाएगा. उन्होंने बताया कि साल 2021 तक सभी अनुपयोगी एक्ट को रद्द कर दिया जाएगा. जिसके बाद उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में जो नए कानून बनने हैं, वो बनने शुरू हो जाएंगे.

जल्द लागू होगा उत्तराखंड रेंट कंट्रोल एक्ट

राजेश टंडन के अनुसार उत्तराखंड राज्य में अभी तक उत्तरप्रदेश रेंट एक्ट लागू है. लेकिन अभी मॉडल एक्ट जो सेंट्रल एक्ट में बन रहा है, वह अगस्त महीने में पास हो जाएगा. जिसमें मकान मालिकों को तमाम सुविधा देने का प्रावधान है. इस एक्ट के आते ही उत्तराखंड राज्य में अलग से रेंट कंट्रोल एक्ट लागू किया जाएगा. जिससे मकान मलिकों को तमाम तरह की सुविधाएं मिल पाएंगी.

राजेश टंडन बताते हैं कि उत्तराखंड में बेनामी ट्रांजेक्शंस एक्ट का पूरा पावर मुख्यमंत्री को दिया जाएगा. जिससे बेनामी संपत्ति के मामलों का निपटारा हो सके.

जल्द लागू हो सकता है एंटीसिपेटरी बेल एक्ट

उन्होंने बताया कि एंटीसिपेटरी बेल का सुझाव भी दिया गया है. यह एक्ट 1975 में इमरजेंसी के समय डिलीट हो गया था. जिसके बाद उत्तरप्रदेश में फिर से लागू किया गया है. जिसके बाद राज्य विधि आयोग से उत्तराखंड में भी एंटीसिपेटरी बेल को फिर से लागू करने के लिए संस्तुति दे दी गई है.

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में सेंट्रल एक्ट है, इसलिए यहां एंटीसिपेटरी बेल एक्ट लागू करने के लिए राष्ट्रपति की संस्तुति लेनी होगी. जिसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया हुआ है, ताकि कैबिनेट से पास होकर उत्तराखंड में लागू हो सके.

जम्मू-कश्मीर में साइन एक्ट की तर्ज पर बने चारधाम एक्ट
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष टंडन ने बताया कि आयोग ने राज्य सरकार को साइन एक्ट से संबंधित प्रपोजल भी भेजा है. जिसमें जम्मू-कश्मीर में बने साइन एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड के चारधाम में भी चारधाम एक्ट बनाया जा सके. जिससे राज्य सरकार को अच्छा राज्स्व मिलेगा.

Intro:उत्तराखंड राज्य बनने के 19 साल होने को है और अब राज्य सरकार, प्रदेश में लागू अनुपयोगी अधिनियमो को रद्द करने की कवायद तेज कर दी है। हालांकि राज्य विधि आयोग ने अभी तक अनुपयोगी 23 अधिनियम को रद्द कर चुकी है इसे साथ ही उत्तरप्रदेश से एडॉप्ट हुई सभी अधिनियम की छटाई जारी है। लिहाज राज्य विधि आयोग अनुपयोगी अधिनियम को रद्द करने के साथ ही तमाम नए अधिनियम और कुछ अधिनियमो में संशोधन करने की कवायत भी तेज कर दी है। लिहाजा उम्मीद है आने वाले 2 सालों में प्रदेश में लागू तमाम अनुपयोगी एक्ट को रद्द कर कुछ नए एक्ट राज्य में लागू कर दिया जाएगा। हालांकि मुख्य रूप से राज्य विधि आयोग का किस-किस एक्ट पर फोकस रहने वाला है? देखिए ईटीवी भारत की खाश रिपोर्ट....


Body:2021 तक रद्द हो जाएंगे सभी अनुपयोगी अधिनियम.....

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष राजेश टंडन ने बताया कि उत्तराखंड में लागू सभी अधिनियम की किताब बन कर आयी है, जिसमें a से m तक जितने भी एक्ट हैं उसे रखे गए हैं बाकी m से z तक के जितने भी एक्ट हैं उसका किताब तैयार किया जा रहा है। और इन अधिनियमो में से अभी तक अनुपयोगी 23 अधिनियम छाटे गए हैं। जो रद्द करने योग्य है। साथ ही जैसे-जैसे अन्य अधिनियमो की किताब आती रहेगी उसमें से अनुपयोगी एक्ट को रद्द की जाएगी। साथ ही कहा कि साल 2021 तक सभी अनुपयोगी एक्ट को रद्द कर दिया जाएगा। और फिर जो उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में जो नए कानून बनने है वो बनने शुरू हो जाएंगे। 

जल्द होगा उत्तराखंड रेंट कंट्रोल एक्ट लागू.....

उत्तराखंड राज्य में अभी तक उत्तरप्रदेश रेंट एक्ट लागू है लेकिन अभी मॉडल एक्ट जो सेंट्रल एक्ट में बन रहा है, वह अगस्त महीने में पास हो जाएगा। जिसमे मकान मालिकों को तमाम सुविधा देने का प्रावधान है। ये एक्ट आते ही उत्तराखंड राज्य में अलग से उत्तराखंड रेंट कंट्रोल एक्ट बनाकर यह लागू किया जाएगा। जिससे यहाँ के मकान मलिकों को तमाम तरह की सुविधाएं मिल पाएगी। 

बेनामी संपत्ति एक्ट में संसोधन....

बेनामी ट्रांजेक्शंस एक्ट को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कोशिश कर रहे है कि मॉडल एक्ट जो सेंट्रल एक्ट का है उसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी बेनामी ट्रांजेक्शंस एक्ट में जितने भी संसोधन हो सकते है उसे किया जा सके। साथ ही बताया कि उनकी कोशिश है कि बेनामी संपत्ति एक्ट का पूरा पॉवर मुख्यमंत्री को दिया जा सके जिससे मुख्यमंत्री कुछ भी रोक क्षेक कर सके। ताकि बेनामी संपत्ति का जितना भी सौदा है वह उत्तराखंड में बंद हो सके। साथ ही आयकर विभाग समेत जितने भी विभाग है उनको मॉडल एक्ट और सेंट्रल एक्ट है उसमें धारा 20 के तहत कोशिश है कि उत्तराखंड में नया एक्ट बन जाए, साथ ही उत्तराखंड में जितने भी एक्ट है उसमें संसोधन हो जाये और बेनामी ट्रांजेक्शंस एक्ट पूरी तरह से प्राइवेट हो जाये। 

जल्द लागू हो सकता है एंटीसिपेटरी बेल एक्ट.....

इसके साथ ही एंटीसिपेटरी बेल का सुझाव दिया गया है क्योकि यह एक्ट 1975 में इमरजेंसी के समय डिलीट हो गया था। जिसके बाद उत्तरप्रदेश में फिर से लागू हो चुका है। इसलिए राज्य विधि आयोग से उत्तराखंड राज्य में भी एंटीसिपेटरी बेल को फिर से लागू करने के लिए संस्तुति दे दी गई .है। और उत्तरप्रदेश में एंटीसिपेटरी बेल फिर से लागू होने के लिए राष्ट्रपति की संस्तुति हो चुकी है। साथ ही बताया कि उत्तराखंड में सेंट्रल एक्ट है, इसलिए यहाँ एंटीसिपेटरी बेल एक्ट लागू करने के लिए राष्ट्रपति की संस्तुति लेनी होगी। इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया हुआ है कि कैबिनेट से पास होकर उत्तराखंड में लागू हो सके। जिससे राज्य सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। 

जम्मू-काश्मीर के साइन एक्ट की तर्ज पर चारधाम में बने एक्ट......

राज्य विधि आयोग ने राज्य सरकार को साइन एक्ट से संबंधित प्रपोजल भेजा है जिसमें जम्मू-कश्मीर में बने साइन एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड के चारधाम में भी साइन एक्ट बनाया जा सके, जिससे राज्य सरकार को अच्छा रिवेन्यू मिलेगा। साथी बताया कि हमारी कोशिश है यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ, इन चारों धामों को मिलाकर "चारधाम एक्ट" के नाम से बना दिया जाए। इससे ना सिर्फ राज्य सरकार को फायदा होगा बल्कि स्थानीय निवासियों को भी अच्छा खासा फायदा होगा। 



Conclusion:
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