देहरादून: स्मार्ट सिटी की जद में आए कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक के इतिहास और संरक्षण के साथ उसके सम्मान को बचाने के लिए राज्य आंदोलनकारियों ने एक बैठक की. बैठक में निर्णय लिया गया कि शहीद स्मारक जैसी पवित्र धरोहर को बचाने के लिए सभी एकजुट होकर अपनी आहुति देने को तैयार हैं.
बता दें कि कुछ दिनों से राज्य आंदोलनकारियों के बीच में यह चर्चा है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत स्मार्ट कलेक्ट्रेट भवन आदि के निर्माण के लिए शहीद स्मारक पर भी असर पड़ सकता है. इसी संदर्भ में राज्य आंदोलनकारियों ने एक बैठक की, जिसमें सभी राज्य आंदोलनकारियों ने एक स्वर में कहा कि स्मार्ट सिटी की आड़ में शहीद स्मारक को क्षति नहीं पहुंचाने देंगे. इसके लिए इस पवित्र धरोहर को बचाने के लिए सभी राज्य आंदोलनकारी संघर्षरत रहेंगे.
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वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी अध्यक्ष सुशीला बलूनी ने कहा कि 1994 में भूख हड़ताल करके राज्य निर्माण की लड़ाई की शुरुआत की गई थी. ऐसे में शहीद स्मारक को बचाने के लिए सभी को आगे बढ़कर संघर्ष करना होगा. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि यह हमारी धरोहर है. सरकार और शासन को आगे बढ़कर शहीद स्मारक का संरक्षण करने के साथ ही संवारना चाहिए.
बैठक में राज्य आंदोलनकारियों ने प्रस्ताव पास किये गये जिसमें कई फैसले लिए गए. राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि जिस प्रकार ऋषिकेश में अधिकारियों ने धोखे में रखकर शहीद स्मारक को तोड़ा, उसकी सभी ने एक स्वर में निंदा करते हैं. यदि कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक को क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई तो सभी राज्य आंदोलनकारी 1994 की तर्ज पर आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे. शहीद स्मारक संरक्षण के लिए जिलाधिकारी व मुख्य सचिव से शिष्टमंडल की तरफ से वार्ता की जाएगी.