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पापियों के पाप धोता है ये झरना, शरीर पर एक बूंद पड़ने मात्र से ही इंसान हो जाता है निरोगी - उत्तराखंड वसुधारा झरना

मान्यता है कि मां गंगा में स्नान मात्र से ही सभी के पाप धुल जाते हैं, लेकिन शायद ही किसी को जानकारी होगी कि देवभूमि में एक ऐसा झरना भी मौजूद है कि जिसकी एक बूंद शरीर पर पड़ने मात्र से सभी पाप धुल जाते हैं.

देवभूमि का पवित्र झरना
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Published : Aug 28, 2019, 9:43 AM IST

Updated : Aug 28, 2019, 9:22 PM IST

देहरादून: यूं तो उत्तराखंड में धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से कई स्थल हैं, लेकिन इस राज्य में कई स्थल ऐसे भी हैं जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं बदरीनाथ धाम से 8 किलोमीटर दूर वसुधारा झरने की. ये झरना करीब 425 फीट ऊपर से गिरता है. इस झरने से जुड़ी मान्यता है कि झरने से गिरते पानी की एक बूंद आपकी आत्मा को पुण्य आत्मा या पापी आत्मा करार दे सकती है. यह भी कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर झरने का पानी पड़ता है, वह हमेशा के लिए निरोगी हो जाता है.

देवभूमि का पवित्र झरना

उत्तराखंड राज्य की इन खूबसूरत वादियों में यूं तो कई झरने मौजूद हैं. जहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं, लेकिन बदरीनाथ से 8 किलोमीटर ऊपर माणा गांव के समीप स्थित वसुधारा झरने की कई मान्यताएं हैं. यही वजह है कि जो श्रद्धालु बाबा बदरीनाथ के दर्शन करने आते हैं, वो वसुधारा झरना देखने जरूर जाते हैं. यही नहीं वसुधारा झरने की मान्यताएं ऐसी भी हैं, जो लोगों के जहन में वहां जाने को लेकर उत्सुकता बढ़ा देती हैं.

उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित बदरीनाथ धाम से करीब 3 किलोमीटर आगे सीमांत गांव माणा है. माणा गांव से करीब 5 किलोमीटर पैदल का रास्ता स्वर्गारोहणी के लिए जाता है. जहां से महाभारत काल के दौरान पांडव स्वर्ग गए थे. उसी मार्ग पर पहाड़ों के बीच ये मनमोहक झरना मौजूद है. इसी झरने को वसुधारा झरना कहते हैं. वसुधारा झरने के बारे में मान्यता है कि जो व्यक्ति वसुधारा झरने का दर्शन करता है और हवा के माध्यम से जिस व्यक्ति पर झरने का जल पड़ता है, उस व्यक्ति की आत्मा पुण्य आत्मा होती है.

पढ़ें- देवभूमि की महिलाओं की सुंदरता में चार- चांद लगाता है ये आभूषण

एक बूंद मात्र से हो जाती है मोक्ष की प्राप्ति
बदरीनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती बताते हैं कि वसुधारा झरने के कई महत्व हैं. वहां पर असंख्य धाराएं हैं. शास्त्रों के मुताबिक वसुधारा की धारा किसी को दिखाई देती है, किसी को नहीं और जिस इंसान पर धारा की बूंदे पड़ती हैं, वह भगवान बदरीनाथ के चरण में चला जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. मनुष्य अपने पूर्व जन्मों के संस्कारों और कर्मों को लेकर पैदा होते हैं. उसी के अनुसार वर्तमान समय में व्यक्ति को कर्म मिलता है. जिसने जैसा कर्म किया होता है. उसे वैसा फल मिलता है और इसी का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि वसुधारा का जल किसी-किसी पर पड़ना.

वसुधारा के जल से पाप-पुण्य का चलता है पता
वहीं, माणा गांव के कुलपुरोहित कुलदीप कोठियाल कहते हैं कि वसुधारा झरने का वर्णन भगवत गीता में भी है. मूर्ति के पतिदेव धर्म ने वसुधारा यानी यहीं पर तपस्या की थी. इसके साथ ही यहां अष्ट वसुओं ने भी तपस्या की थी. अष्ट वसुओं द्वारा की गई तपस्या के पुण्य से ही पानी की धारा निकली. जिस धारा को वसुधारा कहते है. साथ ही बताया कि वसुधारा का महत्व है कि वसुधारा का जल हर किसी के पर नहीं पड़ता. जिस पर वसुधारा का जल पड़ता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

देहरादून: यूं तो उत्तराखंड में धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से कई स्थल हैं, लेकिन इस राज्य में कई स्थल ऐसे भी हैं जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं बदरीनाथ धाम से 8 किलोमीटर दूर वसुधारा झरने की. ये झरना करीब 425 फीट ऊपर से गिरता है. इस झरने से जुड़ी मान्यता है कि झरने से गिरते पानी की एक बूंद आपकी आत्मा को पुण्य आत्मा या पापी आत्मा करार दे सकती है. यह भी कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर झरने का पानी पड़ता है, वह हमेशा के लिए निरोगी हो जाता है.

देवभूमि का पवित्र झरना

उत्तराखंड राज्य की इन खूबसूरत वादियों में यूं तो कई झरने मौजूद हैं. जहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं, लेकिन बदरीनाथ से 8 किलोमीटर ऊपर माणा गांव के समीप स्थित वसुधारा झरने की कई मान्यताएं हैं. यही वजह है कि जो श्रद्धालु बाबा बदरीनाथ के दर्शन करने आते हैं, वो वसुधारा झरना देखने जरूर जाते हैं. यही नहीं वसुधारा झरने की मान्यताएं ऐसी भी हैं, जो लोगों के जहन में वहां जाने को लेकर उत्सुकता बढ़ा देती हैं.

उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित बदरीनाथ धाम से करीब 3 किलोमीटर आगे सीमांत गांव माणा है. माणा गांव से करीब 5 किलोमीटर पैदल का रास्ता स्वर्गारोहणी के लिए जाता है. जहां से महाभारत काल के दौरान पांडव स्वर्ग गए थे. उसी मार्ग पर पहाड़ों के बीच ये मनमोहक झरना मौजूद है. इसी झरने को वसुधारा झरना कहते हैं. वसुधारा झरने के बारे में मान्यता है कि जो व्यक्ति वसुधारा झरने का दर्शन करता है और हवा के माध्यम से जिस व्यक्ति पर झरने का जल पड़ता है, उस व्यक्ति की आत्मा पुण्य आत्मा होती है.

पढ़ें- देवभूमि की महिलाओं की सुंदरता में चार- चांद लगाता है ये आभूषण

एक बूंद मात्र से हो जाती है मोक्ष की प्राप्ति
बदरीनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती बताते हैं कि वसुधारा झरने के कई महत्व हैं. वहां पर असंख्य धाराएं हैं. शास्त्रों के मुताबिक वसुधारा की धारा किसी को दिखाई देती है, किसी को नहीं और जिस इंसान पर धारा की बूंदे पड़ती हैं, वह भगवान बदरीनाथ के चरण में चला जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. मनुष्य अपने पूर्व जन्मों के संस्कारों और कर्मों को लेकर पैदा होते हैं. उसी के अनुसार वर्तमान समय में व्यक्ति को कर्म मिलता है. जिसने जैसा कर्म किया होता है. उसे वैसा फल मिलता है और इसी का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि वसुधारा का जल किसी-किसी पर पड़ना.

वसुधारा के जल से पाप-पुण्य का चलता है पता
वहीं, माणा गांव के कुलपुरोहित कुलदीप कोठियाल कहते हैं कि वसुधारा झरने का वर्णन भगवत गीता में भी है. मूर्ति के पतिदेव धर्म ने वसुधारा यानी यहीं पर तपस्या की थी. इसके साथ ही यहां अष्ट वसुओं ने भी तपस्या की थी. अष्ट वसुओं द्वारा की गई तपस्या के पुण्य से ही पानी की धारा निकली. जिस धारा को वसुधारा कहते है. साथ ही बताया कि वसुधारा का महत्व है कि वसुधारा का जल हर किसी के पर नहीं पड़ता. जिस पर वसुधारा का जल पड़ता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Intro:note - फीड ftp से भेजी गई है....uk_deh_02_vasudhara_jheel_vis_7205803


अभी तक मान्यताये रही है की माँ गंगा में स्नान मात्र से ही सभी के पाप धुल जाते है, लेकिन कम ही लोगो को पता होगा कि उत्तराखंड में एक ऐसा झरना भी मौजूद है जिसकी एक बूंद शरीर पर पड़ने मात्र से सभी पाप धुल जाते है और व्यक्ति आजीवन निरोगी हो जाता है। यू तो उत्तराखंड राज्य में धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से कई स्थल हैं लेकिन इस राज्य में कई स्थल ऐसे भी हैं जो अपने आप में कई रहस्यो को समेटे हुए हैं, जी हां हम बात कर रहे हैं बद्रीनाथ धाम से 8 किलोमीटर दूर वसुधारा झरने की, जो झरना करीब 425 फिट ऊपर पहाड़ों से गिरता है, इस झरने से जुडी कई मान्यताएं हैं। मान्यता यह भी है कि इस  झरने से गिरते पानी में से एक बूंद भी पानी आपकी आत्मा को पुण्य आत्मा या पापी आत्मा करार दे सकती है। साथ ही कहा यह भी जाता है कि जिस व्यक्ति के ऊपर इस झरने का पानी पड़ता है वह हमेशा के लिए निरोगी हो जाता है। आखिर क्या है वसुधारा झरने का रहस्य? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट..........


Body:उत्तराखंड राज्य की इन खूबसूरत वादियों में यूं तो कई झरने मौजूद हैं जहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं लेकिन बद्रीनाथ से 8 किलोमीटर ऊपर माणा गांव के समीप स्थित वसुधारा झरने की अपनी अलग कई मान्यताएं हैं, और यही वजह है कि जो श्रद्धालु बाबा बद्रीनाथ के दर्शन करने आते हैं वह वसुधारा झरना, देखने जाने को लालायित रहते हैं। यही नही वसुधारा झरने की मान्यताएं ऐसी है, जो लोगों के जहन में वहां जाने को लेकर उत्सुकता बढ़ा देती है। 


.....उत्तराखंड में कहा स्तिथ है वसुधारा......

स्थानीय निवासी आशुतोष डिमरी ने बताया कि उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र स्थित बद्रीनाथ धाम से करीब 3 किलोमीटर आगे सीमांत गांव, माणा गांव है। और माणा गांव से करीब 5 किलोमीटर पैदल रास्ता जो स्वर्गारोहणी के लिए जाता है। जहां से महाभारत काल के दौरान पांडव स्वर्ग लोग गए थे, उसी मार्ग पर पहाड़ों के बीच ये मनमोहने वाला झरना मौजूद है, इसी झरने को वसुधारा झरना कहते हैं। वसुधारा झरने की धार्मिक महत्व है कि जो व्यक्ति वसुधारा झरने का दर्शन करता है और हवा के माध्यम से जिस व्यक्ति के ऊपर वसुधारा झील का जल पड़ता है, उस व्यक्ति की आत्मा, पुण्य आत्मा होती है। 


......वसुधारा का जल जिसपर पड़ता है उसे होती है मोक्ष की प्राप्ति....

बद्रीनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती ने बताया कि वसुधारा झील के कई महत्व है और वहां पर असंख्य धाराएं हैं। शास्त्रों के मुताबिक वसुधारा की धारा किसी को दिखाई देती है किसी को दिखाई नहीं देती है और जिस इंसान पर धारा की बूंदे पड़ती है वह भगवान बद्रीनाथ के चरण में चला जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही बताया कि हम अपने पूर्व जन्मों के संस्कारों को और कर्मों को लेकर पैदा होते हैं और उसी के अनुसार वर्तमान समय में व्यक्ति को कर्म मिलता है। जिसने जैसा कर्म किया होता है उसे वैसा फल मिलता है और इसी का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि वसुधारा का जल किसी-किसी पर पड़ता है।


......वसुधारा के जल से पाप-पुण्य का चलता है पता.......

वही माणा गांव के कुलपुरोहित कुलदीप कोठियाल ने बताया कि वसुधारा झरने का वर्णन भागवत गीता में भी है, जिसमे लिखा है की नर-नारायण की माता, मूर्ति और मूर्ति के पतिदेव थे धर्म। और वसुधारा में धर्म जी ने ही यहां तपस्या की थी। इसके साथ ही यहां अष्ट वसुओ ने भी तपस्या की थी। और अष्ट वसुओ द्वारा किए गए तपस्या के पुण्य से ही पानी की धारा निकली। जिस धारा को वसुधरा कहते है। साथ ही बताया कि वसुधार का महत्व है कि वसुधारा का जल हर किसी के ऊपर नही पड़ता है। किसी किसी के ऊपर वसुधारा का जल पड़ता है। और आज भी वहाँ जाकर पाप और पुण्य का पता चलता है।




Conclusion:
Last Updated : Aug 28, 2019, 9:22 PM IST
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