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अच्छी पहलः कुपोषण दूर करने के लिए कुपोषित बच्चे गोद लेंगे अफसर, करेंगे मॉनिटरिंग

देश में कुपोषण की गंभीर समस्या है. एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत एक ऐसा देश है जहां हर साल कुपोषण से लगभग 10 लाख बच्चों की मौत होती है. कुपोषण से बचने की दिशा में उत्तराखंड सरकार एक विशेष पहल करने जा रही है. सरकार की ये पहले अगर रंग लाती है तो प्रदेशभर के अतिकुपोषित बच्चों को कुपोषण का शिकार होने के बचाया जा सकेगा.

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Published : Sep 3, 2019, 2:25 PM IST

Updated : Sep 3, 2019, 4:07 PM IST

देहरादून: राज्य सरकार एक अच्छी पहल करने जा रही है, जिसके तहत अतिकुपोषित बच्चों को अब प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारी गोद लेंगे. जिसका मकसद प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को कुपोषण के शिकार से बचाना है. गोद अभियान के तहत राज्य सरकार की यह पहल पूरे सितंबर तक चलेगी. इसके तहत सितंबर महीने में प्रदेश के सभी कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया जाएगा, जिसे जिम्मेदार अधिकारी गोद लेंगे. इसके साथ ही पूरे महीने चलने वाले इस अभियान के तहत ग्रोथ रिपोर्ट की मॉनिटरिंग भी की जाएगी.

राज्य सरकार इस प्लान के तहत अतिकुपोषित बच्चों को देगी पोषण

देशभर में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत एक ऐसा देश है, जहां हर साल कुपोषण से लगभग 10 लाख बच्चों की मौत होती है. इसके साथ ही भारत में कुछ ऐसे स्लम एरिया हैं, जहां बच्चे आज भी कुपोषण का शिकार होकर अपनी जान गंवा रहे हैं. अगर इन क्षेत्रों में ध्यान दिया जाए तो ये आंकड़े कम किये जा सकते हैं.

इस गंभीर महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को इससे निपटने के लिए निर्देश दिए हैं. जिस पर राज्यों ने काम करना शुरू कर दिया है. लिहाजा, उत्तराखंड के आला अधिकारी प्रदेश के कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनकी देखभाल करेंगे. साथ ही हर महीने ग्रोथ रिपोर्ट की मॉनिटरिंग भी करेंगे.

पढ़ें- ग्रामीणों से मिलने 5 किलोमीटर पैदल चले डीएम, कहा- जल्द बनेगी सड़क

यह एक वॉलेंट्री वर्क- सीएम
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह एक वॉलेंट्री वर्क है. क्योंकि हमारे बीच बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिनकी बच्चों को गोद लेने की इच्छा होती है. इसी से यह विचार निकलकर आया है कि प्रदेश के अति कुपोषित बच्चों को गोद लिया जा सकता है. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'मन की बात' में अतिकुपोषित बच्चों को गोद लेने का आह्वान किया था. उसी नीति के तहत राज्य में गोद लेने का कार्य शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि जो दाल हम खाते हैं, उसे साबुत उबालकर खाने से फायदा होगा या फिर पीसकर खाने से. इन छोटी-छोटी चीजों पर अगर थोड़ा सा ध्यान दिया जाए तो खाने की चीजों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे पाचन तंत्र पर भी कम दबाव पड़ता है. लिहाजा, इसी वजह से बच्चों को गोद लेने का कार्यक्रम शुरू किया गया है.

जिम्मेदार अधिकारी अतिकुपोषित बच्चों को लेंगे गोद- सौजन्या
महिला कल्याण एवं बाल विकास सचिव सौजन्या ने बताया कि प्रदेश के भीतर करीब 1600 बच्चे अतिकुपोषण और 17 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. जिनकी जिला वार सूची बनायी जा रही है. इन बच्चों को कुपोषण से दूर करने के लिए गोद लेने का अभियान चलाया जाएगा. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशानुसार प्रदेश में जितने भी जिम्मेदार अधिकारी हैं, वह गोद अभियान के तहत एक-एक अति कुपोषित बच्चे को गोद लेंगे और बच्चे को रेगुलर मॉनिटर करेंगे कि बच्चे को पोषण मिल रहा है या नहीं, ताकि बच्चा कुपोषण से बाहर आ सके.

अतिकुपोषित बच्चों पर थोड़ा ध्यान देनी की जरूरत- शैलेश बगौली

वहीं परिवहन विभाग के सचिव शैलेश बगौली ने सरकार की इस पहल की सराहना की है. उन्होंने कहा है कि अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चों पर अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो वह नॉर्मल श्रेणी के बच्चों में आ सकते हैं. साथ ही बताया कि इन अधिकारियों की कोशिश रहेगी और जल्द से जल्द इन बच्चों को कुपोषित श्रेणी से बाहर निकाला जा सकता है.

बच्चों को गोद लेने के लिए नामित की गई सचिव भूपेंद्र कौर औलख ने बताया कि इससे पहले भी कुपोषित बच्चों को गोद लेने के लिए अभियान चलाया था और अब राज्य सरकार एक बार फिर से अभियान चलाने जा रही है, जो सराहनीय कदम है. इस अभियान में सभी अधिकारी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि पहले भी एक बच्चे को गोद लिया था. जिसके दिल में छेद था. जिसके बाद में ऑपरेशन कराया गया था. आज वह बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.

राज्य में अति कुपोषण और कुपोषण के शिकार बच्चो की देखभाल के लिए सरकार ने जो कदम उठाया है वो बहुत ही सराहनीय है. इस तरह के कार्यक्रम इस बात की भी तस्दीक करते है कि सरकारें इस महामारी के प्रति गंभीर है. साल 2019 की बात करें तो कुपोषण के लिए किये गए सर्वे में भारत में कुपोषित बच्चो में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

देहरादून: राज्य सरकार एक अच्छी पहल करने जा रही है, जिसके तहत अतिकुपोषित बच्चों को अब प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारी गोद लेंगे. जिसका मकसद प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को कुपोषण के शिकार से बचाना है. गोद अभियान के तहत राज्य सरकार की यह पहल पूरे सितंबर तक चलेगी. इसके तहत सितंबर महीने में प्रदेश के सभी कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया जाएगा, जिसे जिम्मेदार अधिकारी गोद लेंगे. इसके साथ ही पूरे महीने चलने वाले इस अभियान के तहत ग्रोथ रिपोर्ट की मॉनिटरिंग भी की जाएगी.

राज्य सरकार इस प्लान के तहत अतिकुपोषित बच्चों को देगी पोषण

देशभर में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत एक ऐसा देश है, जहां हर साल कुपोषण से लगभग 10 लाख बच्चों की मौत होती है. इसके साथ ही भारत में कुछ ऐसे स्लम एरिया हैं, जहां बच्चे आज भी कुपोषण का शिकार होकर अपनी जान गंवा रहे हैं. अगर इन क्षेत्रों में ध्यान दिया जाए तो ये आंकड़े कम किये जा सकते हैं.

इस गंभीर महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को इससे निपटने के लिए निर्देश दिए हैं. जिस पर राज्यों ने काम करना शुरू कर दिया है. लिहाजा, उत्तराखंड के आला अधिकारी प्रदेश के कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनकी देखभाल करेंगे. साथ ही हर महीने ग्रोथ रिपोर्ट की मॉनिटरिंग भी करेंगे.

पढ़ें- ग्रामीणों से मिलने 5 किलोमीटर पैदल चले डीएम, कहा- जल्द बनेगी सड़क

यह एक वॉलेंट्री वर्क- सीएम
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह एक वॉलेंट्री वर्क है. क्योंकि हमारे बीच बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिनकी बच्चों को गोद लेने की इच्छा होती है. इसी से यह विचार निकलकर आया है कि प्रदेश के अति कुपोषित बच्चों को गोद लिया जा सकता है. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'मन की बात' में अतिकुपोषित बच्चों को गोद लेने का आह्वान किया था. उसी नीति के तहत राज्य में गोद लेने का कार्य शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि जो दाल हम खाते हैं, उसे साबुत उबालकर खाने से फायदा होगा या फिर पीसकर खाने से. इन छोटी-छोटी चीजों पर अगर थोड़ा सा ध्यान दिया जाए तो खाने की चीजों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे पाचन तंत्र पर भी कम दबाव पड़ता है. लिहाजा, इसी वजह से बच्चों को गोद लेने का कार्यक्रम शुरू किया गया है.

जिम्मेदार अधिकारी अतिकुपोषित बच्चों को लेंगे गोद- सौजन्या
महिला कल्याण एवं बाल विकास सचिव सौजन्या ने बताया कि प्रदेश के भीतर करीब 1600 बच्चे अतिकुपोषण और 17 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. जिनकी जिला वार सूची बनायी जा रही है. इन बच्चों को कुपोषण से दूर करने के लिए गोद लेने का अभियान चलाया जाएगा. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशानुसार प्रदेश में जितने भी जिम्मेदार अधिकारी हैं, वह गोद अभियान के तहत एक-एक अति कुपोषित बच्चे को गोद लेंगे और बच्चे को रेगुलर मॉनिटर करेंगे कि बच्चे को पोषण मिल रहा है या नहीं, ताकि बच्चा कुपोषण से बाहर आ सके.

अतिकुपोषित बच्चों पर थोड़ा ध्यान देनी की जरूरत- शैलेश बगौली

वहीं परिवहन विभाग के सचिव शैलेश बगौली ने सरकार की इस पहल की सराहना की है. उन्होंने कहा है कि अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चों पर अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो वह नॉर्मल श्रेणी के बच्चों में आ सकते हैं. साथ ही बताया कि इन अधिकारियों की कोशिश रहेगी और जल्द से जल्द इन बच्चों को कुपोषित श्रेणी से बाहर निकाला जा सकता है.

बच्चों को गोद लेने के लिए नामित की गई सचिव भूपेंद्र कौर औलख ने बताया कि इससे पहले भी कुपोषित बच्चों को गोद लेने के लिए अभियान चलाया था और अब राज्य सरकार एक बार फिर से अभियान चलाने जा रही है, जो सराहनीय कदम है. इस अभियान में सभी अधिकारी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि पहले भी एक बच्चे को गोद लिया था. जिसके दिल में छेद था. जिसके बाद में ऑपरेशन कराया गया था. आज वह बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.

राज्य में अति कुपोषण और कुपोषण के शिकार बच्चो की देखभाल के लिए सरकार ने जो कदम उठाया है वो बहुत ही सराहनीय है. इस तरह के कार्यक्रम इस बात की भी तस्दीक करते है कि सरकारें इस महामारी के प्रति गंभीर है. साल 2019 की बात करें तो कुपोषण के लिए किये गए सर्वे में भारत में कुपोषित बच्चो में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

Intro:नोट - फीड ftp से भेजी गयी है.........uk_deh_02_malnourished_children_vis_7205803

स्पेशल स्टोरी......

उत्तराखंड राज्य सरकार, प्रदेश के भीतर एक अच्छी और बड़ी पहल करने जा रही है इसके तहत प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को अब प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारी गोद लेंगे। जिसका मकसद प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को कुपोषण के शिकार से बचाना है। गोद अभियान के तहत राज्य सरकार की यह पहल सितंबर, पूरे महीने चलेगी। और इसके तहत सितंबर महीने में प्रदेश के सभी कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारियों को गोद दिलाया जाएगा। इसके साथ ही पूरे महीने चलने वाले इस अभियान के तहत न सिर्फ कुपोषित बच्चों को अधिकारी गोद लेंगे। बल्कि हर माह उसके ग्रोथ रिपोर्ट की मॉनिटरिंग भी करेंगे।


Body:वीओ - देशभर में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत एक ऐसा देश है जहां हर साल कुपोषण से लगभग 10 लाख बच्चो की मौत होती है। इसके साथ ही भारत में कुछ ऐसे स्लम एरिया के बच्चे आज भी कुपोषण का शिकार होकर अपनी जान गँवा रहे है और अगर इन क्षेत्रों में ध्यान दिया जाए तो ये आंकड़े कम किये जा सकते है। इस गंभीर महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को इससे निपटने के लिए निर्देश दिए है। जिस पर राज्यों ने काम करना शुरू कर दिया है। लिहाजा उत्तराखंड के आला अधिकारी, प्रदेश के कुपोषित बच्चो को गोद लेकर उनकी देखभाल करेंगे साथ ही हर महीने ग्रोथ रिपोर्ट की मॉनिटरिंग भी करेंगे। 


..........जागरूकता से कुपोषण को किया जा सकता है दूर.....

वीओ - वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि या एक वाल एंट्री वर्क है क्योंकि हमारे बीच बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनकी बच्चों को गोद लेने की इच्छा होती है। इसी से यह विचार निकलकर सामने आया कि प्रदेश के अति कुपोषित बच्चों को लोद लिया जा सकता है। इसके साथ ही बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात के दौरान बच्चों को गोद लेने का आह्वान किया था और उसी नीति के तहत राज्य के भीतर गोद लेने का कार्य शुरू किया गया है, और अगर कुपोषण के लिए जागरूकता हो जाए तो जागरूकता से ही कुपोषण को दूर किया जा सकता है।

बाइट - त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड 


........... खाने की चीजो के तरीकों पर ध्यान देने की है जरूरत..............

वीओ - साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जो डाल हम खाते हैं उसको उबालकर, साबुत खाने से फायदा होगा या फिर पीसकर खाने से ज्यादा फायदा होगा। इन छोटी-छोटी चीजों पर अगर थोड़ा सा ध्यान दे दिया जाए, तो खाने की चीजों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है, जो शरीर की काम आती है। इसके साथ ही इससे पाचन तंत्र पर भी इसका कम दबाव पड़ता है। लिहाजा इसी वजह से बच्चों को गोद लेने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। ताकि हर माह उन बच्चों की रिपोर्ट मिल सके, कि बच्चे में किस महीने कितनी ग्रोथ हुई है। 

बाइट - त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड   


...........जिम्मेदार अधिकारी अतिकुपोषित बच्चों को लेंगे गोद.............  

वीओ - महिला कल्याण एवं बाल विकास सचिव सौजन्या ने बताया कि प्रदेश के भीतर करीब 1600 बच्चे अति कुपोषण और 17 हज़ार बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। जिनका जिला वार सूची बनाया जा रहा है इन बच्चों को कुपोषण से दूर करने के लिए प्रदेश के भीतर गोद अभियान चलाया जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशानुसार प्रदेश में जितने भी जिम्मेदार अधिकारी हैं वह गोद अभियान के तहत एक- एक अति कुपोषित बच्चे को गोद लेंगे। और बच्चे को रेगुलर मॉनिटर करेंगे की बच्चे को रेगुलर पोषण मिल रहा है या नही ताकि बच्चा कुपोषण से बाहर आ जाये।

बाइट - सौजन्या, सचिव, महिला कल्याण एव बाल विकास


वीओ - वही गोद अभियान के तहत अति कुपोषित बच्चों को गोद लेने के लिए नामित किए गए सचिव शैलेश बगौली ने सरकार के इस पहल की सराहना करते हुए बताया कि प्रदेश के जो अति कुपोषित और कुपोषित बच्चे हैं उन पर अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो वह नॉर्मल शिरडी के बच्चों में आ सकते हैं साथ ही बताया कि इन अधिकारियों की कोशिश रहेगी जल्द से जल्द इन बच्चों को कुपोषित श्रेणी से बाहर निकाला जा सके। 

बाइट -  शैलेश बगौली, सचिव, परिवहन विभाग    


वीओ - वही बच्चों को गोद लेने के लिए नामित की गई सचिव, भूपेंद्र कौर औलख ने बताया कि इससे पहले भी कुपोषित बच्चों को गोद लेने के लिए अभियान चलाया था और अब राज्य सरकार एक बार फिर कुपोषित बच्चों को गोद लेने को लेकर अभियान चला रही है जो बहुत ही सराहनीय कदम है और इस अभियान में सभी अधिकारी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। साथ ही बताया कि उन्होंने ने पूर्व में भी एक बच्चे को गोद लिया था, जिसके दिल में छेद था। जिसका बाद में ऑपरेशन कराया गया था। और आज वह बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। साथ ही बताया कि ऐसे अनुभव से उन्हें बहुत खुशी मिलती है कि उनके इस योगदान से प्रदेश के बच्चों के सेहत में सुधार होगा।  

बाइट - भूपेंद्र कौर औलख, सचिव, लघु सिचाई एव खेल विभाग 




Conclusion:

राज्य में अति कुपोषण और कुपोषण के शिकार बच्चो की देखभाल के लिए सरकार ने जो कदम उठाया है वो सराहनीय है। इस तरह के कार्यक्रम इस बात की भी तस्दीक करते है कि सरकारें इस महामारी के प्रति गंभीर है। साल 2019 की बात करें तो इस साल राहत की बात ये रही की कुपोषण के लिए किये गए सर्वे में भारत में कुपोषित बच्चो में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।


Last Updated : Sep 3, 2019, 4:07 PM IST
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