देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. राज्य की मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) व बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) ने भी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है. ये दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तलाश रही है.
पड़ोसी राज्य उत्तर-प्रदेश में भले ही समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी सत्ता का सुख भोग चुकी हो, लेकिन सपा व बसपा उत्तराखंड में अपने पैर कभी भी जमा नहीं पाई है. उत्तराखंड में इन 20 सालों मे भाजपा व कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों का ही दबदबा रहा है. जोकि बसपा व सपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं. हालांकि, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सचान ने दावा किया है कि इस बार उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी सरकार बनाने जा रही है. वहीं, बसपा भी 70 विधानसभाओं में प्रत्याशी उठाने जा रही है.
उत्तराखंड को उत्तरप्रदेश से अलग हुए 20 साल हो गए है. लेकिन इन 20 सालों मे उत्तर प्रदेश में बड़ी क्षेत्रीय पार्टी मानी जाने वाली बसपा व सपा अभी तक उत्तराखंड मे कुछ भी बेहतर नहीं कर पाया है. इसका बड़ा कारण यह भी है कि इन दोनों पार्टीयों ने समय पर पार्टी के जनाधार को नहीं बढ़ाया. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव मे दोनों पार्टियां, पलायन, शिक्षा स्वास्थ्य और सड़क जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जहां प्रदेश में समाजवादी पार्टी अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी हुई है. तो वहीं बसपा बूथ स्तर पर कार्यक्रम करने में लगी हुई है.
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भले ही बसपा व सपा दोनों ही पार्टियां 2022 के विधानसभा चुनाव लड़ने का दम भर रही हो. लेकिन उत्तराखंड में पार्टी को विधानसभा चुनाव सीट मिलना इतना आसान नहीं होगा और राष्ट्रीय पार्टियों को हराना दोनों पार्टियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी. देखना यह होगा की आगामी चुनाव में सपा व बसपा को कितनी सीट मिलती है.