देहरादूनः उद्यान एवं प्रसंस्करण विभाग के निदेशक एचएस बवेजा पर घोर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं. समाजसेवी दीपक करगेती ने उद्यान एवं प्रसंस्करण विभाग के निदेशक पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में निदेशक पद का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है. हिमाचल प्रदेश शासन की ओर से सतर्कता विभाग की संस्तुति पर भ्रष्टाचार के आरोप पत्र जारी हो चुके हैं. उनका आरोप है कि जेल जा चुके वरिष्ठ आईएएस रामविलास यादव की तर्ज पर उद्यान विभाग के निदेशक हरमिंदर बवेजा उत्तराखंड में भी भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं.
समाजसेवी दीपक करगेती ने आरोप लगाते हुए कहा कि कीवी पौध कटिंग की दरों में भी निदेशक ने घोर वित्तीय अनियमितताएं बरती. बवेजा ने मनमाने तरीके से 6 माह के भीतर कीवी पौध कटिंग की दरें ₹35 से ₹75 और ₹75 से ₹225 की. साथ ही ग्राफ्टेड कीवी ₹75 से ₹175 और ₹175 से ₹275 की दर बढ़ाकर लगभग 77,000 पौधों को लेकर भारी अनियमितताएं की गई. साथ ही राजकीय धनराशि का गबन किया. यह समस्त प्रक्रिया बिना निविदा की प्रोक्योरमेंट नियमावली का अनुपालन के बिना की गई है.
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उन्होंने कहा कि उद्यान निदेशक ने पद पर रहते हुए बागवानी मिशन योजना को छोड़कर अन्य योजनाओं में व्यय की गई धनराशि को अंतरराष्ट्रीय महोत्सव जिनमें अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव, अंतरराष्ट्रीय मसाला एवं सब्जी महोत्सव, अंतरराष्ट्रीय मशरूम महोत्सव में व्यय करने की स्वीकृति भी सरकार की ओर से नहीं ली है. इसमें भी उन्होंने करोड़ों रुपए के घोटालों को अंजाम दिया है.
इसी प्रकार उद्यान निदेशक ने पद का दुरुपयोग करते हुए मनमाने तरीके से उत्तराखंड में अदरक बीज और हल्दी बीज की दरों को बढ़ाया और बेचने के लिए उनके क्रय का माध्यम एनएससी को बना दिया गया. उनका आरोप है कि भ्रम फैला दिया गया कि एनएससी की ओर से सर्टिफाइड बीज काश्तकारों को उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि अदरक और हल्दी के बीज सर्टिफाइड नहीं होते हैं. यह केवल धनराशि अर्जित करने के उद्देश्य से किया गया है.
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उन्होंने आरोप लगाया कि निदेशक बवेजा की ओर से निर्धारित दरें प्राइवेट फर्म से ढाई से 3 गुना अधिक दर पर क्रय की गई. अदरक बीज 90.80 रुपए प्रति किलो और हल्दी बीज रुपए 39 .80 प्रति किलो कर दी गई और 7 जिलों में दबाव बनाकर क्रय भी करवाई गई. वहीं, उन्होंने सरकार से मांग की है कि तत्काल भ्रष्टाचार में लिप्त उद्यान निदेशक को पद से हटाया जाए. उन्होंने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर विजिलेंस तक से शिकायत की है. उन्होंने कहा कि यदि उद्यान निदेशक पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो उन्हें न्यायालय की शरण में जाने पर मजबूर होना पड़ेगा.