देहरादून: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जल्द ही देहरादून शहर का कायाकल्प होने वाला है. इस परियोजना के तहत अब तक लगभग 100 फीसदी टेंडरिंग का कार्य पूरा किया जा चुका है. जबकि 90 फीसदी कार्यों के लिए वर्क आर्डर जारी हो चुका है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पूरे शहर के अलग-अलग हिस्सों में कुल 27 पायलट प्रोजेक्ट अगले ढाई से तीन साल के अंदर पूरा करने की योजना है. स्मार्ट सिटी के तहत सबसे पहला कार्य परेड मैदान का शुरू हो चुका है जो जल्द ही आने वाले दिनों में एक नए स्वरूप में सामने आएगा.
सबसे पहले पलटन बाजार का होगा कायाकल्प
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत ब्रिटिश काल के दौर में स्थापित पलटन बाजार का सौंदर्यीकरण दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह से शुरू हो जाएगा. घंटाघर से लेकर कोतवाली तक 476 मीटर की दूरी तक सभी दुकानों को हाईटेक रूप दिया जाएगा. सभी दुकानों व शोरूम के अगले हिस्से का मुखड़ा एक जैसा बनाया जाएगा. घंटाघर को गेरूआ रंग दिया जाएगा.
वहीं, रोड के दोनों हिस्सों पर एक ऐसा स्मार्ट गोल्फ कार्ड फुटपाथ होगा, जिसमें बुजुर्गों से लेकर दिव्यांग, बच्चे और गर्भवती महिलाओं के आने-जाने की अतिरिक्त व्यवस्था होगी. बाजार में पूरी तरह से छोटे-बड़े वाहन प्रतिबंधित रहेंगे. पलटन बाजार के कायाकल्प के लिए 13 करोड़ 81 लाख 52 हजार रुपए का बजट जारी किया गया है.
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स्मार्ट सिटी योजना के तहत पूरे शहर में हाईटेक 30 इलेक्ट्रिक बसें संचालित होंगी. जिसमें से 28 बसें अलग -अलग चार प्रमुख रूटों में संचालित की जाएंगी. जबकि 2 बसें किसी भी आपातकाल स्थिति के लिए अतिरिक्त सेवा के लिए तैयार रहेंगी. देहरादून शहर के अलग-अलग हिस्सों में आने-जाने के लिए इलेक्ट्रिक बसों की कुल दूरी 218 किलोमीटर तय की गई है.
इन चार मार्गों पर होगा इलेक्ट्रिक बसों का संचालन
- जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से आईएसबीटी- रेलवे स्टेशन और घंटाघर तक (सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक)
- आईएसबीटी- रेलवे स्टेशन- घंटाघर- राजपुर रोड से जाखन तक (सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक)
- आईएसबीटी-रेलवे स्टेशन-आईटी पार्क से सहसधारा रोड तक (सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक)
- सुद्धोवाला-प्रेम नगर-आईएमए-घंटाघर से रायपुर तक (सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक)
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हाईटेक बसों के संचालन में असमंजस
स्मार्ट सिटी योजना के तहत देहरादून शहर में दो बार की पीपीपी मोड टेंडरिंग प्रक्रिया में एक से दो कंपनी को छोड़कर अन्य कंपनियों ने अभी तक दिलचस्पी नहीं दिखाई है. जिसके चलते अभी तक टेंडरिंग प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. स्मार्ट सिटी परियोजना के आला अधिकारियों के मुताबिक ढाई करोड़ से अधिक कीमत की एक हाईटेक बस के संचालन को लेकर कंपनियां असमंजस की स्थिति में हैं कि कैसे और किस कीमत पर इनका संचालन किया जाए, ताकि सरकार और कंपनी को तगड़ा राजस्व प्राप्त हो सके.