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विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को मिली बड़ी राहत, 11 साल पुराने मामले में बरी

11 साल पहले अतिक्रमण हटाओ अभियान का विरोध करने पर वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल सहित छह लोगों पर बलवा करने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 11 साल पुराने बलवे के मुकदमे में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सहित छह लोगों को बरी कर दिया है.

Assembly Speaker Premchand Agrawal
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल
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Published : Sep 1, 2021, 12:55 PM IST

देहरादून: विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल सहित छह लोगों के लिए राहत भरी खबर है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 11 साल पुराने बलवे के मुकदमे में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सहित छह लोगों को बरी कर दिया है.

बता दें कि साल 2010 में अतिक्रमण हटाओ अभियान के विरोध प्रदर्शन में जाम लगाने पर पुलिस ने विरोध प्रदर्शन में 27 लोगों के खिलाफ बलवा करना, जाम लगाना और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाना के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था. मुकदमा दर्ज होने के 16 दिन बाद प्रेमचंद अग्रवाल का नाम भी मुकदमे में जोड़ा गया था. पुलिस द्वारा कुल 28 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. इसमें 28 गवाह प्रस्तुत किये गए, जोकि सभी पुलिसकर्मी थे. सभी पुलिसकर्मी होने के कारण इसका लाभ मुकदमे में मिला.

पढ़ें- श्रीराम मंदिर संघर्ष पर लिखी पुस्तक को लेकर भट्ट ने PM से की चर्चा, 21 देशों में किया जाएगा विमोचन

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह की अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, गगन नारंग निवासी मिस्सरवाला, बेबी नारंग निवासी मिस्सरवाला, ईश्वर चंद्र अग्रवाल निवासी चौक बाजार, कृपाल सिंह निवासी मिस्सरवाला और सतपाल निवासी मिस्सरवाला को बरी कर दिया है. वहीं अभियोजन पक्ष के वकील का कहना है कि पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद का नारा लगाकर शान्ति भंग करने और भय का माहौल बनाया गया. इसके लिए 504 यानि गाली गलौज करने की धारा लगाई गई है.

इस पर कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी है. इसमें सैद्धांतिक तौर आलोचना या विरोध करने का अधिकार निहित है. यह नारा लगाना गाली गलौज की श्रेणी में नहीं आता है.

देहरादून: विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल सहित छह लोगों के लिए राहत भरी खबर है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 11 साल पुराने बलवे के मुकदमे में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सहित छह लोगों को बरी कर दिया है.

बता दें कि साल 2010 में अतिक्रमण हटाओ अभियान के विरोध प्रदर्शन में जाम लगाने पर पुलिस ने विरोध प्रदर्शन में 27 लोगों के खिलाफ बलवा करना, जाम लगाना और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाना के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था. मुकदमा दर्ज होने के 16 दिन बाद प्रेमचंद अग्रवाल का नाम भी मुकदमे में जोड़ा गया था. पुलिस द्वारा कुल 28 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. इसमें 28 गवाह प्रस्तुत किये गए, जोकि सभी पुलिसकर्मी थे. सभी पुलिसकर्मी होने के कारण इसका लाभ मुकदमे में मिला.

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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह की अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, गगन नारंग निवासी मिस्सरवाला, बेबी नारंग निवासी मिस्सरवाला, ईश्वर चंद्र अग्रवाल निवासी चौक बाजार, कृपाल सिंह निवासी मिस्सरवाला और सतपाल निवासी मिस्सरवाला को बरी कर दिया है. वहीं अभियोजन पक्ष के वकील का कहना है कि पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद का नारा लगाकर शान्ति भंग करने और भय का माहौल बनाया गया. इसके लिए 504 यानि गाली गलौज करने की धारा लगाई गई है.

इस पर कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी है. इसमें सैद्धांतिक तौर आलोचना या विरोध करने का अधिकार निहित है. यह नारा लगाना गाली गलौज की श्रेणी में नहीं आता है.

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