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UPCL के 21 अधिकारियों पर गिरी गाज, करोड़ों के घोटाले से जुड़ा है मामला

उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के 21 अधिकारियों पर गाज गिरी है. जिसमें 6 अधिकारी निलंबित हुए हैं. 12 अधिकारियों को आरोपपत्र और तीन को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है.

UPCL के 21 अधिकारियों पर गिरी गाज
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Published : Oct 22, 2020, 10:15 PM IST

देहरादूनः यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली कंपनी पर मेहरबानी बरसाने वाले कर्मचारियों पर आखिरकार गाज गिर चुकी है. इसके तहत वित्तीय अनियमितता व लापरवाही बरतने वाले यूपीसीएल के वाणिज्य व वित्त अनुभाग के अधिकारियों को प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया गया है. जिस कारण तत्काल प्रभाव से विभाग के 6 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. साथ ही 12 अधिकारियों को आरोपपत्र और तीन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

निगम प्रबंधन की ओर से इस पूरे मामले में जिन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है, उसमें मोहम्मद इकबाल (महाप्रबंधक वित्त), बृजमोहन सिंह (अधीक्षण अभियंता), सुनील वैद्य (अधीक्षण अभियंता), अर्जुन प्रताप सिंह (अधिशासी अभियंता), राकेश चंद्र (वरिष्ठ लेखाधिकारी) और अवनीश गुप्ता (सहायक लेखा अधिकारी) का नाम शामिल है.

पढ़ेंः सीएम त्रिवेंद्र ने दिल्ली में निर्माणाधीन उत्तराखंड भवन का निरीक्षण किया

बता दें कि यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली यह कंपनी दिल्ली में स्थित है. जिसका नाम M/S KEIPL है. इस पूरे मामले में कंपनी द्वारा यूपीसीएल से बिजली खरीदी गई थी. जिसके तहत वर्ष 2016 से लेकर जून 2020 के बीच कंपनी पर यूपीसीएल का तकरीबन 61 करोड़ बकाया था. यहां सबसे बड़ी ताजुब की बात ये है कि करोंड़ो की रकम कंपनी पर बकाया होने के बावजूद कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के स्थान पर यूपीसीएल के कर्मचारी और अधिकारी लगातार कंपनी पर मेहरबान होते रहे.

गौरतलब है कि उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन के बिजली को बेचने के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग एवं उत्तराखंड शासन की ओर से नियमावली बनाई गई है. जिसके तहत बिजली को खरीदा और बेचा जा सकता है. ऐसे में बिजली खरीदने की स्थिति में संबंधित कंपनी को बिजली खरीदने के तीन दिन के भीतर ही यूपीसीएल को शर्तों के तहत बकाया धनराशि का भुगतान करना था, जबकि तीन दिन के भीतर बकाया धनराशि का भुगतान न होने की स्थिति में कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाना चाहिए था.

देहरादूनः यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली कंपनी पर मेहरबानी बरसाने वाले कर्मचारियों पर आखिरकार गाज गिर चुकी है. इसके तहत वित्तीय अनियमितता व लापरवाही बरतने वाले यूपीसीएल के वाणिज्य व वित्त अनुभाग के अधिकारियों को प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया गया है. जिस कारण तत्काल प्रभाव से विभाग के 6 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. साथ ही 12 अधिकारियों को आरोपपत्र और तीन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

निगम प्रबंधन की ओर से इस पूरे मामले में जिन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है, उसमें मोहम्मद इकबाल (महाप्रबंधक वित्त), बृजमोहन सिंह (अधीक्षण अभियंता), सुनील वैद्य (अधीक्षण अभियंता), अर्जुन प्रताप सिंह (अधिशासी अभियंता), राकेश चंद्र (वरिष्ठ लेखाधिकारी) और अवनीश गुप्ता (सहायक लेखा अधिकारी) का नाम शामिल है.

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बता दें कि यूपीसीएल से बिजली खरीदने वाली यह कंपनी दिल्ली में स्थित है. जिसका नाम M/S KEIPL है. इस पूरे मामले में कंपनी द्वारा यूपीसीएल से बिजली खरीदी गई थी. जिसके तहत वर्ष 2016 से लेकर जून 2020 के बीच कंपनी पर यूपीसीएल का तकरीबन 61 करोड़ बकाया था. यहां सबसे बड़ी ताजुब की बात ये है कि करोंड़ो की रकम कंपनी पर बकाया होने के बावजूद कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के स्थान पर यूपीसीएल के कर्मचारी और अधिकारी लगातार कंपनी पर मेहरबान होते रहे.

गौरतलब है कि उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन के बिजली को बेचने के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग एवं उत्तराखंड शासन की ओर से नियमावली बनाई गई है. जिसके तहत बिजली को खरीदा और बेचा जा सकता है. ऐसे में बिजली खरीदने की स्थिति में संबंधित कंपनी को बिजली खरीदने के तीन दिन के भीतर ही यूपीसीएल को शर्तों के तहत बकाया धनराशि का भुगतान करना था, जबकि तीन दिन के भीतर बकाया धनराशि का भुगतान न होने की स्थिति में कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाना चाहिए था.

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