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सिडकुल घोटालाः 29 फाइलों की जांच पूरी, सामने आई कई अनियमितताएं

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Published : Aug 22, 2020, 7:31 PM IST

बहुचर्चित सिडकुल घोटाले मामले में एसआईटी ने 29 फाइलों की जांच पूरी कर ली है. जिसमें कई अनियमितताएं पाई गई है.

sidcul scam case
सिडकुल घोटाला जांच

देहरादूनः उत्तराखंड के बहुचर्चित सिडकुल घोटाले जांच से जुड़ी 300 से ज्यादा फाइलों में से 29 फाइलों की जांच एसआईटी ने पूरी कर ली है. साल 2012-13 के दौरान 7 जिलों से संबंधित रखने वाली इन फाइलों में भारी अनियमितता और गड़बड़झाला होने की जानकारी सामने आई है. एसआईटी अब इन 29 फाइलों की जांच रिपोर्ट प्वाइंट आउट कर शासन को भेजेगी. जिसे लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है. वहीं, इन फाइलों को लेकर सिडकुल संबंधित अधिकारियों को अंतिम बार सफाई देने का मौका भी दिया जा है.

बता दें कि यह जांच बीते लंबित चल रही थी. ऐसे में बीते 30 जून 2020 को आईपीएस अभिनव कुमार ने आईजी गढ़वाल रेंज का चार्ज संभाला. जिसके बाद उन्होंने डेढ़ महीने के भीतर अपनी एसआईटी जांच टीम की मदद से 29 फाइलों की जांच पूरी कर ली है. इतना ही नहीं आईजी अभिनव कुमार ने 7 जिलों में चलने वाली अपनी एसआईटी जांच टीम को आगामी मार्च 2021 तक पूरे घोटाले से जुड़ी 300 से ज्यादा फाइलों के जांच पूरा करने का टास्क दिया हुआ है.

सिडकुल घोटाले की जांच को लेकर जानकारी देते आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार.

ये भी पढ़ेंः मेरठ NCERT डुप्लीकेट बुक्स मामला: उत्तराखंड एसटीएफ सतर्क, यूपी से मांगी जानकारी

आईजी गढ़वाल अभिनय कुमार के नेतृत्व में चल रही सिडकुल घोटाले जांच की शनिवार को समीक्षा की गई. जिसमें से 29 फाइलों की जांच पूरी होने की आधिकारिक जानकारी सामने आई है. आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार के मुताबिक साल 2012-13 के घोटाले से जुड़ी 29 फाइलों की जांच में भारी अनियमितताएं और गड़बड़ी पाई गई है. जो इस प्रकार है.

  1. अधिकार ना होने के बावजूद निचले अधिकारी की ओर से सिडकुल के बड़े निर्माण कार्यों के टेंडरों की स्वीकृति दी गई. यानी जितनी धनराशि का स्वीकृति देने का अधिकार था, उससे ज्यादा धनराशि का निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया.
  2. सिडकुल निर्माण की कुछेक फाइलों में एमओयू को लेकर अनिमिताएं पाई गई है. यानी जिस काम में एमओयू में दो पक्षों के हस्ताक्षर होने थे, उसमें एक ही हस्ताक्षर है और जिसके हस्ताक्षर हैं, उसे नियमानुसार वो अधिकार नहीं है.
  3. सिडकुल निर्माण घोटालें से जुड़ी कई फाइलों में मेजरमेंट को लेकर SIT जांच में गड़बड़ी पाई गई है. यानी कुछ निर्माण कार्यों का मेजरमेंट या तो है ही नहीं, जिसके हैं तो उसका रखरखाव सही से नहीं रखा गया है.
  4. सिडकुल निर्माण कार्य के कुछ जांच फाइलों में गुणवत्ता को लेकर गड़बड़ी सामने आई है. यानी निर्माण कार्य में गुणवत्ता को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ भी फाइलों में अंकित नहीं किया गया है.
  5. सिडकुल निर्माण की कुछेक जांच फाइलों में अभी तक हैंडओवर और टेकओवर की कोई कार्रवाई पूरी नहीं की गई है.
  6. सिडकुल निर्माण घोटाले की कुछ फाइलों में तय सीमा से कई अधिक समय लेकर विलंब से कार्य किया गया है. यानी विलंब कार्य को आगे हस्तांतरण करते समय नियमानुसार किसी तरह की कोई पेनल्टी जो लगनी थी. वो नहीं लगाई गई है.

इन जिलों की इतने फाइलों की जांच हुई पूरी-

  1. देहरादून- 7
  2. हरिद्वार- 3
  3. उधम सिंह नगर -6
  4. पौड़ी- 8
  5. नैनीताल -2
  6. अल्मोड़ा- 1
  7. पिथौरागढ़-2

सिडकुल अधिकारियों को दिया जाएगा अंतिम बार सफाई का मौकाः IG

वहीं, आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने बताया कि इन फाइलों में भारी गड़बड़ी और अनियमितताएं पाई गई है. इसके बावजूद सिडकुल से संबंधित अधिकारियों को संपर्क साधकर उन्हें आखिरी बार सफाई देने का मौका दिया जा रहा है. जैसे ही संबंधित सिडकुल अधिकारियों का मामले में जवाब आता है तो उसी के अनुसार गड़बड़ी और अनिमिताएं वाली फाइलों को प्वाइंट आउट कर शासन को अवगत कराया जाएगा. उसके बाद शासन स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर मुकदमा दर्ज करने और अन्य तरह की कार्रवाई का निर्णय हो सकेगा.

क्या है सिडकुल घोटाला

साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल की ओर से उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में निर्माण कार्य कराए गए थे. जिसमें मानकों के विपरीत करीब 80 फीसदी से ज्यादा के काम उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ठेके आवंटित किए गए थे. जो जांच के मुख्य पहलू हैं. इसी निर्माण कार्यों के दौरान ऑडिट कराए जाने पर घोर अनियमितताएं सामने आई थी. सरकारी धन के दुरुपयोग करने से लेकर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था.

इतना ही नहीं सिडकुल में वेतन निर्धारण और अलग-अलग पदों में भर्ती संबंधी मामले भी कई तरह के अनियमितताएं और घोटाले के रूप में पाया गया. इस घोटाले में टेंडर निर्माण और नियुक्तियों में करोड़ों का घोटाला सामने आया था. यह घोटाला करीब 1000 करोड़ का बताया जाता है. जिसमें निर्माणकार्यों में जमकर बंदरबांट हुई है. इस घोटाले में खासतौर पर उधम सिंह नगर सिडकुल में सबसे ज्यादा गड़बड़ी होने की आशंका जताई जा रही है.

देहरादूनः उत्तराखंड के बहुचर्चित सिडकुल घोटाले जांच से जुड़ी 300 से ज्यादा फाइलों में से 29 फाइलों की जांच एसआईटी ने पूरी कर ली है. साल 2012-13 के दौरान 7 जिलों से संबंधित रखने वाली इन फाइलों में भारी अनियमितता और गड़बड़झाला होने की जानकारी सामने आई है. एसआईटी अब इन 29 फाइलों की जांच रिपोर्ट प्वाइंट आउट कर शासन को भेजेगी. जिसे लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है. वहीं, इन फाइलों को लेकर सिडकुल संबंधित अधिकारियों को अंतिम बार सफाई देने का मौका भी दिया जा है.

बता दें कि यह जांच बीते लंबित चल रही थी. ऐसे में बीते 30 जून 2020 को आईपीएस अभिनव कुमार ने आईजी गढ़वाल रेंज का चार्ज संभाला. जिसके बाद उन्होंने डेढ़ महीने के भीतर अपनी एसआईटी जांच टीम की मदद से 29 फाइलों की जांच पूरी कर ली है. इतना ही नहीं आईजी अभिनव कुमार ने 7 जिलों में चलने वाली अपनी एसआईटी जांच टीम को आगामी मार्च 2021 तक पूरे घोटाले से जुड़ी 300 से ज्यादा फाइलों के जांच पूरा करने का टास्क दिया हुआ है.

सिडकुल घोटाले की जांच को लेकर जानकारी देते आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार.

ये भी पढ़ेंः मेरठ NCERT डुप्लीकेट बुक्स मामला: उत्तराखंड एसटीएफ सतर्क, यूपी से मांगी जानकारी

आईजी गढ़वाल अभिनय कुमार के नेतृत्व में चल रही सिडकुल घोटाले जांच की शनिवार को समीक्षा की गई. जिसमें से 29 फाइलों की जांच पूरी होने की आधिकारिक जानकारी सामने आई है. आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार के मुताबिक साल 2012-13 के घोटाले से जुड़ी 29 फाइलों की जांच में भारी अनियमितताएं और गड़बड़ी पाई गई है. जो इस प्रकार है.

  1. अधिकार ना होने के बावजूद निचले अधिकारी की ओर से सिडकुल के बड़े निर्माण कार्यों के टेंडरों की स्वीकृति दी गई. यानी जितनी धनराशि का स्वीकृति देने का अधिकार था, उससे ज्यादा धनराशि का निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया.
  2. सिडकुल निर्माण की कुछेक फाइलों में एमओयू को लेकर अनिमिताएं पाई गई है. यानी जिस काम में एमओयू में दो पक्षों के हस्ताक्षर होने थे, उसमें एक ही हस्ताक्षर है और जिसके हस्ताक्षर हैं, उसे नियमानुसार वो अधिकार नहीं है.
  3. सिडकुल निर्माण घोटालें से जुड़ी कई फाइलों में मेजरमेंट को लेकर SIT जांच में गड़बड़ी पाई गई है. यानी कुछ निर्माण कार्यों का मेजरमेंट या तो है ही नहीं, जिसके हैं तो उसका रखरखाव सही से नहीं रखा गया है.
  4. सिडकुल निर्माण कार्य के कुछ जांच फाइलों में गुणवत्ता को लेकर गड़बड़ी सामने आई है. यानी निर्माण कार्य में गुणवत्ता को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ भी फाइलों में अंकित नहीं किया गया है.
  5. सिडकुल निर्माण की कुछेक जांच फाइलों में अभी तक हैंडओवर और टेकओवर की कोई कार्रवाई पूरी नहीं की गई है.
  6. सिडकुल निर्माण घोटाले की कुछ फाइलों में तय सीमा से कई अधिक समय लेकर विलंब से कार्य किया गया है. यानी विलंब कार्य को आगे हस्तांतरण करते समय नियमानुसार किसी तरह की कोई पेनल्टी जो लगनी थी. वो नहीं लगाई गई है.

इन जिलों की इतने फाइलों की जांच हुई पूरी-

  1. देहरादून- 7
  2. हरिद्वार- 3
  3. उधम सिंह नगर -6
  4. पौड़ी- 8
  5. नैनीताल -2
  6. अल्मोड़ा- 1
  7. पिथौरागढ़-2

सिडकुल अधिकारियों को दिया जाएगा अंतिम बार सफाई का मौकाः IG

वहीं, आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने बताया कि इन फाइलों में भारी गड़बड़ी और अनियमितताएं पाई गई है. इसके बावजूद सिडकुल से संबंधित अधिकारियों को संपर्क साधकर उन्हें आखिरी बार सफाई देने का मौका दिया जा रहा है. जैसे ही संबंधित सिडकुल अधिकारियों का मामले में जवाब आता है तो उसी के अनुसार गड़बड़ी और अनिमिताएं वाली फाइलों को प्वाइंट आउट कर शासन को अवगत कराया जाएगा. उसके बाद शासन स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर मुकदमा दर्ज करने और अन्य तरह की कार्रवाई का निर्णय हो सकेगा.

क्या है सिडकुल घोटाला

साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल की ओर से उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में निर्माण कार्य कराए गए थे. जिसमें मानकों के विपरीत करीब 80 फीसदी से ज्यादा के काम उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ठेके आवंटित किए गए थे. जो जांच के मुख्य पहलू हैं. इसी निर्माण कार्यों के दौरान ऑडिट कराए जाने पर घोर अनियमितताएं सामने आई थी. सरकारी धन के दुरुपयोग करने से लेकर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था.

इतना ही नहीं सिडकुल में वेतन निर्धारण और अलग-अलग पदों में भर्ती संबंधी मामले भी कई तरह के अनियमितताएं और घोटाले के रूप में पाया गया. इस घोटाले में टेंडर निर्माण और नियुक्तियों में करोड़ों का घोटाला सामने आया था. यह घोटाला करीब 1000 करोड़ का बताया जाता है. जिसमें निर्माणकार्यों में जमकर बंदरबांट हुई है. इस घोटाले में खासतौर पर उधम सिंह नगर सिडकुल में सबसे ज्यादा गड़बड़ी होने की आशंका जताई जा रही है.

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