देहरादून: उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में जैसे-जैसे एसआईटी की जांच आगे बढ़ती जा रही है वैसे ही आरोपियों पर शिकंजा कसता जा रहा है. एसआईटी जल्द ही देहरादून के 9 शिक्षण संस्थानों पर कार्रवाई कर सकती है, जहां फर्जी तरीखे के छात्र-छात्राओं का एडमिशन दिखाकर समाज कल्याण विभाग को करोड़ों रुपए का चुना लगाया गया है.
देहरादून के 9 संस्थान एसआईटी की रडार पर
एसआईटी को देहरादून के 9 संस्थाओं के खिलाफ कई अहम सबूत मिले हैं. उन्हीं को आधार बनाकर एसआईटी इन संस्थानों के ऊपर कार्रवाई करने जा रही है. इस मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी के मुताबिक एसआईटी राडर पर देहरादून के 9 संस्थान हैं. इन संस्थानों में करीब 25 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ है. हालांकि आगे की विवेचना में यह रकम और बढ़ने की उम्मीद है.
एक महीन के अंदर हो सकती है कार्रवाई
इससे पहले छात्रवृत्ति घोटाले में एसआईटी हरिद्वार के तीन निजी संस्थानों के संचालकों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है, एक महीन के अंदर एसआईटी देहरादून के इन 9 शिक्षक संस्थानों पर भी शिकंजा कस सकती है.
कई सफेदपोश राजनेता भी शामिल
तत्कालीन हरीश रावत सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटले में कई कॉलेज ऐसे भी हैं, जिनका संबंध राजनेताओं से है. हालांकि एसआईटी अभी ऐसे संस्थानों पर हाथ डालने से बच रही है. लेकिन यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच होती है तो कई सफेदपोश नेता भी पुलिस की गिरफ्त में होंगे.
समाज कल्यान विभाग के अधिकारी भी शामिल
इस घोटले में एसआईटी को कई ऐसे साक्ष्य भी मिले है. जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर छात्रवृत्ति का पैसे छात्र-छात्राओं के बैंक अकाउंट के बजाय सीधे निजी कॉलेजों के बैंक खाते में ट्रांसफर किया. नियम के मुताबिक छात्रवृत्ति का पैसा सीधा छात्रों को बैंक खाता में जाना चाहिए था. इसके अवाला एसआईटी की जांच-पड़ताल में सामने आया है कि एक ही मोबाइल नंबर और एक ही आईडी पर सैकड़ों छात्र-छात्राओं को फर्जी तरीखे से एडमिशन दिया गया है.
ईटीवी भारत को इस घोटाले से जुड़ी एक अहम जानकारी भी मिली है. जांच कर रही टीम को पता चला है कि डोइवाला में स्थित एक शिक्षण संस्थान ने छात्रवृत्ति की रकम बैंक से निकालने की कोशिश की थी. लेकिन बैंक मैनेजर ने शक के आधार पर रुपयों को निकालने नहीं दिया था. इससे शिक्षण संस्थान के संचालक ने वो रकम हिमाचल के एक बैंक निकाली थी.
डीजी लॉ एंड आर्डर का बयान
इस मालमे में डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार ने बताया कि एसआईटी की जांच निष्पक्ष तौर पर चल रही थी. इसकी जांच में समय लग रहा है. इस मामले में हरिद्वार और देहरादून के कई नामी शिक्षण जांच के घेरे में है. जो भी अधिकारी और शिक्षण संस्थान इस घोटाले में दोषी पाया जाएंगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.