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मसूरी में शुभदर्शनी सिंह की सोलो प्रदर्शनी का आयोजन, जीवन और प्राकृतिक नजारों से संबंधित पेटिंग्स ने मोहा मन

exhibition organized in Mussoorie मसूरी के लंढौर क्षेत्र के परेड प्वाइंट कॉटेज में आर्ट स्पेस द्वारा शुभदर्शनी सिंह की सोलो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.जीवन और प्राकृतिक नजारों से संबंधित पेटिंग्स ने लोगों का मन मोह लिया.

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Published : Aug 13, 2023, 11:47 AM IST

मसूरी: आर्ट स्पेस द्वारा शुभदर्शनी सिंह की सोलो प्रदर्शनी को मसूरी के लंढौर क्षेत्र के परेड प्वाइंट कॉटेज में आयोजित किया गया. प्रदर्शनी का उद्घाटन लेखक गणेश शैली ने किया. प्रदर्शनी में लगीं पेटिंग्स में जीवन के खूबसूरत रंगों को बयां किया गया है. प्राकृतिक नजारों, ख्वाहिशों की उड़ान और भूली बिसरी यादों का पेटिंग्स में समागम है.

exhibition organized in Mussoorie
शुभदर्शनी सिंह द्वारा बनाई गई पेटिंग

बता दें कि शुभदर्शनी सिंह ने कई देवी देवताओं को अनोखे रंगों से कैनवास में उकेरा है, जिसे देखकर सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. उन्होंने कोविड काल में घर में रहकर विभिन्न रंगों से इन पेंटिंग्स को बनाया है. शुभदर्शनी ने चंडीगढ़ से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है. जिसके बाद उन्होंने कुछ वर्षों तक विज्ञापन एजेंसियों में कॉपीराइटर और प्रिंट जर्नलिस्ट के रूप में काम किया.

exhibition organized in Mussoorie
शुभदर्शनी सिंह द्वारा बनाई गई पेटिंग

वह समन्वयक के रूप में टीवी प्रोडक्शन में चली गईं और फिर कई शैलियों में विभिन्न कार्यक्रमों के लिए निर्माता, निर्देशक, स्क्रिप्ट निर्देशक के रूप में काम करने लगीं.वह प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड के जीवन पर आधारित टीवी श्रृंखला एक था रस्टी के लिए प्रसिद्ध हैं. उनकी पहली एकल प्रदर्शनी मेडिकल आर्ट पर 2009 में आर्ट गैलरी, नई दिल्ली में आयोजित हुई थी. जिसके बाद उन्होंने नई दिल्ली और भारत भवन में कई कला प्रदर्शनियां लगाई.

शुभदर्शनी सिंह ने बताया कि वह एक आउटसाइडर आर्टिस्ट हैं. उन्होंने किसी प्रकार की पेंटिंग को लेकर ट्रेनिंग नहीं ली है. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा भगवान और पशु-पक्षियों के चित्र बनाए गए हैं, उसको लेकर उनके द्वारा काफी गहन अध्ययन भी किया गया है. वहीं, कई पेंटिंग उनकी परिकल्पना पर आधारित हैं, क्योंकि जो उनके मन में आता था. वह उसको कैनवास पर उकेर देती थी.

ये भी पढ़ें: Watch: जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में कैलीग्राफी प्रदर्शनी का आयोजन, कार्पेट और कैलीग्राफी के हुनर का अनूठा संगम

मुख्य अतिथि गणेश शैली और सुरभि अग्रवाल ने कहा कि कलाकार की कला के पीछे कितनी कठिन साधना छिपी होती है, इसका अनुमान उस कलाकार से अधिक बेहतर और कोई नहीं समझ सकता. किसी कलाकार की कलाकृति का अवलोकन करने वाला दर्शक केवल उस कलाकृति की खूबसूरती और गुण की चर्चा करता है, लेकिन इसके पीछे छिपे संघर्ष और कष्ट की कल्पना नहीं कर पाता.

ये भी पढ़ें: बागेश्वर में एक भारत श्रेष्ठ भारत पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का आयोजन, विजेता हुए पुरस्कृत

मसूरी: आर्ट स्पेस द्वारा शुभदर्शनी सिंह की सोलो प्रदर्शनी को मसूरी के लंढौर क्षेत्र के परेड प्वाइंट कॉटेज में आयोजित किया गया. प्रदर्शनी का उद्घाटन लेखक गणेश शैली ने किया. प्रदर्शनी में लगीं पेटिंग्स में जीवन के खूबसूरत रंगों को बयां किया गया है. प्राकृतिक नजारों, ख्वाहिशों की उड़ान और भूली बिसरी यादों का पेटिंग्स में समागम है.

exhibition organized in Mussoorie
शुभदर्शनी सिंह द्वारा बनाई गई पेटिंग

बता दें कि शुभदर्शनी सिंह ने कई देवी देवताओं को अनोखे रंगों से कैनवास में उकेरा है, जिसे देखकर सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. उन्होंने कोविड काल में घर में रहकर विभिन्न रंगों से इन पेंटिंग्स को बनाया है. शुभदर्शनी ने चंडीगढ़ से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है. जिसके बाद उन्होंने कुछ वर्षों तक विज्ञापन एजेंसियों में कॉपीराइटर और प्रिंट जर्नलिस्ट के रूप में काम किया.

exhibition organized in Mussoorie
शुभदर्शनी सिंह द्वारा बनाई गई पेटिंग

वह समन्वयक के रूप में टीवी प्रोडक्शन में चली गईं और फिर कई शैलियों में विभिन्न कार्यक्रमों के लिए निर्माता, निर्देशक, स्क्रिप्ट निर्देशक के रूप में काम करने लगीं.वह प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड के जीवन पर आधारित टीवी श्रृंखला एक था रस्टी के लिए प्रसिद्ध हैं. उनकी पहली एकल प्रदर्शनी मेडिकल आर्ट पर 2009 में आर्ट गैलरी, नई दिल्ली में आयोजित हुई थी. जिसके बाद उन्होंने नई दिल्ली और भारत भवन में कई कला प्रदर्शनियां लगाई.

शुभदर्शनी सिंह ने बताया कि वह एक आउटसाइडर आर्टिस्ट हैं. उन्होंने किसी प्रकार की पेंटिंग को लेकर ट्रेनिंग नहीं ली है. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा भगवान और पशु-पक्षियों के चित्र बनाए गए हैं, उसको लेकर उनके द्वारा काफी गहन अध्ययन भी किया गया है. वहीं, कई पेंटिंग उनकी परिकल्पना पर आधारित हैं, क्योंकि जो उनके मन में आता था. वह उसको कैनवास पर उकेर देती थी.

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मुख्य अतिथि गणेश शैली और सुरभि अग्रवाल ने कहा कि कलाकार की कला के पीछे कितनी कठिन साधना छिपी होती है, इसका अनुमान उस कलाकार से अधिक बेहतर और कोई नहीं समझ सकता. किसी कलाकार की कलाकृति का अवलोकन करने वाला दर्शक केवल उस कलाकृति की खूबसूरती और गुण की चर्चा करता है, लेकिन इसके पीछे छिपे संघर्ष और कष्ट की कल्पना नहीं कर पाता.

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