ETV Bharat / state

SCPCR Uttarakhand: बाल संरक्षण आयोग में स्टाफ की कमी, क्लर्क से लेकर अध्यक्ष का काम संभाल रहीं गीता खन्ना!

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना को क्लर्क से लेकर अध्यक्ष का काम करना पड़ रहा है. दरअसल, आयोग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. आयोग के पास न तो सचिव है न ही कोई अनुसचिव. ऐसे में सारे काम गीता खन्ना को ही करने पड़ रहे हैं. वो स्टाफ की समस्या को लेकर कई बार सीएम धामी को पत्र भेज चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. जिससे आयोग में फाइलों की ढेर लग गई है.

SCPCR Chairman Geeta Khanna
गीता खन्ना
author img

By

Published : Jan 30, 2023, 4:45 PM IST

बिना सचिव-अनुसचिव के चल रहा बाल संरक्षण आयोग.

देहरादूनः उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग का गठन साल 2011 में किया गया था. उस दौरान बाल संरक्षण आयोग का गठन करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि बच्चों के संरक्षण के लिए आयोग पूरी तरह से समर्पित होगा. ताकि जिस तरह से तमाम शिकायतें स्कूलों से आ रही हैं या फिर अन्य जगहों से आ रही है. उसका निस्तारण सही समय पर किया जा सके, लेकिन पिछले कुछ महीनों से बाल संरक्षण आयोग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. जिसके चलते काम करने में तमाम दिक्कतें आ रही हैं.

दरअसल, पिछले 5 महीने से बाल संरक्षण आयोग के पास सचिव नहीं है. जबकि, 2 महीने से अनु सचिव नहीं है. हालांकि, यह मामला शासन स्तर पर लटकी हुई है. जिसके चलते अभी तक बाल संरक्षण आयोग को न ही सचिव मिल पाया है और न ही कोई अनुसचिव है. लिहाजा, बाल संरक्षण आयोग शासन में अटकी फाइल सिस्टम से परेशान है. जिसको लेकर बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात कर चुकी है. ताकि जल्द से जल्द आयोग को अधिकारी मिल सके.
ये भी पढ़ेंः पहाड़ी इलाकों से लड़कियों की तस्करी चिंताजनक, स्पा और मसाज सेंटर के लिए जल्द लागू होंगे नियम

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने कहा कि वो कई बार शासन को लेटर लिख चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. लिहाजा, क्लर्क से लेकर अध्यक्ष तक के काम उन्हें ही करने पड़ रहे हैं. जिसके चलते रूटीन और केस वर्कआउट करने में दिक्कतें आ रही हैं.

बता दें कि उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग में 60 फीसदी शिकायतें स्कूलों से संबंधित हैं, लेकिन स्टाफ न होने के चलते काम नहीं हो पा रहा है. गीता खन्ना का कहना है कि अधिकारियों के न होने के चलते जो पत्रावली और विभागों से समन्वय बनाने का काम होता है, उसका काम पूरी तरह से खत्म हो गया है.
ये भी पढ़ेंः बच्चों में नशे की लत चिंताजनक, बाल संरक्षण आयोग शिक्षकों और नौनिहालों को कर रहा प्रशिक्षित

बिना सचिव-अनुसचिव के चल रहा बाल संरक्षण आयोग.

देहरादूनः उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग का गठन साल 2011 में किया गया था. उस दौरान बाल संरक्षण आयोग का गठन करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि बच्चों के संरक्षण के लिए आयोग पूरी तरह से समर्पित होगा. ताकि जिस तरह से तमाम शिकायतें स्कूलों से आ रही हैं या फिर अन्य जगहों से आ रही है. उसका निस्तारण सही समय पर किया जा सके, लेकिन पिछले कुछ महीनों से बाल संरक्षण आयोग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. जिसके चलते काम करने में तमाम दिक्कतें आ रही हैं.

दरअसल, पिछले 5 महीने से बाल संरक्षण आयोग के पास सचिव नहीं है. जबकि, 2 महीने से अनु सचिव नहीं है. हालांकि, यह मामला शासन स्तर पर लटकी हुई है. जिसके चलते अभी तक बाल संरक्षण आयोग को न ही सचिव मिल पाया है और न ही कोई अनुसचिव है. लिहाजा, बाल संरक्षण आयोग शासन में अटकी फाइल सिस्टम से परेशान है. जिसको लेकर बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात कर चुकी है. ताकि जल्द से जल्द आयोग को अधिकारी मिल सके.
ये भी पढ़ेंः पहाड़ी इलाकों से लड़कियों की तस्करी चिंताजनक, स्पा और मसाज सेंटर के लिए जल्द लागू होंगे नियम

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने कहा कि वो कई बार शासन को लेटर लिख चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. लिहाजा, क्लर्क से लेकर अध्यक्ष तक के काम उन्हें ही करने पड़ रहे हैं. जिसके चलते रूटीन और केस वर्कआउट करने में दिक्कतें आ रही हैं.

बता दें कि उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग में 60 फीसदी शिकायतें स्कूलों से संबंधित हैं, लेकिन स्टाफ न होने के चलते काम नहीं हो पा रहा है. गीता खन्ना का कहना है कि अधिकारियों के न होने के चलते जो पत्रावली और विभागों से समन्वय बनाने का काम होता है, उसका काम पूरी तरह से खत्म हो गया है.
ये भी पढ़ेंः बच्चों में नशे की लत चिंताजनक, बाल संरक्षण आयोग शिक्षकों और नौनिहालों को कर रहा प्रशिक्षित

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.