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मसूरीः शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों ने की विस्थापन मांग, अनिश्चितकालीन धरना शुरू

मसूरी में शिफन कोर्ट से बेघर हुए 84 परिवारों ने विस्थापन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि छत नहीं होने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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शिफन कोर्ट
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Published : Oct 5, 2020, 6:15 PM IST

मसूरीः शिफन कोर्ट से बेघर हुए 84 परिवारों के विस्थापन की मांग तेज हो गई है. पीड़ित परिवारों ने विस्थापन की मांग को लेकर आज से शहीद स्थल पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इस दौरान उन्होंने सरकार, क्षेत्रीय विधायक और पालिका अध्यक्ष के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. उन्होंने सरकार पर अनदेखी के साथ षड्यंत्र के तहत बेघर करने का आरोप भी लगाया. वहीं, उन्होंने मांगे पूरी न होने तक धरना प्रदर्शन जारी रखने की बात कही.

शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों ने की विस्थापन मांग.

पीड़ित परिवारों का कहना है कि सरकार ने उन्हें बेघर कर दिया है. वो बीते 24 अक्टूबर से नगर पालिका प्रशासन और सरकार से बेघर हुए लोगों को विस्थापित करने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन उनके विस्थापन को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. ऐसे में सभी पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे और पार्किंग में रहने को मजबूर है. जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ेंः हाई वोल्टेज ड्रामा: महिला पर्यटक ने की पुलिसकर्मियों से हाथापाई, SI पर हमला

उनका कहना है कि परिवार के कई बुजुर्ग सदस्य बीमार हैं. कोरोना संक्रमण भी लगातार फैल रहा है. ऐसे में सरकार उन्हें जल्द विस्थापित करें. स्थानीय जनप्रतिनिधि रजत अग्रवाल, प्रदीप भंडारी, बिल्लू बाल्मीकि ने कहा कि बेघर हुए परिवारों को विस्थापित करने के लिए जमीन मांगी जा रही है, लेकिन इस दिशा में कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. क्षेत्रीय विधायक भी पूरे मामले में चुप हैं. प्रशासन जबतक उन्हें लिखित रूप में विस्थापन की कार्रवाई नहीं करता है, तब तक उनका धरना जारी रहेगा.

ये है मामला
दरअसल, पुरूकुल रोपवे परियोजना के तहत मसूरी के शिफन कोर्ट में प्लेटफार्म बनाया जाना है. जहां शिफन कोर्ट में सरकारी भूमि पर करीब 84 परिवारों ने अवैध कब्जा किया था. जिसे खाली करने को लेकर साल 2018 में मसूरी नगर पालिका ने अवैध कब्जाधारियों को नोटिस दिया था. जिसके बाद कब्जाधारी उच्च न्यायालय से स्टे लेकर आए थे. स्टे के बाद प्रशासन ने कार्रवाई रोक दी थी.

बीते 17 अगस्त 2020 को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद उस स्टे को खारिज कर दिया. जिसके बाद एडीएम अरविंद पांडे के नेतृत्व में प्रशासन ने अतिक्रमण हटवाया. उस दौरान जमकर विरोध-प्रदर्शन भी हुआ. जबकि, इन सभी परिवारों को विभिन्न जगहों पर शिफ्ट गया था. तब से ही सभी पीड़ित परिवार विस्थापन की मांग कर रहे हैं. हालांकि, विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनैतिक पार्टियों ने इन परिवारों के समर्थन प्रशासन के खिलाफ धरना भी दिया.

मसूरीः शिफन कोर्ट से बेघर हुए 84 परिवारों के विस्थापन की मांग तेज हो गई है. पीड़ित परिवारों ने विस्थापन की मांग को लेकर आज से शहीद स्थल पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इस दौरान उन्होंने सरकार, क्षेत्रीय विधायक और पालिका अध्यक्ष के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. उन्होंने सरकार पर अनदेखी के साथ षड्यंत्र के तहत बेघर करने का आरोप भी लगाया. वहीं, उन्होंने मांगे पूरी न होने तक धरना प्रदर्शन जारी रखने की बात कही.

शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों ने की विस्थापन मांग.

पीड़ित परिवारों का कहना है कि सरकार ने उन्हें बेघर कर दिया है. वो बीते 24 अक्टूबर से नगर पालिका प्रशासन और सरकार से बेघर हुए लोगों को विस्थापित करने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन उनके विस्थापन को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. ऐसे में सभी पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे और पार्किंग में रहने को मजबूर है. जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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उनका कहना है कि परिवार के कई बुजुर्ग सदस्य बीमार हैं. कोरोना संक्रमण भी लगातार फैल रहा है. ऐसे में सरकार उन्हें जल्द विस्थापित करें. स्थानीय जनप्रतिनिधि रजत अग्रवाल, प्रदीप भंडारी, बिल्लू बाल्मीकि ने कहा कि बेघर हुए परिवारों को विस्थापित करने के लिए जमीन मांगी जा रही है, लेकिन इस दिशा में कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. क्षेत्रीय विधायक भी पूरे मामले में चुप हैं. प्रशासन जबतक उन्हें लिखित रूप में विस्थापन की कार्रवाई नहीं करता है, तब तक उनका धरना जारी रहेगा.

ये है मामला
दरअसल, पुरूकुल रोपवे परियोजना के तहत मसूरी के शिफन कोर्ट में प्लेटफार्म बनाया जाना है. जहां शिफन कोर्ट में सरकारी भूमि पर करीब 84 परिवारों ने अवैध कब्जा किया था. जिसे खाली करने को लेकर साल 2018 में मसूरी नगर पालिका ने अवैध कब्जाधारियों को नोटिस दिया था. जिसके बाद कब्जाधारी उच्च न्यायालय से स्टे लेकर आए थे. स्टे के बाद प्रशासन ने कार्रवाई रोक दी थी.

बीते 17 अगस्त 2020 को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद उस स्टे को खारिज कर दिया. जिसके बाद एडीएम अरविंद पांडे के नेतृत्व में प्रशासन ने अतिक्रमण हटवाया. उस दौरान जमकर विरोध-प्रदर्शन भी हुआ. जबकि, इन सभी परिवारों को विभिन्न जगहों पर शिफ्ट गया था. तब से ही सभी पीड़ित परिवार विस्थापन की मांग कर रहे हैं. हालांकि, विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनैतिक पार्टियों ने इन परिवारों के समर्थन प्रशासन के खिलाफ धरना भी दिया.

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