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शांति दिवस में रूप में मनाएं शौर्य दिवसः स्वामी चिदानंद - swami chidanand statement on shaurya diwas

परमार्थ निकेतन में शौर्य दिवस पर शांति यज्ञ का आयोजन किया गया. इस मौके पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद ने कहा कि हमे शौर्य दिवस शांति दिवस के रूप में मनाना चाहिए.

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शांति दिवस में रुप में मनाए शौर्य दिवसः
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Published : Dec 6, 2019, 7:51 PM IST

Updated : Dec 6, 2019, 8:05 PM IST

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में शौर्य दिवस शान्ति दिवस के रूप में मनाया गया. मां गंगा के पावन तट पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक दिनेश, संगठन मंत्री मनोज वर्मा और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने शान्ति हवन किया. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वर्ष 1992 से 6 दिसम्बर का दिन भारत में शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज हमारे राष्ट्र में शौर्य दिवस को शान्ति दिवस के रूप में मनाने की जरूरत है. आज पूरे राष्ट्र को इसकी बेहद आवश्यकता भी है.

पढ़ेंः स्थापना दिवस पर होमगार्ड्स को मिला तोहफा, CM ने की भत्तों में बढ़ोतरी की घोषणा

स्वामी चिदानन्द ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से भगवान राम के मन्दिर निर्माण के द्वार तो खुले परन्तु हमारे दिलों में जो भी छोटी-छोटी दरारें हैं, उन्हें भरने के लिए राष्ट्र निर्माण का संदेश बेहद जरूरी है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के देश के प्रति योगदान को भी याद किया. स्वामी चिदानंद ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए सभी संप्रदाय के लोगों का एकता का परिचय देना राष्ट्र निर्माण की दिशा में बड़ा कदम है.

पढ़ेंः रुद्रप्रयाग: महोत्सव के समापन के मौके पर लोक गीतों पर जमकर थिरके दर्शक

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि अब हमारा उद्देश्य शान्ति के आदर्शों पर चलना और शान्ति की स्थापना होनी चाहिए. अंहिसा के लिये शान्ति की स्थापना आवश्यक है. अब हम सभी का यही प्रयत्न हो कि हमारा राष्ट्र प्रगति करे. ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि हम जातिवाद और संप्रदायवाद के आधार पर नहीं बल्कि शान्ति और सौहार्द के साथ आगे बढ़ें.

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में शौर्य दिवस शान्ति दिवस के रूप में मनाया गया. मां गंगा के पावन तट पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक दिनेश, संगठन मंत्री मनोज वर्मा और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने शान्ति हवन किया. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वर्ष 1992 से 6 दिसम्बर का दिन भारत में शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज हमारे राष्ट्र में शौर्य दिवस को शान्ति दिवस के रूप में मनाने की जरूरत है. आज पूरे राष्ट्र को इसकी बेहद आवश्यकता भी है.

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स्वामी चिदानन्द ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से भगवान राम के मन्दिर निर्माण के द्वार तो खुले परन्तु हमारे दिलों में जो भी छोटी-छोटी दरारें हैं, उन्हें भरने के लिए राष्ट्र निर्माण का संदेश बेहद जरूरी है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के देश के प्रति योगदान को भी याद किया. स्वामी चिदानंद ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए सभी संप्रदाय के लोगों का एकता का परिचय देना राष्ट्र निर्माण की दिशा में बड़ा कदम है.

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स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि अब हमारा उद्देश्य शान्ति के आदर्शों पर चलना और शान्ति की स्थापना होनी चाहिए. अंहिसा के लिये शान्ति की स्थापना आवश्यक है. अब हम सभी का यही प्रयत्न हो कि हमारा राष्ट्र प्रगति करे. ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि हम जातिवाद और संप्रदायवाद के आधार पर नहीं बल्कि शान्ति और सौहार्द के साथ आगे बढ़ें.

Intro:ऋषिकेश-- परमार्थ निकेतन में शौर्य दिवस को शान्ति दिवस के रूप में मनाया गया। माँ गंगा के पावन तट पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, विश्व हिन्दु परिषद् के संरक्षक दिनेश , संगठन मंत्री मनोज वर्मा, क्षेत्रीय संगठन मंत्री नितिन गौतम और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने शान्ति हवन किया, स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वर्ष 1992 से 6 दिसम्बर का दिन भारत में लोग शौर्य दिवस के रूप में मनाते आ रहे है। आज हमारे राष्ट्र में शौर्य दिवस को शान्ति दिवस के रूप में मनाने की जरूरत है। 1992 से अभी तक हिन्दू धर्म के लोग 6 दिसम्बर को शौर्य दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं, मेरा तो मानना है कि अब 6 दिसम्बर 2019 से इसे पूरा देश एक साथ शान्ति दिवस के रूप में मनाये क्योंकि शान्ति की स्थापना ही सबसे बड़ा शौर्य है और वीरता है और आज पूरे राष्ट्र को इसकी नितांत आवश्यकता भी है।







Body:वी/ओ--स्वामी चिदानन्द ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले से भगवान राम के मन्दिर निर्माण के द्वार तो खुले परन्तु हमारे दिलों में जो भी छोटी-छोटी दीवारे हैं; दरारे है उन्हे तोड़ते हुये और सभी के दिलों को जोड़ते हुये राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में लग जायें यही आज का संदेश है।उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अध्यक्ष मोहन भागवत को साधुवाद देते हुये कहा कि उन्होने जिस प्रकार पूरे देेश में अपने उद्बोधनों से एक माहौल बनाया, इसमें भारत के पूज्य संतों और भारत के प्रधानमंत्री नरेेन्द्र मोदी का भी अद्भुत एवं अभूतपूर्व योगदान रहा।जब सुप्रीम कोर्ट से राम मन्दिर निर्माण के हक में निर्णय आया तो पूरे देश ने उस समय जिस शालीनता और संयम का परिचय दिया इसके लिये स्वामी चिदानन्द ने विश्व हिन्दू परिषद् परिवार के सभी नेतृत्वकर्ता तथा कार्यकर्ता साथ ही इसमें सबसे अहम भूमिका निभाने वाले संतों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि दोनों सम्प्रदायों के लोगों ने उस समय जो शान्ति, सद्भाव, समरसता और एकता का परिचय दिया वह सभी साधुवाद के पात्र है। सभी ने भारत एक है और भारत श्रेष्ठ है का मंत्र सामने रखते हुये शान्ति बनायें रखी इसलिये आज का दिन शान्ति दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिये।





Conclusion:वी/ओ-- स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि अब हमारा उद्देश्य शान्ति के आदर्शो पर चलना तथा शान्ति की स्थापना होनी चाहिये। अंहिसा के लिये शान्ति की स्थापना आवश्यक है। अब हम सभी का यही प्रयत्न हो कि हमारा राष्ट्र प्रगति करे तथा उसके निवासी आनन्द, स्वतंत्रता और समानता के साथ मिलकर रहे। अब जातिवाद और सम्प्रदायवाद के आधार पर नहीं बल्कि शान्ति और सौहार्द के साथ आगे बढ़ें।



Last Updated : Dec 6, 2019, 8:05 PM IST

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