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हरिद्वार महाकुंभ का आधिकारिक श्रीगणेश, दो शाही स्नान पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण

देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में महाकुंभ मेले का आधिकारिक श्रीगणेश हो चुका है. इसके साथ ही 12 और 14 अप्रैल को एक दिन के अंतराल पर पड़ने वाले दो शाही स्नान पुलिस के चुनौतीपूर्ण रहेगा.

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हरिद्वार कुंभ का आधिकारिक श्रीगणेश
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Published : Apr 1, 2021, 1:37 AM IST

Updated : Apr 1, 2021, 5:10 PM IST

देहरादून: हरिद्वार महाकुंभ का आधिकारिक आगाज हो गया है. कोरोना वायरस की वजह से कुंभ को लेकर शासन और प्रशासन सख्त नजर आ रही है. इसीलिए सरकार एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक महाकुंभ का आयोजन कर रही है. कोरोना के बीच भीड़ को नियंत्रित करते हुए नियमों का पालन करना उत्तराखंड पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा.

दो शाही स्नान चुनौतीपूर्ण

12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल को मेष सक्रांति और बैशाखी का शाही स्नान है. जबकि 13 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का पर्व स्नान है. इसलिए तीनों दिन भीड़ उमड़नी तय है. पिछली बार के महाकुंभ में बैशाखी के स्नान पर एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान करने आए थे.

जानकारी देते डीजीपी अशोक कुमार.

सोमवती अमावस्या पर बन रहा विशेष संयोग

ज्योतिष शास्त्र में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार, सोमवार के दिन अमावस्या पड़ना बेहद शुभ माना जाता है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. इस दिन नदी में स्नान, जप, दान और तप करना बेहद शुभ होता है.

शास्त्रों के अनुसार, सोमवार चंद्रमा का दिन होता है और इस दिन अमावस्या पड़ने पर सूर्य और चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं. इस खास संयोग को शास्त्रों में बेहद शुभ माना जाता है. इस साल सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को है और इसी दिन महाकुंभ में शाही स्नान भी है, खास बात यह है कि इस साल सोमवती अमावस्या केवल एक ही पड़ रही है. जिसके कारण कुंभ में इसका महत्व और बढ़ रहा है.

ये भी पढ़ें: जूना अखाड़े में दीक्षा लेंगे 1000 नागा संन्यासी, जानें क्या होती हैं प्रक्रियाएं

हरिद्वार महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए उत्तराखंड पुलिस यूपी, हरियाणा, हिमाचल और पंजाब पुलिस के साथ बॉर्डर क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रण करने में जुटी है. इसके साथ ही पुलिस हरिद्वार कंट्रोल रूप से बॉर्डर एरिया की निगरानी कर रही है.

डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि महाकुंभ के लिए उत्तराखंड पुलिस ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. केंद्र और राज्यों से मिलने वाली सुरक्षा बलों की कमी महसूस की जा रही है. लेकिन प्रदेश के सभी जिलों से फोर्स को कुंभ की व्यवस्था के लिए तैनात किया गया है. डीजीपी का कहना है कि महाकुंभ में 12 और 14 अप्रैल को शाही स्नान के लिए पुलिस पूरी तरह से तैयार है. पुलिस महाशिवरात्रि के शाही स्नान के अनुभव के मुताबिक ही आगे की व्यवस्था बनाए हुए है.

महाकुंभ के लिए गाइडलाइंस

  1. 72 घंटे के अंदर की कोरोना रिपोर्ट लाना जरूरी होगा.
  2. पहले से कराए गए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का SMS दिखाना होगा.
  3. हेल्थ टेस्ट रिपोर्ट साथ होनी चाहिए.
  4. 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग और बीमारों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
  5. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु एक्टिव कंटेनमेंट जोन से न आते हों.

हरिद्वार कुंभ क्यों है खास

जब मेष राशि में सूर्य तथा कुंभ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होता है, तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. यह संयोग 2021 में दिखाई दे रहा है, लेकिन 2022 में ऐसा कोई संयोग नहीं बनता नजर आ रहा है. इसी कारण अखाड़ा परिषद ने हरिद्वार महाकुंभ को 2021 में ही आयोजित किए जाने का फैसला लिया है. इससे पहले साल 2010 के धर्मनगरी में आयोजित महाकुंभ में लगभग तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया था. शहर के बीच स्थित हरकी पैड़ी पर जब साधु-संतों की पेशवाई निकलती है तो श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर पूरी पेशवाई देखते हैं और पुष्प वर्षा कर संतों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

हरिद्वार में अमृत स्नान का विशेष महत्व
हरिद्वार में अमृत स्नान करने का शुभ अवसर आ गया है. मान्यता है कि इस अवसर के लिए देवी-देवता, साधु-संत और हिंदू धर्म को मानने वाले 12 साल इंतजार करते है. पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को लेकर जब देवताओं और असुरों में छीनाझपटी होने लगी तो अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार स्थानों पर गिरी थी. जिनमें हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन शामिल हैं. जिन स्थानों पर अमृत की बूंदे गिरी थीं, उन चारों स्थानों पर प्रत्येक 12 साल के बाद विशिष्ट ग्रह योग में कुंभ का आयोजन होता है. इसमें हरिद्वार महाकुंभ को सबसे खास माना जाता है.

देहरादून: हरिद्वार महाकुंभ का आधिकारिक आगाज हो गया है. कोरोना वायरस की वजह से कुंभ को लेकर शासन और प्रशासन सख्त नजर आ रही है. इसीलिए सरकार एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक महाकुंभ का आयोजन कर रही है. कोरोना के बीच भीड़ को नियंत्रित करते हुए नियमों का पालन करना उत्तराखंड पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा.

दो शाही स्नान चुनौतीपूर्ण

12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल को मेष सक्रांति और बैशाखी का शाही स्नान है. जबकि 13 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का पर्व स्नान है. इसलिए तीनों दिन भीड़ उमड़नी तय है. पिछली बार के महाकुंभ में बैशाखी के स्नान पर एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान करने आए थे.

जानकारी देते डीजीपी अशोक कुमार.

सोमवती अमावस्या पर बन रहा विशेष संयोग

ज्योतिष शास्त्र में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार, सोमवार के दिन अमावस्या पड़ना बेहद शुभ माना जाता है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. इस दिन नदी में स्नान, जप, दान और तप करना बेहद शुभ होता है.

शास्त्रों के अनुसार, सोमवार चंद्रमा का दिन होता है और इस दिन अमावस्या पड़ने पर सूर्य और चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं. इस खास संयोग को शास्त्रों में बेहद शुभ माना जाता है. इस साल सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को है और इसी दिन महाकुंभ में शाही स्नान भी है, खास बात यह है कि इस साल सोमवती अमावस्या केवल एक ही पड़ रही है. जिसके कारण कुंभ में इसका महत्व और बढ़ रहा है.

ये भी पढ़ें: जूना अखाड़े में दीक्षा लेंगे 1000 नागा संन्यासी, जानें क्या होती हैं प्रक्रियाएं

हरिद्वार महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए उत्तराखंड पुलिस यूपी, हरियाणा, हिमाचल और पंजाब पुलिस के साथ बॉर्डर क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रण करने में जुटी है. इसके साथ ही पुलिस हरिद्वार कंट्रोल रूप से बॉर्डर एरिया की निगरानी कर रही है.

डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि महाकुंभ के लिए उत्तराखंड पुलिस ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. केंद्र और राज्यों से मिलने वाली सुरक्षा बलों की कमी महसूस की जा रही है. लेकिन प्रदेश के सभी जिलों से फोर्स को कुंभ की व्यवस्था के लिए तैनात किया गया है. डीजीपी का कहना है कि महाकुंभ में 12 और 14 अप्रैल को शाही स्नान के लिए पुलिस पूरी तरह से तैयार है. पुलिस महाशिवरात्रि के शाही स्नान के अनुभव के मुताबिक ही आगे की व्यवस्था बनाए हुए है.

महाकुंभ के लिए गाइडलाइंस

  1. 72 घंटे के अंदर की कोरोना रिपोर्ट लाना जरूरी होगा.
  2. पहले से कराए गए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का SMS दिखाना होगा.
  3. हेल्थ टेस्ट रिपोर्ट साथ होनी चाहिए.
  4. 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग और बीमारों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
  5. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु एक्टिव कंटेनमेंट जोन से न आते हों.

हरिद्वार कुंभ क्यों है खास

जब मेष राशि में सूर्य तथा कुंभ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होता है, तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. यह संयोग 2021 में दिखाई दे रहा है, लेकिन 2022 में ऐसा कोई संयोग नहीं बनता नजर आ रहा है. इसी कारण अखाड़ा परिषद ने हरिद्वार महाकुंभ को 2021 में ही आयोजित किए जाने का फैसला लिया है. इससे पहले साल 2010 के धर्मनगरी में आयोजित महाकुंभ में लगभग तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया था. शहर के बीच स्थित हरकी पैड़ी पर जब साधु-संतों की पेशवाई निकलती है तो श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर पूरी पेशवाई देखते हैं और पुष्प वर्षा कर संतों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

हरिद्वार में अमृत स्नान का विशेष महत्व
हरिद्वार में अमृत स्नान करने का शुभ अवसर आ गया है. मान्यता है कि इस अवसर के लिए देवी-देवता, साधु-संत और हिंदू धर्म को मानने वाले 12 साल इंतजार करते है. पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को लेकर जब देवताओं और असुरों में छीनाझपटी होने लगी तो अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार स्थानों पर गिरी थी. जिनमें हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन शामिल हैं. जिन स्थानों पर अमृत की बूंदे गिरी थीं, उन चारों स्थानों पर प्रत्येक 12 साल के बाद विशिष्ट ग्रह योग में कुंभ का आयोजन होता है. इसमें हरिद्वार महाकुंभ को सबसे खास माना जाता है.

Last Updated : Apr 1, 2021, 5:10 PM IST
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