ऋषिकेश: मणिकुट पर्वत स्थित विश्व प्रसिद्ध पौराणिक नीलकंठ धाम में दूषित पानी की निकासी और उसके ट्रीटमेंट के लिए योजना तैयार की गई है. नमामि गंगे परियोजना के तहत मंदिर परिसर और आसपास करीब दो किलोमीटर की सीवर लाइन बिछाई जाएगी. दूषित पानी के ट्रीटमेंट के लिए डेढ़ एमएलडी का प्लांट भी निर्मित किया जाएगा. केंद्र सरकार ने नमामि गंगे के तहत इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है.ट
ऋषिकेश में बनेंगे 4 एसटीपी प्लांट: बता दे कि ऋषिकेश और उसके आसपास कुल 4 एसटीपी प्लांट बनाए जाने हैं. जिनपर कुल खर्च लगभग 90 करोड़ 90 लाख रुपए होगा. दरअसल, नीलकंठ मंदिर और आसपास के इलाके में दूषित पानी की निकासी के लिए अभी तक कोई पुख्ता इंतजाम नहीं थे. दूषित पानी किसी न किसी रूप में सहायक नदियों से होते हुए गंगा तक पहुंचा रही थी.
नीलकंठ में बनेगा सीवर लाइन: मोक्षदायिनी गंगा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए नीलकंठ में दूषित पानी की निकासी और उसके ट्रीटमेंट के लिए 9 करोड़ 60 लाख रुपए का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इस योजना पर अब केंद्र सरकार की मुहर लगने के बाद इसी साल अप्रैल से सीवर लाइन और ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू किया जाएगा.
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स्वर्गाश्रम मुनि की रेती में बनेंगे दो एसटीपी: नमामि गंगे परियोजना के तहत मुनि की रेती क्षेत्र में 12 करोड़ 50 लाख रुपए से 8 एमएलडी और 300 केएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट जापानी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करके बनाया जाएगा. जिसके निर्माण में दो करोड़ रुपए की लागत आएगी. जिसके तहत डेढ़ किलोमीटर सीवर लाइन भी क्षेत्र में बिछाई जाएगी. स्वर्गाश्रम में पहले ही 3 एमएलडी का प्लांट है. जिसे बने 15 साल पूरे होने जा रहा है. लिहाजा, प्लांट के उपकरणों को बदला जाएगा. इसी के साथ 3 एमएलडी के एक और नए एसटीपी का निर्माण किया जाएगा. इस पर कुल 16 करोड़ 44 लाख रुपए खर्च होंगे.
केंद्र सरकार ने दी बजट को स्वीकृति: केंद्र सरकार ने नीलकंठ और स्वर्गाश्रम के साथ मुनि की रेती क्षेत्र के लिए सीवर लाइन और ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए करीब 90 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है. जिसमें 51 करोड़ 71 लाख निर्माण पर और 38 करोड़ 93 लाख रुपए एसटीपी और अन्य मरम्मत पर 15 साल तक खर्च के लिए स्वीकृत किए गए हैं. टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है. इसी साल अप्रैल से सभी योजनाओं पर तेजी के साथ काम शुरू किया जाएगा.