देहरादूनः विश्व मानक दिवस (World Standards Day) हर साल 14 अक्टूबर को मनाया जाता है. इस मौके पर आज देहरादून की मानक ब्यूरो शाखा ने एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया. इस दौरान वक्ताओं ने विभिन्न प्रमाणन योजनाओं के लाइसेंस की बढ़ती संख्या पर चर्चा करते हुए कहा कि उद्योग और उपभोक्ताओं में मानकों के प्रति सजगता बढ़ी है. इसके अलावा मानक ब्यूरो के काम और तौर तरीकों की जानकारी भी दी गई.
दरअसल, राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित विचार गोष्ठी कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) की निदेशक अनिता रावत ने किया. कार्यक्रम में देहरादून शाखा कार्यालय के प्रमुख सुधीर बिश्नोई ने कहा कि विश्व मानक दिवस का उद्देश्य नियामकों, उद्योगों उपभोक्ताओं और समाज के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था में मानकों की महत्ता के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है.
उन्होंने बताया कि 14 अक्टूबर 1946 को 25 देशों के प्रतिनिधियों ने पहली बार एकत्र होकर विश्व स्तर पर मानकीकरण की सजगता के उद्देश्य से एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना पर विचार किया था. इस दिन को इसलिए चुना गया ताकि वैश्विक स्तर पर उन हजारों विशेषज्ञों के प्रयासों को याद किया जा सके और कृतज्ञता प्रकट की जा सके. जिन्होंने मानकों को विकसित करने में अपना अमूल्य योगदान दिया.
आभूषण खरा है या नहीं, इस ऐप से तत्काल मिलेगी जानकारीः सुधीर बिश्नोई ने बताया कि ब्यूरो उत्पाद और सेवा क्षेत्र के विभिन्न वर्गों में मानकीकरण के कार्यों के अलावा विभिन्न प्रमाणन योजनाओं का संचालन भी किया जा रहा है. अक्सर लोग सोने के आभूषण की शुद्धता को लेकर आश्वस्त नहीं होते हैं. ऐसे में सरकार ने लोगों को ठगी से बचाने के लिए हॉलमार्किंग की व्यवस्था लागू की है. अब ज्वेलर्स को हॉलमार्क वाली ज्वैलरी बेचना अनिवार्य है.
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उन्होंने कहा कि उसके बावजूद यदि लोगों को इस बात का भरोसा नहीं रहता है कि उन्होंने जो आभूषण खरीदे हैं, वो खरे हैं या नहीं. इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) के ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं. जिसका नाम BIS Care App है. जिसके जरिए लोग अपने आशंकाओं को दूर कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि यह ऐप लोगों को हॉलमार्क वाली ज्वैलरी की शुद्धता तुरंत बता देता है.
क्या है हॉलमार्क? हॉलमार्क प्लेटिनम, सोने, चांदी और अन्य बहुमूल्य धातुओं पर लगाए जाने वाली आधिकारिक मुहर है. ये उसकी गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए लगाई जाती है. ज्वैलरी खरीदने वाला ग्राहक निश्चिंत हो सकता है कि वो जो सोना खरीद रहा है, वो किस कैटेगरी का है और शुद्ध कितना है? हॉलमार्क का निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (Bureau of Indian Standards) करती है. सोने के सिक्के या गहने पर हॉलमार्क के साथ बीआईएस (BIS) का लोगो लगाना जरूरी है.
आप कैसे पहचानेंगे हॉलमार्क? हॉलमार्क आभूषणों की पहचान बहुत आसान होती है. हॉलमार्क युक्त ज्वैलरी पर अलग-अलग तरह के निशान होते हैं. जिन्हें आप छूकर महसूस करने के साथ ही देख भी सकते हैं. असली हॉलमार्क पर BIS (बीआईएस) का तिकोना निशान होता है. उस पर हॉलमार्किंग केंद्र का लोगो होता है. जिसमें सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. ज्वेलरी कब बनाई गई है, इसका वर्ष लिखा होता है. साथ ही ज्वेलर्स का लोगो भी होता है.
ग्राहकों को नकली माल से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है. आभूषण में मिलावट रोकने के लिए हॉलमार्किंग की व्यवस्था की गई है. हॉलमार्क के आभूषण अंतरराष्ट्रीय मानक के होते हैं. प्लेटिनम, सोने, चांदी, हीरे आदि के आभूषणों की गुणवत्ता की पहचान के लिए हॉलमार्क चिन्ह की एक समान व्यवस्था है. इस पर भारत सरकार की गारंटी होती है. किसी सोने के आभूषण पर BIS का लोगो, सोने की शुद्धता (22 कैरेट, 18 कैरेट आदि), हॉलमार्क सेंटर का लोगो के अलावा हॉलमार्किंग का साल और ज्वेलर्स का पहचान नंबर अंकित होता है.