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मसूरी माउंटेन फेस्टिवल का दूसरा दिन, पहाड़ी संस्कृति को संजोने का दिया संदेश - मसूरी में माउंटेन फेस्टिवल का आयोजन

मसूरी में आयोजित माउंटेन फेस्टिवल का आज दूसरा दिन मनाया गया. इस दौरान कार्यक्रम में आए लोगों को पहाड़ से जुड़ी जानकारी दी गई. साथ ही लोगों को पहाड़ी संस्कृति को संजोने का संदेश भी दिया गया.

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मसूरी में आयोजित माउंटेन फेस्टिवल का आज दूसरा दिन मनाया गया.
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Published : Dec 8, 2020, 10:28 PM IST

मसूरी: माउंटेन फेस्टिवल का दूसरे दिन उत्तराखण्ड में विकास के नाम पर पहाड़ों को कटान पर चर्चा हुई. इस दौरान वहां आए लोगों को उत्तराखंड के मसालों और उत्पादों को लेकर विस्तृत जानकारी के साथ ही भारत के पक्षियों की नस्लों पर भी विस्तार से चर्चा की गई.

पढ़ें- कोटाबाग में पहली बार होगा विंटर कार्निवल, 26 दिसंबर को CM करेंगे उद्घाटन

वहीं, कार्यक्रम के दौरान मसूरी की सुरभि अग्रवाल ने मसूरी हेरिटेज सेंटर में मसूरी के महत्वपूर्ण इतिहास और मसूरी की हैरिटेज जगहों और इमारतों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इनके संरक्षण के लिये सरकार को कदम उठाना चाहिये.

दूसरे दिन वक्ता वुडस्टाक चोयर ने प्यार का मौसम, सुचित बेसनेट ने नेपाल के पक्षी, जान वारेन ने बांदर पंच की चढाई, संजीव पांडे ने द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, तानिया सैली बख्शी ने मसूरी में भूस्खलन, मैक्स मार्बल ने मसूरी में एक मिनट, प्रज्वल पैराजुलई ने हिमालयन लेखक होने के नाते, मनोज नायर ने मसूरी के पक्षी, श्वेता बेसनेट ने सिक्किम के रोडोडेंड्रोन, सुमन पंवार ने पड़ोसी गांव, जोनो लाइनेन इनटू द हार्ट ऑाफ द हिमालय और स्टीफन फिओल ने गढ़वाली गीत प्रस्तुत किये जिसने सभी के मन को मोह लिया.

तानिया सैली बख्शी ने बताया कि दूसरे दिन में उनके द्वारा उत्तराखंड में अनियोजित तरीके से हो रहे विकास के बारे में चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सड़क चौड़ीकरण सहित अन्य कार्यों को लेकर पहाड़ों का कटान किया जा रहा है. जिससे आए दिन भूस्खलन के मामले बढ़ रहे हैं, इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के पहाड़ों को बचाए जाने को लेकर चिपको आंदोलन जैसे आंदोलन करने की जरूरत है. वहीं, पुष्पेश पंत द्वारा कुमाऊंनी खानपान और उत्तराखंड के मसालों और उत्पादों को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई.

मसूरी: माउंटेन फेस्टिवल का दूसरे दिन उत्तराखण्ड में विकास के नाम पर पहाड़ों को कटान पर चर्चा हुई. इस दौरान वहां आए लोगों को उत्तराखंड के मसालों और उत्पादों को लेकर विस्तृत जानकारी के साथ ही भारत के पक्षियों की नस्लों पर भी विस्तार से चर्चा की गई.

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वहीं, कार्यक्रम के दौरान मसूरी की सुरभि अग्रवाल ने मसूरी हेरिटेज सेंटर में मसूरी के महत्वपूर्ण इतिहास और मसूरी की हैरिटेज जगहों और इमारतों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इनके संरक्षण के लिये सरकार को कदम उठाना चाहिये.

दूसरे दिन वक्ता वुडस्टाक चोयर ने प्यार का मौसम, सुचित बेसनेट ने नेपाल के पक्षी, जान वारेन ने बांदर पंच की चढाई, संजीव पांडे ने द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, तानिया सैली बख्शी ने मसूरी में भूस्खलन, मैक्स मार्बल ने मसूरी में एक मिनट, प्रज्वल पैराजुलई ने हिमालयन लेखक होने के नाते, मनोज नायर ने मसूरी के पक्षी, श्वेता बेसनेट ने सिक्किम के रोडोडेंड्रोन, सुमन पंवार ने पड़ोसी गांव, जोनो लाइनेन इनटू द हार्ट ऑाफ द हिमालय और स्टीफन फिओल ने गढ़वाली गीत प्रस्तुत किये जिसने सभी के मन को मोह लिया.

तानिया सैली बख्शी ने बताया कि दूसरे दिन में उनके द्वारा उत्तराखंड में अनियोजित तरीके से हो रहे विकास के बारे में चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सड़क चौड़ीकरण सहित अन्य कार्यों को लेकर पहाड़ों का कटान किया जा रहा है. जिससे आए दिन भूस्खलन के मामले बढ़ रहे हैं, इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के पहाड़ों को बचाए जाने को लेकर चिपको आंदोलन जैसे आंदोलन करने की जरूरत है. वहीं, पुष्पेश पंत द्वारा कुमाऊंनी खानपान और उत्तराखंड के मसालों और उत्पादों को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई.

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