देहरादून: गंगा अपने उद्गम स्थल गौमुख से ही प्रदूषित हो रही है. प्रदूषित होती गंगा की निर्मलता और स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम भी उठाए, बावजूद गंगा की स्थिति जस की तस बनी हुई है. वहीं अब गंगा को निर्मल व अविरल बनाने के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत गोमुख से लेकर गंगासागर तक जल्द ही अध्ययन कर जियोडेटिक रिसर्च डाटा तैयार किया जाएगा. इसकी जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया की जियोडेटिक रिसर्च ब्रांच के वैज्ञानिकों को सौंपी गयी है.
जियोडेटिक रिसर्च डेटा तैयार करने के दौरान गोमुख से लेकर गंगासागर तक नदी के किनारे बसे आबादी को चिन्हित किया जाएगा और गंगा में फैल रहे प्रदूषण के कारणों का भी अध्ययन किया जाएगा. इसके अलावा गोमुख से गंगासागर तक नदी के उन खास स्थानों का भी पता लगाया जाएगा, जो सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहे हैं.
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उन स्थानों के प्रदूषित होने के कारणों पर भी अध्ययन किया जाएगा. सारी जानकारियों की रिपोर्ट तैयार कर कई केंद्रीय संस्थाओं के साथ ही आईआईटी और इसरो समेत कई संबंधित विभागों से भी साझा किया जाएगा. इसके अलावा सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत 86 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए हैं.