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मोदी सरकार का बड़ा कदम, गंगा प्रदूषण के कारणों की जांच करेंगे वैज्ञानिक

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Published : Jun 29, 2019, 6:00 PM IST

गंगा प्रदूषण की रोकथाम के लिए नरेंद्र मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. अब नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत वैज्ञानिकों की टीम गंगा प्रदूषण के कारणों की जांच करेगी. ये भी पता लगाएगी कि नमामि गंगे जैसी परियोजनाओं के बावजूद गंगा के प्रदूषण में कमी क्यों नहीं आ रही?

गंगा प्रदूषण के कारणों की जांच करेंगे वैज्ञानिक

देहरादून: गंगा अपने उद्गम स्थल गौमुख से ही प्रदूषित हो रही है. प्रदूषित होती गंगा की निर्मलता और स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम भी उठाए, बावजूद गंगा की स्थिति जस की तस बनी हुई है. वहीं अब गंगा को निर्मल व अविरल बनाने के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत गोमुख से लेकर गंगासागर तक जल्द ही अध्ययन कर जियोडेटिक रिसर्च डाटा तैयार किया जाएगा. इसकी जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया की जियोडेटिक रिसर्च ब्रांच के वैज्ञानिकों को सौंपी गयी है.

जियोडेटिक रिसर्च डेटा तैयार करने के दौरान गोमुख से लेकर गंगासागर तक नदी के किनारे बसे आबादी को चिन्हित किया जाएगा और गंगा में फैल रहे प्रदूषण के कारणों का भी अध्ययन किया जाएगा. इसके अलावा गोमुख से गंगासागर तक नदी के उन खास स्थानों का भी पता लगाया जाएगा, जो सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहे हैं.

पढ़ेंः नैनीताल HC ने खारिज की सभासद की विशेष अपील, मुख्य सचिव को दिया कार्रवाई का आदेश

उन स्थानों के प्रदूषित होने के कारणों पर भी अध्ययन किया जाएगा. सारी जानकारियों की रिपोर्ट तैयार कर कई केंद्रीय संस्थाओं के साथ ही आईआईटी और इसरो समेत कई संबंधित विभागों से भी साझा किया जाएगा. इसके अलावा सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत 86 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए हैं.

देहरादून: गंगा अपने उद्गम स्थल गौमुख से ही प्रदूषित हो रही है. प्रदूषित होती गंगा की निर्मलता और स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम भी उठाए, बावजूद गंगा की स्थिति जस की तस बनी हुई है. वहीं अब गंगा को निर्मल व अविरल बनाने के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत गोमुख से लेकर गंगासागर तक जल्द ही अध्ययन कर जियोडेटिक रिसर्च डाटा तैयार किया जाएगा. इसकी जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया की जियोडेटिक रिसर्च ब्रांच के वैज्ञानिकों को सौंपी गयी है.

जियोडेटिक रिसर्च डेटा तैयार करने के दौरान गोमुख से लेकर गंगासागर तक नदी के किनारे बसे आबादी को चिन्हित किया जाएगा और गंगा में फैल रहे प्रदूषण के कारणों का भी अध्ययन किया जाएगा. इसके अलावा गोमुख से गंगासागर तक नदी के उन खास स्थानों का भी पता लगाया जाएगा, जो सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहे हैं.

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उन स्थानों के प्रदूषित होने के कारणों पर भी अध्ययन किया जाएगा. सारी जानकारियों की रिपोर्ट तैयार कर कई केंद्रीय संस्थाओं के साथ ही आईआईटी और इसरो समेत कई संबंधित विभागों से भी साझा किया जाएगा. इसके अलावा सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत 86 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए हैं.

Intro:dry स्टोरी है....

गंगा अपने उद्गम स्थल गौमुख से ही प्रदूषित होती जा रही है, प्रदूषित होती गंगा की निर्मलता और स्वच्छता को बरकार रखने के लिए सरकारों ने तो कई कदम भी उठाए बावजूद इसके गंगा की स्थिति जस की तस बनी हुई है, तो वही अब गंगा को निर्मल व अविरल बनाने के लिए नेशनल मिशन फ़ॉर क्लीन गंगा के तहत गौमुख से लेकर गंगासागर तक जल्द ही अध्ययन कर जियोडेटिक रिसर्च डाटा तैयार किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदार सर्वे ऑफ इंडिया की जियोडेटिक रिसर्च ब्रांच के वैज्ञानिकों को सौंपी गयी है। जल्द ही वैज्ञानिक जियोडेटिक रिसर्च डाटा तैयार करने और अध्ययन करने में जुट जाएंगे।


Body:जियोडेटिक रिसर्च डेटा तैयार करने के दौरान गौमुख से लेकर गंगासागर तक, नदी के किनारे बसे आबादी को चिन्हित किया जाएगा और गंगा में फैल रहे प्रदूषण के कारणों का भी अध्ययन कर पाता लगाया जाएगा। साथ ही गौमुख से गंगासागर तक नदी के उन खाश स्थानो का भी पता लगाया जाएगा जो सबसे ज्यादा प्रदूषित होंगे और उनके प्रदूषित होने के कारणों पर भी अध्ययन किया जाएगा। और सारी जानकारियों की रिपोर्ट तैयार कर कई केंद्रीय संस्थाओं के साथ ही आईआईटी और इसरों समेत कई संबंधित विभागो से भी साझा किया जाएगा। इसके साथ ही नमामि गंगे परियोजना के तहत 86 करोड़ रुपये भी जारी कर दी गयी हैं।


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