देहरादून: उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को 17वें दिन बाहर निकाल लिया गया था. लेकिन किन वजहों से ये मजदूर अंदर फंसे थे ये सवाल अभी भी बरकरार है. हालांकि, तमाम जानकार इस मामले पर अपनी राय दे चुके हैं. लेकिन इसके पीछे की साइंटिफिक वजह क्या है, इसको जानने के लिए देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने मौके पर पहुंचकर तमाम जांच की हैं. जिसके तहत वैज्ञानिकों ने टनल के अंदर ग्राउंड वाटर की स्थिति जानी. आखिर वाडिया के वैज्ञानिकों की जांच में क्या कुछ निकलकर आया है हम आपको बताते हैं.
सिलक्यारा टनल की साइंटिफिक जांच: उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन टनल में 12 नवंबर को हुए भू धंसाव के चलते 41 मजदूर टनल के अंदर फंस गए थे. इसकी सूचना मिलने के बाद तत्काल राहत बचाव के लिए तमाम टीमें लगाई गईं, लेकिन तत्कला सफलता नहीं मिल सकी. इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए बड़े स्तर पर राहत बचाव का कार्य शुरू किया गया. इसके लिए ऑगर मशीनों के साथ ही विदेशों से भी वैज्ञानिक बुलाए गए. लिहाजा, करीब 17 दिनों तक चले राहत बचाव कार्यों के बाद आखिरकार 17वें दिन सभी 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकल लिया गया.
सिलक्यारा टनल में फंसे थे 41 मजदूर: लेकिन अभी भी सवाल बरकरार है कि आखिर कैसे टनल में भू धंसाव हुआ और मजदूर टनल के अंदर फंस गए. इस सवाल का जवाब जानने के लिए देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट समेत तमाम वैज्ञानिकों ने अलग अलग तरीके से मामले की जांच की. वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की टीम ने मौके पर पहुंच कर तमाम सैंपल एकत्र किए. उनकी जांच भी की. वाडिया के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया कि जो टनल के प्रोजेक्ट्स होते हैं, उनमें जियो साइंस का बड़ा रोल होता है. लिहाजा, टनल निर्माण से पहले वहां के रॉक से जुड़ी तमाम जानकारी लेते हैं. क्योंकि रॉक से जुड़े तमाम अध्ययन प्रोजेक्ट को तमाम जरूरी दिशा देते हैं. किस तरह से टनल का वर्क होना चाहिए, कैसे टनल का प्रोसेस होना चाहिए.
सिलक्यारा टनल में मिला ग्राउंड वाटर: लिहाजा वाडिया की ओर से निर्माणाधीन टनल का अध्ययन करने के लिए जो टीम भेजी गई थी उसकी रिपोर्ट के अनुसार टनल की सतह पर कभी कभी ग्राउंड वाटर आ रहा है. कुछ वीक जगह भी हैं. लिहाजा, ये जानने के लिए टीम भेजी गयी थी कि कहां कहां पर ग्राउंड वाटर है. टनल के निर्माण के दौरान ग्राउंड वाटर आने से टनल के भीतर बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतें हो सकती हैं. ऐसे में टीम ने ग्राउंड वाटर इन्वेस्टिगेशन के लिए भेजा था. जिसके नतीजे सामने आ गए हैं कि टनल के भीतर कहां पर ग्राउंड वाटर है. साथ ही कहा कि सिलक्यारा में काम के लिए जियो साइंस बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकता है.
ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और सदियों पुरानी तकनीक के जोड़ ने किया कमाल, जानें एक्सपर्ट की राय