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जोशीमठ जल प्रलय के कारणों का पता लगाएंगे वैज्ञानिक, सरकार ने गठित की समिति

उत्तराखंड सरकार ने चमोली में आई आपदा के कारण और भविष्य के जोखिमों के शोध के लिए 9 विभिन्न शोध संस्थाओं की एक जांच टीम बनाई है.

joshimath disaster
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Published : Feb 12, 2021, 10:07 AM IST

Updated : Feb 12, 2021, 10:56 AM IST

देहरादून: चमोली में आई भीषण आपदा को लेकर जहां एक तरफ बचाव और राहत का काम चल रहा है तो वहीं आपदा के कारणों और भविष्य के जोखिम को लेकर शोध किया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार ने नौ अलग-अलग शोध संस्थाओं की एक टीम गठित की है, जोकि इस आपदा के कारण और भविष्य के जोखिमों को लेकर एक विस्तृत शोध करेगी और अपनी रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सौंपेगी.

uttarakhand government
शासनादेश की कॉपी.


पढ़ेंः चमोली आपदा के बाद सीमांत गांवों में उठने लगी विस्थापन की मांग

उत्तराखंड शासन द्वारा गठित की गई इस टीम में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से एक्सिक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला अध्यक्ष रहेंगे. ये टीम इस आपदा के सभी अलग-अलग पहलुओं पर रिसर्च करेगी. साथ ही नंदा देवी की पहाड़ियों पर जाकर वहां के हालातों का जायजा लिया जाएगा.

इन शोध संस्थानों के वैज्ञानिक होंगे शामिलः

  1. उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA)
  2. हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ वाडिया जियोलॉजी
  3. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान जीआईएस (GIS)
  4. इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग देहरादून (IIRS)
  5. आईआईटी रुड़की
  6. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (CBRI)
  7. टीएचडीसी
  8. उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL)
  9. उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (USAC)

देहरादून: चमोली में आई भीषण आपदा को लेकर जहां एक तरफ बचाव और राहत का काम चल रहा है तो वहीं आपदा के कारणों और भविष्य के जोखिम को लेकर शोध किया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार ने नौ अलग-अलग शोध संस्थाओं की एक टीम गठित की है, जोकि इस आपदा के कारण और भविष्य के जोखिमों को लेकर एक विस्तृत शोध करेगी और अपनी रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सौंपेगी.

uttarakhand government
शासनादेश की कॉपी.


पढ़ेंः चमोली आपदा के बाद सीमांत गांवों में उठने लगी विस्थापन की मांग

उत्तराखंड शासन द्वारा गठित की गई इस टीम में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से एक्सिक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला अध्यक्ष रहेंगे. ये टीम इस आपदा के सभी अलग-अलग पहलुओं पर रिसर्च करेगी. साथ ही नंदा देवी की पहाड़ियों पर जाकर वहां के हालातों का जायजा लिया जाएगा.

इन शोध संस्थानों के वैज्ञानिक होंगे शामिलः

  1. उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA)
  2. हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ वाडिया जियोलॉजी
  3. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान जीआईएस (GIS)
  4. इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग देहरादून (IIRS)
  5. आईआईटी रुड़की
  6. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (CBRI)
  7. टीएचडीसी
  8. उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL)
  9. उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (USAC)
Last Updated : Feb 12, 2021, 10:56 AM IST
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