नई दिल्ली/देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड की तीन जिला अदालतों में बीते 35 सालों से प्रत्येक शनिवार को वकीलों द्वारा की जा रही हड़ताल को शुक्रवार को 'गैरकानूनी' ठहराया. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि कमजोर एवं तुच्छ आधारों पर की जा रही वकीलों की हड़ताल अवमानना के बराबर है. कोर्ट ने इस संबंध में बार काउंसिल ऑफ इंडिया और उत्तराखंड बार काउंसिल को नोटिस जारी किया.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 35 सालों में प्रत्येक कामकाजी शनिवार को इस तरह का 'मजाक' करने और पाकिस्तान के स्कूल में बम विस्फोट, नेपाल में भूकंप जैसे 'तुच्छ कारणों' को लेकर हड़ताल बुलाने के लिए वकीलों को 21 फरवरी को फटकार लगाई थी. यह मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में तब आया था जब वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने देहरादून और हरिद्वार और उधम सिंह नगर के कई हिस्सों में वकीलों द्वारा प्रत्येक शनिवार को अदालती कामकाज का बहिष्कार करने को गैरकानूनी ठहराया था.
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अपने 25 सितंबर, 2019 के फैसले में उच्च न्यायालय ने विधि आयोग की 266वीं रिपोर्ट का संदर्भ दिया था, जिसने वकीलों द्वारा बुलाई गई हड़तालों से कामकाजी दिन के नुकसान का आकलन किया था और राय दी थी कि इससे अदालतों की कार्य प्रणाणी प्रभावित हो रही है और लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है.