देहरादून: उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार संसाधनों को बढ़ाने की कवायद में जुटी रहती है. इसी क्रम में सरकार ने निर्णय लिया है कि अब आम जनता भी सरकारी संपत्तियों का इस्तेमाल कर सकेगी. दरअसल, आम जनता के द्वारा सरकारी संपत्तियों के इस्तेमाल की नियमावली भी तैयार कर दी गई है. जिससे ना सिर्फ सरकार को रेवेन्यू मिलेगा, बल्कि उन संपत्तियों के रख रखाव के लिए अतिरिक्त पैसा भी मिलेगा.
लंबे समय तक खाली रहती हैं सरकारी संपत्तियां: मुख्य सचिव एसएस संधू ने बताया कि सरकार की ओर से एक बड़ी पहल की गई है. जिसके तहत कई सरकारी संपत्तियां खाली हैं. साथ ही कुछ संपत्तियों का पार्टली या फिर कुछ समय के लिए ही इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में जो एजुकेशन इंस्टिट्यूट और स्कूल हैं, वो आधे दिन ही चलते हैं और बाकी समय खाली रहते हैं. उन्होंने बताया कि तमाम कॉर्पोरेट ऑफिस 6 महीने के लिए बंद हो जाए, तो वहां की पार्किंग खाली रहती है, लेकिन उस पार्किंग में किसी आम व्यक्ति को गाड़ी खड़े करने की अनुमति नहीं होती है.
ऑडिटोरियम, मीटिंग हॉल का इस्तेमाल कर सकेगा आम व्यक्ति: इसके अलावा किसी भी इंस्टीट्यूट या कार्यालय में मौजूद ऑडिटोरियम, मीटिंग हॉल का इस्तेमाल आम व्यक्ति नहीं कर पाता है. ऐसे में इन तमाम बिंदुओं पर लंबे समय से शासन स्तर पर मंथन चल रहा था. जिसके बाद संपत्तियों के निजी उपयोग के लिए नियमावली तैयार की गई है, जिसको मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दे दी है कि इन संपत्तियों का आम व्यक्ति भी इस्तेमाल कर सकेगा.
नियमावली बनकर हुई तैयार: सीएस ने कहा कि सरकारी उपयोग के बाद ही आम व्यक्ति को संपत्ति दी जा सकेगी, जिसकी पूरी नियमावली भी बना दी गई है. जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी भी बना दी गई है. इस कमेटी में कार्यालय या संस्थान का अध्यक्ष भी सदस्य होगा, ताकि उसके काम में कोई बाधा न हो. साथ ही सरकारी काम के बाद इसका इस्तेमाल आम लोग भी कर सकेंगे. इसके अलावा, लोग प्ले ग्राउंड में सैर, कार्यालय समय के बाद सरकारी पार्किंग का इस्तेमाल और किसी भी इंस्टीट्यूट में कमरा किराए पर ले सकेंगे.
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50 फीसदी हिस्सा ट्रेजरी में होगा जमा:एसएस संधू ने बताया कि इससे जितना भी पैसा आएगा, उसका 50 फीसदी हिस्सा उसी संस्थान में रहेगा, ताकि उसका रख रखाव हो सके. बाकी 50 फीसदी हिस्सा ट्रेजरी में जमा होगा. उन्होंने बताया कि स्कूलों में शादी करने की व्यवस्था को लोकल कमेटी पर छोड़ा गया है. साथ ही ज्यादा से ज्यादा निर्णय लेने का पावर लोकल प्रशासन को दी गई है.
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