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चार दिवसीय प्रवास पूरा कर देहरादून से लौटे भागवत, राम मंदिर पर कह गये बड़ी बात - सीएम त्रिवेंद्र रावत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अपने चार दिवसीय प्रवास पूरा कर देहरादून से वापस दिल्ली लौट गये हैं. अपने चार दिनी दौरे पर मोहन भागवत के कई दौर की बैठकें की और इन सभी बैठकों में राज्य के विकास, राम मंदिर, संस्कृति को आगे बढ़ाने, हिंदी भाषा का प्रयोग करने, बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में बताना आदि विषयों पर चर्चा की.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फाइल).
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Published : Feb 8, 2019, 8:27 PM IST

देहरादून: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अपने चार दिवसीय प्रवास पूरा कर देहरादून से वापस दिल्ली लौट गये हैं. इन चार दिनों में भागवत ने उत्तराखंड के कई वर्गों के प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात की. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी आरएसएस प्रमुख से भी बातचीत की.

ऐसा रहा भागवत का चार दिवसीय कार्यक्रम
मोहन भागवत ने प्रवास के पहले दिन यानी 5 फरवरी को उत्तराखंड के साहित्यकारों के साथ चर्चा की. साहित्यकारों में जागर गायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट, अखिल गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, जागर सम्राट पदमश्री प्रीतम भरतवाण, सुप्रसिद्ध लोक गायिका संगीता ढौंडियाल समेत लोक संस्कृति समिति के तमाम पदाधिकारी शामिल रहे. इस बात पर चर्चा हुई कि किस तरीके से साहित्यकारों की क्षमता को समाज की समस्या दूर करने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है. साथ ही उत्तराखंड की विलुप्त हो रही परंपराओं पर चर्चा की गई.

प्रवास के दूसरे दिन यानी 6 फरवरी को आरएसएस प्रमुख भागवत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिवों में मुलाकात की. हालांकि, भागवत से मुलाकात करने गए पांच पूर्व मुख्य सचिवों में से चार मुख्य सचिव अभी संवैधानिक पदों पर हैं. डेढ़ घंटे चली पूर्व मुख्य सचिवों की बैठक में राज्य के विकास पर चर्चा हुई. इस बैठक में सुभाष कुमार, एनएस नपलच्याल, एके जैन, रविशंकर, शत्रुघ्न सिंह शामिल हुए.

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इस चर्चा में आरएसएस सरसंघचालक ने कहा कि संघ का कार्य सज्जन सृजित करना है, गौ हत्या न हो इसके लिए सज्जन शक्ति का जागरण करना है. राम मंदिर को लेकर भागवत ने कहा कि राम हमारे आराध्य हैं. राम मंदिर वहीं बने यह विचार हर हिंदुस्तानी का होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राम मंदिर और गौ माता हिंदू संस्कृति का आधार हैं. यह काम होगा तो विश्व में हिंदुत्व की पहचान बनेगी.

संघ प्रमुख ने प्रवास के तीसरे दिन संघ प्रमुख ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और इंटर कॉलेज के प्राचार्यों से चर्चा की. इस दौरान देहरादून के 18 से 20 इंटर कॉलेज के प्राचार्य आरएसएस प्रमुख से मुलाकात करने पहुंचे. चर्चा के दौरान मोहन भागवत ने बताया कि देश को जोड़ने का काम संस्कृति करती है. शिक्षा हिंदी में होनी चाहिए और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भी प्रार्थना हिंदी में कराई जानी चाहिए.

कुलपतियों से मुलाकात में भागवत ने देश और समाज की परिस्थितियों पर चर्चा की. साथ ही बताया कि संघ की स्थापना से पहले देश और समाज की परिस्थिति कैसी थी और अब संघ की स्थापना के बाद देश और समाज की परिस्थिति कैसी है.

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इसके साथ ही आरएसएस प्रमुख ने चार दिवसीय प्रवास के दौरान चारों दिन संघ के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और संघ के कार्यकर्ताओं से प्रदेश में चल रही कार्यक्रमों और किस तरह से कार्यक्रमों का विस्तार किया जा रहा है इन सब चीजों पर विचार-विमर्श किया.

हालांकि, अपने चार दिनी दौरे पर मोहन भागवत के कई दौर की बैठकें की और इन सभी बैठकों में राज्य के विकास, राम मंदिर, संस्कृति को आगे बढ़ाने, हिंदी भाषा का प्रयोग करने, बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में बताना आदि विषयों पर चर्चा की.

देहरादून: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अपने चार दिवसीय प्रवास पूरा कर देहरादून से वापस दिल्ली लौट गये हैं. इन चार दिनों में भागवत ने उत्तराखंड के कई वर्गों के प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात की. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी आरएसएस प्रमुख से भी बातचीत की.

ऐसा रहा भागवत का चार दिवसीय कार्यक्रम
मोहन भागवत ने प्रवास के पहले दिन यानी 5 फरवरी को उत्तराखंड के साहित्यकारों के साथ चर्चा की. साहित्यकारों में जागर गायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट, अखिल गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, जागर सम्राट पदमश्री प्रीतम भरतवाण, सुप्रसिद्ध लोक गायिका संगीता ढौंडियाल समेत लोक संस्कृति समिति के तमाम पदाधिकारी शामिल रहे. इस बात पर चर्चा हुई कि किस तरीके से साहित्यकारों की क्षमता को समाज की समस्या दूर करने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है. साथ ही उत्तराखंड की विलुप्त हो रही परंपराओं पर चर्चा की गई.

प्रवास के दूसरे दिन यानी 6 फरवरी को आरएसएस प्रमुख भागवत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिवों में मुलाकात की. हालांकि, भागवत से मुलाकात करने गए पांच पूर्व मुख्य सचिवों में से चार मुख्य सचिव अभी संवैधानिक पदों पर हैं. डेढ़ घंटे चली पूर्व मुख्य सचिवों की बैठक में राज्य के विकास पर चर्चा हुई. इस बैठक में सुभाष कुमार, एनएस नपलच्याल, एके जैन, रविशंकर, शत्रुघ्न सिंह शामिल हुए.

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इस चर्चा में आरएसएस सरसंघचालक ने कहा कि संघ का कार्य सज्जन सृजित करना है, गौ हत्या न हो इसके लिए सज्जन शक्ति का जागरण करना है. राम मंदिर को लेकर भागवत ने कहा कि राम हमारे आराध्य हैं. राम मंदिर वहीं बने यह विचार हर हिंदुस्तानी का होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राम मंदिर और गौ माता हिंदू संस्कृति का आधार हैं. यह काम होगा तो विश्व में हिंदुत्व की पहचान बनेगी.

संघ प्रमुख ने प्रवास के तीसरे दिन संघ प्रमुख ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और इंटर कॉलेज के प्राचार्यों से चर्चा की. इस दौरान देहरादून के 18 से 20 इंटर कॉलेज के प्राचार्य आरएसएस प्रमुख से मुलाकात करने पहुंचे. चर्चा के दौरान मोहन भागवत ने बताया कि देश को जोड़ने का काम संस्कृति करती है. शिक्षा हिंदी में होनी चाहिए और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भी प्रार्थना हिंदी में कराई जानी चाहिए.

कुलपतियों से मुलाकात में भागवत ने देश और समाज की परिस्थितियों पर चर्चा की. साथ ही बताया कि संघ की स्थापना से पहले देश और समाज की परिस्थिति कैसी थी और अब संघ की स्थापना के बाद देश और समाज की परिस्थिति कैसी है.

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इसके साथ ही आरएसएस प्रमुख ने चार दिवसीय प्रवास के दौरान चारों दिन संघ के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और संघ के कार्यकर्ताओं से प्रदेश में चल रही कार्यक्रमों और किस तरह से कार्यक्रमों का विस्तार किया जा रहा है इन सब चीजों पर विचार-विमर्श किया.

हालांकि, अपने चार दिनी दौरे पर मोहन भागवत के कई दौर की बैठकें की और इन सभी बैठकों में राज्य के विकास, राम मंदिर, संस्कृति को आगे बढ़ाने, हिंदी भाषा का प्रयोग करने, बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में बताना आदि विषयों पर चर्चा की.

स्लग - देहरादून में मोहन भागवत के चार दिन
टॉप - देहरादून
रिपोर्ट - रोहित सोनी

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, चार दिवशीय प्रवास पर पहुचे देहरादून में उत्तराखंड के कई वर्गों के प्रबुद्ध लोगो से मुलाकात की। चार दिवशीय प्रवास के आखिरी दिन यानी शुक्रवार को आरएसएस प्रमुख देहरादून से रवाना हो गए। आपको बता दे कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत चार फरवरी की शाम को देहरादून पहुचे थे। देहरादून में मोहन भागवत का चार दिवशीय प्रवास कार्यक्रम था। चार दिवसीय प्रवास करने के बाद 8 फरवरी को मोहन भागवत देहरादून से रवाना हो गए। इन चार दिवशीय प्रवास के दौरान मोहन भागवत ने कई दौर की बैठक की। इन चार दिवसीय प्रवास के दौरान उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी आरएसएस प्रमुख से मुलाकात की।



मोहन भागवत के चार दिवशीय देहरादून प्रवास के दौरान कार्यक्रम......

मोहन भागवत ने प्रवास के पहले दिन यानी 5 फरवरी को तीन दौर का चर्चा किया। पहले दौर में भागवत, उत्तराखंड के साहित्यकारों के साथ चर्चा किया। दूसरे दौर में मोहन भागवत ने देहरादून में चल रही संघ शाखा के शिक्षकों और मुख्य कार्यवाहको के साथ बैठक की। और प्रवास के पहले दिन में तीसरी और आखिरी दौर की बैठक में देहरादून के मिडिया जगत के कुछ बुद्धजीवियों से मुलाकात की।

आरएसएस प्रमुख ने प्रवास के दूसरे दिन यानी 6 फरवरी को तीन दौर की बैठक की। पहले दौर में संघ प्रमुख ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यसचिवो से मुलाकात की। दूसरे दौर में आरएसएस प्रमुख ने देहरादून में स्तिथ इंटर कॉलेजो के प्राचार्य से वार्ता की। और प्रवास के दुसरे दिन की तीसरी और आखिरी दौर में आरएसएस प्रमुख, देहरादून के नगर कार्यकारिणीओं के साथ कार्यक्रमों पर चर्चा किया।

संघ प्रमुख ने प्रवास के तीसरे दिन यानी 7 फरवरी को भी तीन दौर की बैठकर की पहले दौर की बैठक में संघ प्रमुख ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियो से चर्चा किया। दूसरे दौर में मोहन भागवत ने डिग्री और पीजी कॉलेज में संघ के लिए काम कर रहे छात्रों से मुलाकात की। मोहन भागवत ने प्रवास के तीसरे दिन के आखरी दौर की बैठक में देहरादून की संघ कार्यकर्ताओं के परिवार सम्मेलन कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को अपना उद्बोधन दिया।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रवास के चौथे और आखिरी दिन एक दौर की बैठक की। इस बैठक में संघ प्रमुख ने उत्तराखंड के प्रांतीय कार्यकारिणीयो के साथ बैठक की। वहीं बैठक खत्म होने के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत देहरादून से रवाना हो गए।



मोहन भागवत के देहरादून में चार दिवसीय प्रवास के दौरान प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात और चर्चा......

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रवास के पहले दिन उत्तराखंड के साहित्यकारों से मुलाकात की। जिसमे साहित्यकारों में जागर गायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट, अखिल गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, जागर सम्राट पदमश्री प्रीतम भरतवाण, सुप्रसिद्ध लोक गायिका संगीता धौंडियाल समेत लोक संस्कृति समिति के तमाम पदाधिकारी शामिल रहे। साहित्यकारों से चर्चा किया गया कि किस तरीके से साहित्यकारो की क्षमता की क्षमता को समाज की समस्या दूर करने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है साथ ही उत्तराखंड की विलुप्त हो रही परंपराओं पर चर्चा किया गया।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रवास के दूसरे दिन उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिवों में मुलाकात की। हालांकि मोहन भागवत से मुलाकात करने गए पांच पूर्व मुख्यसचिवो में से चार मुख्य सचिव अभी संवैधानिक पदो पर है। डेढ़ घंटे चली पूर्व मुख्यसचिवों की बैठक में राज्य के विकास पर चर्चा हुई है। कि किस तरीके से राज्य का और विकास कर सकते हैं। इस बैठक में सुभाष कुमार, एनएस नपलच्याल, एके जैन, रविशंकर, शत्रुघ्न सिंह शामिल हुए।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रवास के दूसरे दिन देहरादून स्थित इंटर कॉलेजों के प्राचार्य से मुलाकात की। इस दौरान देहरादून के 18 से 20 इंटर कॉलेज के प्राचार्य आरएसएस प्रमुख से मुलाकात करने पहुंचे। प्राचार्यो से चर्चा के दौरान मोहन भागवत ने प्राचार्यो को बताया कि देश को जोड़ने का काम संस्कृति करती है। संस्कृति के अनेक रूप है लेकिन भाव एक है। यह संस्कृति हिन्दू संस्कृति है। इसके साथ ही चर्चा किया कि शिक्षा व्यापार बन गया है अब इसमें बदलाव जरूरी है। और शिक्षा हिंदी में होना चाहिए। और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में प्रार्थना हिंदी में कराई जानी चाहिए।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रवास के तीसरे दिन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से मुलाकात की। मोहन भागवत ने कुलपतियों से देश और समाज की परिस्थितियों पर चर्चा किया। साथ ही बताया कि संघ की स्थापना से पहले देश और समाज की परिस्थिति कैसी थी और अब संघ की स्थापना के बाद देश और समाज की परिस्थिति कैसी है।

इसके साथ ही आरएसएस प्रमुख ने चार दिवसीय प्रवास के दौरान चारों दिन संघ के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। और संघ के कार्यकर्ताओं से प्रदेश में चल रही कार्यक्रमों और किस तरह से कार्यक्रमों का विस्तार किया जा रहा है इन सब चीजों पर चर्चा किया। इसके साथ ही आरएसएस प्रमुख ने प्रवास के तीसरे दिन संघ कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित परिवार सम्मेलन में संघ प्रमुख ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को उद्बोधन दिया।



हालांकि मोहन भागवत के चार दिवसीय देहरादून प्रवास के दौरान कई दौर की बैठकें की और इन सभी बैठकों में मोहन भागवत ने राज्य के विकास, राम मंदिर, संस्कृति को आगे बढ़ाने, हिंदी भाषा का प्रयोग करने, बच्चों को अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में बताना आदि विषयों पर चर्चा किया।

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