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कांवड़ में अनोखी भक्ति: कंधों पर 48 लीटर गंगाजल लेकर 260 KM का सफर तय करेंगे शेखर - रोहतक हरियाणा

महादेव को प्रसन्न कर मनोवांछित फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय कांवड़ यात्रा भी है.  सावन महीना शिव भक्तों के लिए काफी अहम माना जाता है. सावन मास में भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं.

कांवड़ लेकर ऋषिकेश से रोहतक जाता शेखर.
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Published : Jul 19, 2019, 12:40 PM IST

ऋषिकेश: सावन मास में हर तरफ बम-बम भोले की गूंज सुनाई देती है. कंधे पर कांवड़ लिए हर शिव भक्त गंगाधर का गंगा जल से श्रृंगार कर कष्टों से उबारने की मुराद मांगता है. वहीं यात्रा में शिव भक्तों के कई रंग देखने को मिलते हैं. कोई कांवड़ पथ की दूरी को अपने शरीर की लंबाई से लेट कर नापते हुए तो कोई पैदल यात्रा पूरी करता दिखाई देता है. इस बार यात्रा में नीलकंठ से रोहतक (हरियाणा) तक भारी भरकम कांवड़ लेकर शेखर अकेले पैदल निकले हैं, जो शिव से मुराद पूरी होने का आशीर्वाद मांग रहे हैं.

महादेव को प्रसन्न कर मनचाहा फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय कांवड़ यात्रा भी है. सावन महीना शिव भक्तों के लिए काफी अहम माना जाता है. सावन मास में भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं. यात्रा में शिव भक्तों के कई रंग देखने को मिलते हैं. इस बार यात्रा में नीलकंठ से रोहतक (हरियाणा) तक भारी भरकम कावड़ लेकर शेखर अकेले पैदल निकले हैं, जो शिव से मुराद पूरी होने का आशीर्वाद मांग रहे हैं.

कांवड़ लेकर ऋषिकेश से रोहतक जाता शेखर.

पढ़ें-IPHS लागू होने से स्वास्थ्य सेवाओं में आएगा बदलाव, सरकार ने तेज की कवायद

शेखर ने बताया कि भगवान शिव से उन्होंने कुछ मुराद मांगी है. अपनी इस मुराद को पूरी करने के लिए यहां पहुंचे, जहां उन्होंने कांवड़ में चार स्टील के घड़े बांधे हुए हैं. चारों घड़ों में गंगाजल भरकर वह अपने इष्ट देव भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे. उन्होंने बताया कि इस चारों घड़े में 48 लीटर गंगाजल है. जिसको लेकर वह अकेले पैदल मार्च करते हुए रोहतक पहुंचकर अपने इष्ट देव भगवान शिव का जलाभिषेक कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करेंगे.

शिव भक्त शेखर ने बताया कि वह इतना भारी वजन अपने कंधों पर उठाकर अकेले ही रोहतक तक जाएंगे. इसके लिए वे किसी का सहारा नहीं लेंगे. जब उनकी मन्नत पूरी हो जाएगी तो वह एक बार फिर इसी तरह से कांवड़ में जल भरकर ऋषिकेश से रोहतक के लिए जाएंगे. बता दें कि ऋषिकेश से रोहतक तक की दूरी लगभग 260 किलोमीटर है. लेकिन उनके हौसलों के सामने ये दूरी काफी कम दिखाई दे रही है.

ऋषिकेश: सावन मास में हर तरफ बम-बम भोले की गूंज सुनाई देती है. कंधे पर कांवड़ लिए हर शिव भक्त गंगाधर का गंगा जल से श्रृंगार कर कष्टों से उबारने की मुराद मांगता है. वहीं यात्रा में शिव भक्तों के कई रंग देखने को मिलते हैं. कोई कांवड़ पथ की दूरी को अपने शरीर की लंबाई से लेट कर नापते हुए तो कोई पैदल यात्रा पूरी करता दिखाई देता है. इस बार यात्रा में नीलकंठ से रोहतक (हरियाणा) तक भारी भरकम कांवड़ लेकर शेखर अकेले पैदल निकले हैं, जो शिव से मुराद पूरी होने का आशीर्वाद मांग रहे हैं.

महादेव को प्रसन्न कर मनचाहा फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय कांवड़ यात्रा भी है. सावन महीना शिव भक्तों के लिए काफी अहम माना जाता है. सावन मास में भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं. यात्रा में शिव भक्तों के कई रंग देखने को मिलते हैं. इस बार यात्रा में नीलकंठ से रोहतक (हरियाणा) तक भारी भरकम कावड़ लेकर शेखर अकेले पैदल निकले हैं, जो शिव से मुराद पूरी होने का आशीर्वाद मांग रहे हैं.

कांवड़ लेकर ऋषिकेश से रोहतक जाता शेखर.

पढ़ें-IPHS लागू होने से स्वास्थ्य सेवाओं में आएगा बदलाव, सरकार ने तेज की कवायद

शेखर ने बताया कि भगवान शिव से उन्होंने कुछ मुराद मांगी है. अपनी इस मुराद को पूरी करने के लिए यहां पहुंचे, जहां उन्होंने कांवड़ में चार स्टील के घड़े बांधे हुए हैं. चारों घड़ों में गंगाजल भरकर वह अपने इष्ट देव भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे. उन्होंने बताया कि इस चारों घड़े में 48 लीटर गंगाजल है. जिसको लेकर वह अकेले पैदल मार्च करते हुए रोहतक पहुंचकर अपने इष्ट देव भगवान शिव का जलाभिषेक कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करेंगे.

शिव भक्त शेखर ने बताया कि वह इतना भारी वजन अपने कंधों पर उठाकर अकेले ही रोहतक तक जाएंगे. इसके लिए वे किसी का सहारा नहीं लेंगे. जब उनकी मन्नत पूरी हो जाएगी तो वह एक बार फिर इसी तरह से कांवड़ में जल भरकर ऋषिकेश से रोहतक के लिए जाएंगे. बता दें कि ऋषिकेश से रोहतक तक की दूरी लगभग 260 किलोमीटर है. लेकिन उनके हौसलों के सामने ये दूरी काफी कम दिखाई दे रही है.

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ऋषिकेश--अद्भुत हैं शिव के भक्त जिन पर विस्वास कर पाना मुश्किल है जी हां सावन के महीने में कांवड़ लेकर भगवान शिव के भक्त अपने अलग अलग तरीके से पूजा अर्चना कर खुश करने की कोशिश करते हैं वहीं कुछ लोग अपनी मन्नत पूरी करने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या करते हैं ऐसी ही एक व्यक्ति की कहानी ईटीवी भारत आपको बताने जा रहे है जो भगवान शिव को खुश करने के लिए नीलकंठ से रोहतक (हरियाणा) तक भारी भरकम कावड़ लेकर अकेला पैदल ही निकला है।


Body:वी/ओ-- रोहतक जिला हरियाणा के रहने वाले शेखर जो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक कठोर तपस्या करने में लगे हुए हैं शेखर हरियाणा से नीलकंठ पहुंचे जहां होने के बाद उन्होंने राम झूला से गंगाजल भरकर पैदल ही हरियाणा के लिए निकल चुके हैं ईटीवी भारत ने शेखर से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि भगवान शिव से उन्होंने कुछ मुराद मांगी है अपनी इस मुराद को पूरी करने के लिए वहां पहुंचे जहां उन्होंने अपने अकाउंट में चार स्टील के घड़े बांधे हुए चारों घरों में गंगाजल भरकर वह अपने इष्ट देव भगवान शिव को जलाभिषेक करेंगे उन्होंने बताया कि इस चारों घड़े में 48 लीटर गंगाजल है जिसको लेकर वह अकेले पैदल मार्च करते हुए रोहतक पहुंचकर अपने इष्ट देव भगवान शिव का जलाभिषेक कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करेंगे।


Conclusion:वी/ओ-- शिव भक्त शेखर ने बताया कि वह इतना भारी वजन अपने कंधों पर उठाकर अकेले ही रोहतक तक जाएंगे इसके लिए वे किसी का सहारा नहीं लेंगे उनका कहना था कि इसका वन को लेकर रोहतक जाएंगे जिसके बाद में भगवान शिव से अपनी मन्नत मांगेंगे उसके बाद जब उनकी मन्नत पूरी हो जाएगी तो वह एक बार फिर इसी तरह से कांवड़ में जल भरकर ऋषिकेश से रोहतक के लिए जाएंगे, आपको बता दें कि ऋषिकेश से रोहतक तक की दूरी लगभग 260 किलोमीटर है ऐसे में इतना भारी भरकम वजन लेकर 260 किलोमीटर तक चलना अपने आप में बड़ी बात है यकीनन यह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किसी तपस्या से कम नहीं है।
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