ऋषिकेश: सावन मास में हर तरफ बम-बम भोले की गूंज सुनाई देती है. कंधे पर कांवड़ लिए हर शिव भक्त गंगाधर का गंगा जल से श्रृंगार कर कष्टों से उबारने की मुराद मांगता है. वहीं यात्रा में शिव भक्तों के कई रंग देखने को मिलते हैं. कोई कांवड़ पथ की दूरी को अपने शरीर की लंबाई से लेट कर नापते हुए तो कोई पैदल यात्रा पूरी करता दिखाई देता है. इस बार यात्रा में नीलकंठ से रोहतक (हरियाणा) तक भारी भरकम कांवड़ लेकर शेखर अकेले पैदल निकले हैं, जो शिव से मुराद पूरी होने का आशीर्वाद मांग रहे हैं.
महादेव को प्रसन्न कर मनचाहा फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय कांवड़ यात्रा भी है. सावन महीना शिव भक्तों के लिए काफी अहम माना जाता है. सावन मास में भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं. यात्रा में शिव भक्तों के कई रंग देखने को मिलते हैं. इस बार यात्रा में नीलकंठ से रोहतक (हरियाणा) तक भारी भरकम कावड़ लेकर शेखर अकेले पैदल निकले हैं, जो शिव से मुराद पूरी होने का आशीर्वाद मांग रहे हैं.
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शेखर ने बताया कि भगवान शिव से उन्होंने कुछ मुराद मांगी है. अपनी इस मुराद को पूरी करने के लिए यहां पहुंचे, जहां उन्होंने कांवड़ में चार स्टील के घड़े बांधे हुए हैं. चारों घड़ों में गंगाजल भरकर वह अपने इष्ट देव भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे. उन्होंने बताया कि इस चारों घड़े में 48 लीटर गंगाजल है. जिसको लेकर वह अकेले पैदल मार्च करते हुए रोहतक पहुंचकर अपने इष्ट देव भगवान शिव का जलाभिषेक कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करेंगे.
शिव भक्त शेखर ने बताया कि वह इतना भारी वजन अपने कंधों पर उठाकर अकेले ही रोहतक तक जाएंगे. इसके लिए वे किसी का सहारा नहीं लेंगे. जब उनकी मन्नत पूरी हो जाएगी तो वह एक बार फिर इसी तरह से कांवड़ में जल भरकर ऋषिकेश से रोहतक के लिए जाएंगे. बता दें कि ऋषिकेश से रोहतक तक की दूरी लगभग 260 किलोमीटर है. लेकिन उनके हौसलों के सामने ये दूरी काफी कम दिखाई दे रही है.