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ऋषिकेश निदेशक की ब्लैक फंगस मरीजों को सलाह, शुगर लेवल का रखें विशेष ध्यान

एम्स ऋषिकेश के निदेशक ने सलाह दी है कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी म्यूकरमाइकोसिस रोगियों को शुगर लेवल को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है.

ऋषिकेश AIIMS निदेशक
ऋषिकेश AIIMS निदेशक
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Published : Jul 10, 2021, 8:14 PM IST

ऋषिकेश: अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद यदि म्यूकरमाइकोसिस मरीजों (mucormycosis patients) ने अपने शुगर लेवल (sugar level) को नियंत्रित रखने में लापरवाही बरती तो, उन्हें फिर से ब्लैक फंगस (black fungus) हो सकता है. ऐसे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश (All India Institute of Medical Science, Rishikesh) ने मरीजों को शुगर लेवल के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है.

ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या (Number of Black Fungus Patients) में भले ही कमी आने लगी हो, लेकिन शुगर पर नियंत्रण नहीं रखने से ऐसे मरीजों की दिक्कतें फिर से बढ़ सकती हैं. इसको लेकर एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) ने सलाह दी है कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी म्यूकरमाइकोसिस रोगियों को शुगर लेवल को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है.

बता दें कि कोविड की दूसरी लहर (second wave of covid) के दौरान मई माह में ब्लैक फंगस के मामले एकाएक बढ़ गए थे. तब से अभी तक एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के 348 रोगी आ चुके हैं. वर्तमान में यहां 170 ब्लैक फंगस रोगियों का उपचार चल रहा है. इनमें से 108 मरीज (mucor patient) एम्स अस्पताल में और 62 मरीज आईडीपीएल स्थित राइफलमैन जसवंत सिंह रावत कोविड केयर सेंटर में भर्ती हैं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में सामने आए ब्लैक फंगस के 4 नए केस, एक भी मौत नहीं

एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत (AIIMS Director Professor Ravi Kant) ने बताया कि जिन लोगों को ब्लड शुगर की समस्या (blood sugar problem) है, उन्हें म्यूकरमाइकोसिस का ज्यादा खतरा है. खासतौर से उन मरीजों को जिन्हें कोविड हुआ है, उन्हें अपने शुगर के प्रति बहुत गंभीरता बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि न केवल म्यूकरमाइकोसिस, कई अन्य गंभीर बीमारियां भी ब्लड शुगर बढ़ने से होती हैं.

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि यह कोई जरूरी नहीं कि जो लोग ब्लैक फंगस का उपचार (Mucor's treatment) करवाकर डिस्चार्ज हो रहे हैं, उनमें दोबारा म्यूकर नहीं हो सकता. यदि शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ गई तो म्यूकर फंगस फिर से उन्हीं अंगों अथवा शरीर के अन्य अंगों को चपेट में ले सकता है. ऐसे में मरीज को फिर से अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है. लिहाजा ऐसे मरीजों को ब्लड शुगर नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड को आज मिलीं 40 हजार वैक्सीन, ऐसे दिसंबर तक कैसे पूरा होगा लक्ष्य ?

म्यूकर ट्रीटमेंट टीम (Mucor Treatment Team) के हेड और ईएनटी सर्जन डॉ अमित त्यागी ने बताया कि ब्लैक फंगस रोगियों को एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन (amphotericin injection) से इलाज के लिए सामान्य तौर पर 3 से 6 सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है. उन्होंने बताया कि एम्स में अब तक म्यूकर के 126 रोगियों की एंडोस्कोपिक सर्जरी, 92 रोगियों की तालुका तथा जबड़े से संबंधित मैक्सिलेक्टॉमी सर्जरी और 64 रोगियों की आंख की सर्जरी की जा चुकी है.

डॉ. त्यागी ने बताया कि जो मरीज आईडीपीएल स्थित राइफलमैन जसवंत सिंह कोविड केयर सेंटर (Rifleman Jaswant Singh covid Care Center) में भर्ती किए जा रहे हैं, उन्हें भोजन एवं उपचार आदि की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान हम सभी को कई प्रकार के अनुभव प्राप्त हुए हैं. इन अनुभवों ने हमें सिखाया है कि म्यूकर माइकोसिस जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है. अन्यथा इस खतरनाक बीमारी से बचाव होना बहुत मुश्किल है.

ऋषिकेश: अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद यदि म्यूकरमाइकोसिस मरीजों (mucormycosis patients) ने अपने शुगर लेवल (sugar level) को नियंत्रित रखने में लापरवाही बरती तो, उन्हें फिर से ब्लैक फंगस (black fungus) हो सकता है. ऐसे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश (All India Institute of Medical Science, Rishikesh) ने मरीजों को शुगर लेवल के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है.

ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या (Number of Black Fungus Patients) में भले ही कमी आने लगी हो, लेकिन शुगर पर नियंत्रण नहीं रखने से ऐसे मरीजों की दिक्कतें फिर से बढ़ सकती हैं. इसको लेकर एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) ने सलाह दी है कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी म्यूकरमाइकोसिस रोगियों को शुगर लेवल को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है.

बता दें कि कोविड की दूसरी लहर (second wave of covid) के दौरान मई माह में ब्लैक फंगस के मामले एकाएक बढ़ गए थे. तब से अभी तक एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के 348 रोगी आ चुके हैं. वर्तमान में यहां 170 ब्लैक फंगस रोगियों का उपचार चल रहा है. इनमें से 108 मरीज (mucor patient) एम्स अस्पताल में और 62 मरीज आईडीपीएल स्थित राइफलमैन जसवंत सिंह रावत कोविड केयर सेंटर में भर्ती हैं.

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एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत (AIIMS Director Professor Ravi Kant) ने बताया कि जिन लोगों को ब्लड शुगर की समस्या (blood sugar problem) है, उन्हें म्यूकरमाइकोसिस का ज्यादा खतरा है. खासतौर से उन मरीजों को जिन्हें कोविड हुआ है, उन्हें अपने शुगर के प्रति बहुत गंभीरता बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि न केवल म्यूकरमाइकोसिस, कई अन्य गंभीर बीमारियां भी ब्लड शुगर बढ़ने से होती हैं.

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि यह कोई जरूरी नहीं कि जो लोग ब्लैक फंगस का उपचार (Mucor's treatment) करवाकर डिस्चार्ज हो रहे हैं, उनमें दोबारा म्यूकर नहीं हो सकता. यदि शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ गई तो म्यूकर फंगस फिर से उन्हीं अंगों अथवा शरीर के अन्य अंगों को चपेट में ले सकता है. ऐसे में मरीज को फिर से अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है. लिहाजा ऐसे मरीजों को ब्लड शुगर नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है.

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म्यूकर ट्रीटमेंट टीम (Mucor Treatment Team) के हेड और ईएनटी सर्जन डॉ अमित त्यागी ने बताया कि ब्लैक फंगस रोगियों को एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन (amphotericin injection) से इलाज के लिए सामान्य तौर पर 3 से 6 सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है. उन्होंने बताया कि एम्स में अब तक म्यूकर के 126 रोगियों की एंडोस्कोपिक सर्जरी, 92 रोगियों की तालुका तथा जबड़े से संबंधित मैक्सिलेक्टॉमी सर्जरी और 64 रोगियों की आंख की सर्जरी की जा चुकी है.

डॉ. त्यागी ने बताया कि जो मरीज आईडीपीएल स्थित राइफलमैन जसवंत सिंह कोविड केयर सेंटर (Rifleman Jaswant Singh covid Care Center) में भर्ती किए जा रहे हैं, उन्हें भोजन एवं उपचार आदि की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान हम सभी को कई प्रकार के अनुभव प्राप्त हुए हैं. इन अनुभवों ने हमें सिखाया है कि म्यूकर माइकोसिस जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है. अन्यथा इस खतरनाक बीमारी से बचाव होना बहुत मुश्किल है.

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