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कांग्रेस में क्यों मचने लगी भगदड़? परिवार नहीं संभाल पा रहे हरीश रावत!

उत्तराखंड में भी कांग्रेस के अंदर सब कुछ सही नहीं चल रहा है. कांग्रेस के बड़े नेता और विधायक राजकुमार ने पार्टी का हाथ छोड़कर बीजेपी के दामन थाम लिया है. विधायक राजकुमार के कांग्रेस छोड़ने के बाद एक बार फिर हरीश रावत के नेतृत्व पर सवाल खड़े होने लगे हैं. कहा जाने लगा है कि हरीश रावत परिवार संभालना नहीं जानते हैं, जिसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है.

Harish Rawat news
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Published : Sep 13, 2021, 5:33 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 7:34 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में हरीश रावत का नाम सबसे दिग्गज नेताओं में शुमार है. राजनीतिज्ञ के माहिर हरीश रावत प्रदेशवासियों के बीच में अपने अलग राजनीतिक अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं. इतना कुछ होने के बाद भी हरीश रावत एक बात नहीं सीख पाए हैं. वो है अपने परिवार को संभाल कर रखना. जी हां क्योंकि हरीश जब भी पार्टी में मुखिया के तौर पर रहे हैं, तब-तब पार्टी में बगावत अपने चरम पर दिखाई दी है.

उत्तराखंड में यूं तो हरीश रावत अपनी ही पार्टी के लिए कई बार मुसीबत बनते रहे हैं, लेकिन जिस ताकत को पाने के लिए वह पार्टी के अंदर संघर्ष करते दिखाई दिए, वह कुर्सी मिलने के बाद वह परिवार को संभालने में कामयाब नहीं रहे. ताजा उदाहरण उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों मच रही भगदड़ का है. वैसे तो उत्तराखंड कांग्रेस में बड़े चेहरों का पहले ही अकाल है. लेकिन ऐसे हालातों में भी कांग्रेस से भागने वालों का सिलसिला जारी है.

परिवार नहीं संभाल पा रहे हरीश रावत!

पढ़ें- उत्तराखंड कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं! हरीश रावत-गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह दिल्ली तलब

दरअसल, प्रदेश में हरीश रावत चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हैं और उन्हें ही राज्य में चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है. खास बात यह है कि पार्टी संगठन में अध्यक्ष पद पर भी उन्होंने ही अपने खासम-खास गणेश गोदियाल को जगह दिलवाई है. लेकिन हरीश रावत के लिए चिंता की बात यह है कि यह कमान उनके हाथों में आते ही कांग्रेस से जाने वालों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. पार्टी के मात्र 10 विधायकों में से भी एक विधायक राजकुमार ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी के दामन थाम लिया है. जबकि अभी कई दूसरे नेताओं में भी भगदड़ मचने की बात कही जा रही है. इस बात को बीजेपी साफ और सीधे शब्दों में कह रही है.

बीजेपी विधायक विनोद चमोली कहते हैं कि हरीश रावत बीजेपी के लिए लकी कार्ड है, जब-जब हरीश रावत को कांग्रेस ने बढ़ाया है, तब तक बीजेपी मजबूत हुई है. उन्होंने कहा कि हरीश रावत को यदि कांग्रेस चेहरा बनाती है तो और भी बड़ी संख्या में लोग बीजेपी की तरफ दौड़ लगाएंगे.

पढ़ें- अनर्गल बयानबाजी से बचें वरिष्ठ कांग्रेसी, मदन बिष्ट ने दी नसीहत

हरीश रावत को जिम्मेदारी मिलते ही कांग्रेस में क्यों मचने लगी भगदड़?: हरीश रावत यू तो मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी है, लेकिन पावर मिलते ही वह किसी की नहीं सुनते. हरीश रावत द्वारा अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से किए गए वादे पूरे न करना भी पार्टी नेताओं को अखरता है. यहीं नहीं हरीश रावत को लेकर कहा जाता है कि वे पार्टी में केवल अपने फायद के लिए राजनीति करते हैं.

कार्यकर्ताओं से संवाद हीनता भी बनती है मुसीबत: हरीश को लेकर उन्हीं की पार्टी के कुछ लोग कहते है कि वे अपने ही गुट के नेताओं को तवज्जो देते हैं. इसीलिए विरोध गुट बगावत करने लगता है. हालांकि पार्टी के अंदर कांग्रेस विधायकों का सबसे ज्यादा समर्थन हरीश रावत को है, लेकिन यह बात भी ठीक है कि पार्टी में उनका विरोध करने वालों की भी कमी नहीं है.

पढ़ें- MLA राजकुमार की 'घर वापसी' पर बोले गोदियाल, पार्टी हो रही मजबूत

मौजूदा समय में हरीश रावत पार्टी के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष और उन्हें हाईकमान ने अहम जिम्मेदारी दी है. लेकिन हरीश रावत को सबसे मजबूत चेहरा बनाने के बाद कांग्रेस के विधायक राजकुमार ने अपने दूसरे कारणों से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. वहीं चर्चा है कि कुछ और कांग्रेसी पार्टी छोड़ने वाले हैं.

हरीश रावत के पावर में रहते हुए कांग्रेस में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले भी साल 2016 में जब वे मुख्यमंत्री थे, तब भी बड़ी संख्या में विधायक जिसमें से कई तो मंत्री थे, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. उन्होंने भी तक हरीश रावत का विरोध किया था. हालांकि कांग्रेस नेता कहते है कि मौजूदा समय में भाजपा का दामन थाम रहे लोगों का हरीश रावत के नेतृत्व में चेहरे से कोई लेना-देना नहीं है और कांग्रेस में हरीश रावत की सर्वमान्य चेहरा है. ऐसे में जिन लोगों ने पार्टी छोड़ी है, वह पार्टी के साथ दगाबाजी कर रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में हरीश रावत का नाम सबसे दिग्गज नेताओं में शुमार है. राजनीतिज्ञ के माहिर हरीश रावत प्रदेशवासियों के बीच में अपने अलग राजनीतिक अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं. इतना कुछ होने के बाद भी हरीश रावत एक बात नहीं सीख पाए हैं. वो है अपने परिवार को संभाल कर रखना. जी हां क्योंकि हरीश जब भी पार्टी में मुखिया के तौर पर रहे हैं, तब-तब पार्टी में बगावत अपने चरम पर दिखाई दी है.

उत्तराखंड में यूं तो हरीश रावत अपनी ही पार्टी के लिए कई बार मुसीबत बनते रहे हैं, लेकिन जिस ताकत को पाने के लिए वह पार्टी के अंदर संघर्ष करते दिखाई दिए, वह कुर्सी मिलने के बाद वह परिवार को संभालने में कामयाब नहीं रहे. ताजा उदाहरण उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों मच रही भगदड़ का है. वैसे तो उत्तराखंड कांग्रेस में बड़े चेहरों का पहले ही अकाल है. लेकिन ऐसे हालातों में भी कांग्रेस से भागने वालों का सिलसिला जारी है.

परिवार नहीं संभाल पा रहे हरीश रावत!

पढ़ें- उत्तराखंड कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं! हरीश रावत-गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह दिल्ली तलब

दरअसल, प्रदेश में हरीश रावत चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हैं और उन्हें ही राज्य में चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है. खास बात यह है कि पार्टी संगठन में अध्यक्ष पद पर भी उन्होंने ही अपने खासम-खास गणेश गोदियाल को जगह दिलवाई है. लेकिन हरीश रावत के लिए चिंता की बात यह है कि यह कमान उनके हाथों में आते ही कांग्रेस से जाने वालों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. पार्टी के मात्र 10 विधायकों में से भी एक विधायक राजकुमार ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी के दामन थाम लिया है. जबकि अभी कई दूसरे नेताओं में भी भगदड़ मचने की बात कही जा रही है. इस बात को बीजेपी साफ और सीधे शब्दों में कह रही है.

बीजेपी विधायक विनोद चमोली कहते हैं कि हरीश रावत बीजेपी के लिए लकी कार्ड है, जब-जब हरीश रावत को कांग्रेस ने बढ़ाया है, तब तक बीजेपी मजबूत हुई है. उन्होंने कहा कि हरीश रावत को यदि कांग्रेस चेहरा बनाती है तो और भी बड़ी संख्या में लोग बीजेपी की तरफ दौड़ लगाएंगे.

पढ़ें- अनर्गल बयानबाजी से बचें वरिष्ठ कांग्रेसी, मदन बिष्ट ने दी नसीहत

हरीश रावत को जिम्मेदारी मिलते ही कांग्रेस में क्यों मचने लगी भगदड़?: हरीश रावत यू तो मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी है, लेकिन पावर मिलते ही वह किसी की नहीं सुनते. हरीश रावत द्वारा अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से किए गए वादे पूरे न करना भी पार्टी नेताओं को अखरता है. यहीं नहीं हरीश रावत को लेकर कहा जाता है कि वे पार्टी में केवल अपने फायद के लिए राजनीति करते हैं.

कार्यकर्ताओं से संवाद हीनता भी बनती है मुसीबत: हरीश को लेकर उन्हीं की पार्टी के कुछ लोग कहते है कि वे अपने ही गुट के नेताओं को तवज्जो देते हैं. इसीलिए विरोध गुट बगावत करने लगता है. हालांकि पार्टी के अंदर कांग्रेस विधायकों का सबसे ज्यादा समर्थन हरीश रावत को है, लेकिन यह बात भी ठीक है कि पार्टी में उनका विरोध करने वालों की भी कमी नहीं है.

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मौजूदा समय में हरीश रावत पार्टी के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष और उन्हें हाईकमान ने अहम जिम्मेदारी दी है. लेकिन हरीश रावत को सबसे मजबूत चेहरा बनाने के बाद कांग्रेस के विधायक राजकुमार ने अपने दूसरे कारणों से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. वहीं चर्चा है कि कुछ और कांग्रेसी पार्टी छोड़ने वाले हैं.

हरीश रावत के पावर में रहते हुए कांग्रेस में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले भी साल 2016 में जब वे मुख्यमंत्री थे, तब भी बड़ी संख्या में विधायक जिसमें से कई तो मंत्री थे, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. उन्होंने भी तक हरीश रावत का विरोध किया था. हालांकि कांग्रेस नेता कहते है कि मौजूदा समय में भाजपा का दामन थाम रहे लोगों का हरीश रावत के नेतृत्व में चेहरे से कोई लेना-देना नहीं है और कांग्रेस में हरीश रावत की सर्वमान्य चेहरा है. ऐसे में जिन लोगों ने पार्टी छोड़ी है, वह पार्टी के साथ दगाबाजी कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 13, 2021, 7:34 PM IST
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