देहरादून: उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार की तरफ से कुछ नई पहल किए जाने का निर्णय लिया गया है. विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्य सचिव ओमप्रकाश और विभिन्न अधिकारियों ने इसके मद्देनजर बातचीत की. इस दौरान पर्यावरण के संरक्षण पर कुछ नई व्यवस्थाएं शुरू करने का भी निर्णय लिया गया है.
विश्व पर्यावरण दिवस पर उत्तराखंड सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. राज्य सरकार ने पर्यावरण को बचाने के लिए सभी को साथ लेने और ऐसा कार्य करने वालों को सम्मानित किए जाने पर नए फैसले लिए हैं.
वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार अब 5 जून को प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहतर कार्य करने वाले जनपदों और विभागों को सम्मानित करेगी. उत्तराखंड का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ऐसे विभाग और जनपदों को सम्मानित करेगा. इसके अलावा राज्य में पहली बार जीडीपी की तर्ज पर जीईपी की शुरुआत की जाएगी.
जीईपी का मतलब सकल पर्यावरण उत्पाद (Gross Environmental Product) से है. इसके तहत हर साल जीडीपी की तरह अब जीईपी का भी आकलन या समीक्षा की जाएगी. इसमें सालाना रिपोर्ट तैयार की जाएगी कि आखिरकार उत्तराखंड पर्यावरण को लेकर किस स्तर पर पहुंचा है. बैठक में तीसरा निर्णय तालाब और जल स्रोतों के पुनर्जीवन से जुड़ा था. बैठक में निर्णय लिया गया कि अगले 1 साल में राज्य के राजस्व अभिलेखों में मौजूद सभी तालाब और जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाएगा.
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उत्तराखंड करेगा जीईपी की पहल
विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन का मार्ग सकल पर्यावरण उत्पाद (GEP) है. देश में अभी तक विकास को नापने का सूचक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) है. लेकिन इसमें हवा, मिट्टी, पानी, जंगल कोई मतलब नहीं है. जीईपी को लेकर प्रदेश सरकार का सकारात्मक है. जल्द ही उत्तराखंड जीईपी की पहल करेगा.
उधर पर्यावरण को लेकर ही अगला निर्णय सभी विभागों की इसमें सहभागिता को लेकर रहा और निर्णय लिया गया है कि अब प्रदेश के सभी विभागों में बजट आवंटन के दौरान विभागों के इस बजट में क्लाइमेट बजट का विशेष प्रावधान होगा. इसी बजट से सभी विभाग अपने-अपने स्तर से पर्यावरण के संरक्षण को लेकर काम करेंगे.