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मिड-डे मील का REALITY CHECK, बच्चों ने खाने के बारे में कही ये बात

ईटीवी भारत की टीम अजबपुर क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक और राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय में एक रियलिटी चेक किया. विद्यालयों में बच्चों को दाल, चावल और एक सूखी सब्जी परोसी गई. जिसके स्वाद की हालांकि स्कूली बच्चे काफी तारीफ करते नजर आए. लेकिन जो यहां दाल बच्चों को परोसी गई, उसमें पानी ज्यादा और दाल की मात्रा काफी कम थी.

मिड-डे मील पर किया गया REALITY CHECK
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Published : Sep 4, 2019, 11:25 PM IST

Updated : Sep 5, 2019, 12:47 AM IST

देहरादून: सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पोष्टिक आहार मिल सके, इस बात को ध्यान में रखते हुए साल 1995 में देश में मिड डे मील योजना की शुरुआत की गई थी. ऐसे में प्रदेश की राजधानी देहरादून के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम बुधवार को अजबपुर क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक और राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय में एक रियलिटी चेक किया.

मिड-डे मील पर किया गया REALITY CHECK

इस रियलिटी चेक के दौरान सुबह 9:30 से 10:00 के बीच जब हमारी टीम ने दोनों ही स्कूलों का रुख किया तो इस दौरान दोनों ही स्कूलों में बच्चों के लिए खाना तैयार किया जा रहा था. जहां राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय में किचन में सफाई की व्यवस्था काफी बेहतर नजर आई. वहीं राजकीय प्राथमिक विद्यालय के किचन में साफ- सफाई की काफी कमी दिखी.

पढ़ें- देहरादून के जिला कारागार में भूख हड़ताल पर बैठा कैदी, ये है मांग

इस दौरान दोनों ही स्कूलों की प्राचार्यों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि सोमवार से लेकर शनिवार तक बच्चों को अलग-अलग दिन अलग-अलग दालें और सब्जी परोसी जाती है. ऐसे में यह पहले से ही निर्धारित है कि किस दिन भोजन माताएं बच्चों के लिए कौन सा भोजन बनाएंगी.

इन दोनों ही विद्यालयों में बच्चों को दाल, चावल और एक सूखी सब्जी परोसी गई. जिसके स्वाद की हालांकि स्कूली बच्चे काफी तारीफ करते नजर आए. लेकिन जो यहां जो दाल बच्चों को परोसी गई, उसमें पानी ज्यादा और दाल की मात्रा काफी कम थी.

बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाए तो इस रियलिटी चेक में अजबपुर कलां के इन दोनों ही सरकारी स्कूलों में मिड डे मील में कोई खास कमियां नजर नहीं आई. लेकिन इतना जरूर है कि यदि इस आहार को और अधिक पौष्टिक बनाया जाए तो यह बच्चों के शारीरिक विकास के लिए काफी लाभदायक साबित होगा.

देहरादून: सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पोष्टिक आहार मिल सके, इस बात को ध्यान में रखते हुए साल 1995 में देश में मिड डे मील योजना की शुरुआत की गई थी. ऐसे में प्रदेश की राजधानी देहरादून के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम बुधवार को अजबपुर क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक और राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय में एक रियलिटी चेक किया.

मिड-डे मील पर किया गया REALITY CHECK

इस रियलिटी चेक के दौरान सुबह 9:30 से 10:00 के बीच जब हमारी टीम ने दोनों ही स्कूलों का रुख किया तो इस दौरान दोनों ही स्कूलों में बच्चों के लिए खाना तैयार किया जा रहा था. जहां राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय में किचन में सफाई की व्यवस्था काफी बेहतर नजर आई. वहीं राजकीय प्राथमिक विद्यालय के किचन में साफ- सफाई की काफी कमी दिखी.

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इस दौरान दोनों ही स्कूलों की प्राचार्यों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि सोमवार से लेकर शनिवार तक बच्चों को अलग-अलग दिन अलग-अलग दालें और सब्जी परोसी जाती है. ऐसे में यह पहले से ही निर्धारित है कि किस दिन भोजन माताएं बच्चों के लिए कौन सा भोजन बनाएंगी.

इन दोनों ही विद्यालयों में बच्चों को दाल, चावल और एक सूखी सब्जी परोसी गई. जिसके स्वाद की हालांकि स्कूली बच्चे काफी तारीफ करते नजर आए. लेकिन जो यहां जो दाल बच्चों को परोसी गई, उसमें पानी ज्यादा और दाल की मात्रा काफी कम थी.

बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाए तो इस रियलिटी चेक में अजबपुर कलां के इन दोनों ही सरकारी स्कूलों में मिड डे मील में कोई खास कमियां नजर नहीं आई. लेकिन इतना जरूर है कि यदि इस आहार को और अधिक पौष्टिक बनाया जाए तो यह बच्चों के शारीरिक विकास के लिए काफी लाभदायक साबित होगा.

Intro:Visual send from FTP SPECIAL STORY ( Reality check)

Folder Name
- uk_deh_02_mid_day_meal_pkg_7201636

देहरादून- उत्तर प्रदेश से हाल ही में मिड डे मील की सच्चाई से जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ है । जिसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर वास्तव में स्कूलों में परोसे जाने वाले मिड डे मील की क्या है सच्चाई ?

बता दें सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पोष्टिक आहार मिल सके इस बात को ध्यान में रखते हुए साल 1995 में देश में मिड डे मील योजना की शुरुआत की गई थी । ऐसे में प्रदेश की राजधानी देहरादून के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की वास्तविक स्थिति क्या है। इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने आज अजबपुर क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक और राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय में एक रियलिटी चेक किया।

इस रियलिटी चेक के दौरान सवेरे 9:30 से 10:00 के बीच जब हमारी टीम ने दोनों ही स्कूलों का रुख किया तो इस दौरान दोनों की स्कूलों में बच्चों के लिए खाना तैयार किया जा रहा था । जहाँ राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय में हमें किचन में सफाई की व्यवस्था काफी बेहतर नज़र आई । वही राजकीय प्राथमिक विद्यालय के किचन में साफ- सफाई की काफी कमी थी।







Body:इस दौरान दोनों ही स्कूलों की प्राचार्यों से जब हमें बात कि तो उन्होंने बताया कि सोमवार से लेकर शनिवार तक बच्चों को अलग- अलग दिन अलग-अलग दालें और सब्जी परोसी जाती हैं । ऐसे में यह पहले कि निर्धारिक है किस दिन भोजन माताएं बच्चों के लिए कौनसी दाल तैयार करेंगी ।



Conclusion:वहीं अब अगर हम यहां दिन के वक्त बच्चों को परोसे गए खाने की बात करें तो इन दोनों ही विद्यालयों में बच्चों को दाल, चावल और एक सूखी सब्जी परोसी गई । जिसके स्वाद की हालांकि स्कूली बच्चे काफी तारीफें करते नज़र आए । लेकिन यहां बच्चों को परोसे गए खाने में जो एक बात हमने गौर कि वह यह थी कि जिस खाने को बच्चे स्वादिस्ट बता कर खा रहे हैं उसमें पानी ज्यादा और दाल की मात्रा काफी कम थी। शायद इसकी एक बड़ी वजह दालों के बढ़े हुए दाम हो।

बहरहाल कुल मिलाकर देखा जाए तो इस रियलिटी चेक में अजबपुर कलां के इन दोनों ही सरकारी स्कूलों में हमें मिड डे मील में कोई खास कमियां नजर नहीं आई । लेकिन इतना जरूर है कि यदि इस आहार को और अधिक पौष्टिक बनाया जाए तो यह बच्चों के शारीरिक विकास के लिए काफी लाभदायक साबित होगा।



Last Updated : Sep 5, 2019, 12:47 AM IST
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