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दावों और वादों की हकीकत से अब भी दूर है रिस्पना, सौंग बांध की कल्पना भी अधूरी - Trivendra governments Rispana to Rishiparnas plan

2017 में तत्तकालीन त्रिवेंद्र सरकार ने रिस्पना से ऋषिपर्णा की योजना बनाई थी. अब सरकार के आखिरी साल में इस मामले में कितना काम हुआ है, क्या भाजपा सरकार अपने वादे पूरे कर पाई है, आइये जानते हैं ...

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क्या हुआ तेरा वादा?
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Published : Oct 1, 2021, 9:16 PM IST

Updated : Oct 5, 2021, 2:54 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार के पांच साल का कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है. इस बीच आज भाजपा सरकार के कुछ उन दावों की जमीनी हकीकत जानना बेहद जरूरी है, जो उन्होंने सत्ता में आते ही किये थे. प्रचंड बहुमत और सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने रिस्पना नदी के कायाकल्प करने का वाद किया था. तब तत्तकालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे लेकर बड़े-बड़े दावे किये थे, इन्ही सवालों को लेकर आज ईटीवी भारत ने रिस्पना नदी की ओर रुख किया. जिसमें हमने वादों को परखने के साथ ही जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की.

क्या है मिशन रिस्पना से ऋषिपर्णा: मिशन रिस्पना की योजना राज्य सरकार के निर्देश पर 2017 में बनाई गई थी. इस मिशन को रिस्पना से ऋषिपर्णा नाम दिया गया था. योजना थी कि देहरादून जिले में रिस्पना के करीब 20 किमी लंबे बहाव क्षेत्र में मृत रिस्पना नदी को पुनर्जीवित किया जाएगा. मई 2018 में इस मिशन को जोर-शोर से शुरू किया गया. नदी के दोनों ओर वृक्षारोपण किया गया. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने मीडिया के सामने दावा किया था कि अगले एक साल में सरकार रिस्पना को इतना साफ कर देगी कि यहां डुबकी लगाकर नहाया जा सकेगा.

दावों और वादों की हकीकत से अब भी दूर है रिस्पना

पढ़ें- देहरादून में छत और पेड़ पर चढ़े राज्य आंदोलनकारी, ये है उनकी मांग

क्या बोले थे पूर्व मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत: तब बतौर मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र रावत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा था कि सरकार ने प्रदेश की सभी जीवनदायिनी नदियों को लेकर एक मुहिम शुरू की है. इसमें देहरादून की रिस्पना-बिंदाल सहित कुमाऊं में पड़ने वाली कोसी नदी को इस योजना के तहत शामिल किया गया है. मुख्यमंत्री ने रिस्पना नदी के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में भी खुलकर बात की थी. जिसमें उन्होंने बताया कि सरकार ने रिस्पना नदी के जीर्णोद्धार के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया है. जिसमें आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट पर सरकार योजना तैयार की. जिसके लिए सरकार ने बजट भी निर्धारित किया. तब बताया गया कि रिस्पना में एक बार फिर से भरपूर पानी लाने के लिए सौंग बांध को एक विकल्प के रूप में देखा गया है.

पढ़ें- बिना ई-पास केदारनाथ जाने की जिद पर अड़े यात्री, 2 अक्टूबर से व्यापारियों का धरना

एक दिन में लगाए गये 2 लाख पौधे: 20 मई 2018 में रिस्पना के किनारे एक ही दिन में 2 लाख पौधे रोपने का दावा किया गया. इसके लिए वन विभाग और ईको टास्क फोर्स को नोडल एजेंसी बनाया गया था. वृक्षारोपण के लिए कई दिन पहले से गड्ढे खोदे गए. लगभग सभी विभागों के साथ ही स्कूली बच्चों को भी वृक्षारोपण के लिए बुलाया गया. वृक्षारोपण नदी के कैचमेंट एरिया से लेकर मोथरावाला तक किया गया था, लेकिन आज करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी इसका कोई खास रिजल्ट देखने को नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें- चारधाम यात्रा: श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर HC पहुंची धामी सरकार, सोमवार को हो सकती है सुनवाई

जिला प्रशासन ने दोबारा फिर से सभी विभागों से रिस्पना पुनर्जीवन के लिए कार्य योजना बनाने के लिए कहा, मगर पिछली कार्ययोजना का क्या हुआ इस पर कोई चर्चा नहीं हुई. रिस्पना के आस पास रहने वाले लोगों का कहना है कि इसमें संदेह नहीं कि सरकार और प्रशासन ने रिस्पना पुनर्जीवन के लिए प्रयास किये, लेकिन सवाल ये है कि नतीजे क्या निकले?

पढ़ें- हरीश रावत बोले- पंजाब में सरकार गिराने का पाप नहीं करे BJP, बहकावे में आ गए हैं कैप्टन

रिस्पना के आस पास रहने वाले लोगों का कहना है कि रिस्पना नदी के हालात नही बदले है. नदी में गंदगी पहले जैसी ही है. नदी के दोनों तरफ कैचमेंट एरिया में काफी काम हुआ है. नदी में गंदगी अब पहले के मुकाबले कम डाली जा रही है. तब की योजना के बाद लोगों की रिस्पना नदी को लेकर धारणा काफी बदल है.

बिन पानी ऋषिपर्णा सिर्फ सपना, सौंग बांध की कल्पना धरी की धरी: जानकारों का कहना है कि रिस्पना तो उसी दिन मर गई थी, जिस दिन रानी कर्णावती ने राजपुर नहर बनाई थी, जो बाकी पानी था, वह भी निकाल लिया. अब तो रिस्पना में केवल घरों से निकला मल मूत्र बहता है. वास्तव में रिस्पना को पुनर्जीवित करना है तो राजपुर नहर बंद करनी होगी. हाल के दिनों में सौंग नदी पर बांध बनाकर उसका पानी लाने की बात हो रही है, लेकिन वह कितना कारगर साबित होगा ये बड़ा सवाल है.

पढ़ें- भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार, 130 रु किलो नमक, 150 रु किलो है आटा

पिछले 3 से 4 सालों में सौंग बांध की नींव तो दूर की बात है, एक नई ईंट तक सौंग बांध के नाम पर नहीं रखी गई है. निर्माण के लिए जिम्मेदार सिंचाई विभाग से हमने सौंग बांध की प्रगति को लेकर जानकारी ली. जिसमें सिंचाई विभाग के सचिव एचएस सेमवाल ने बताया कि सौंग बांध के निर्माण को लेकर कार्य पूरी गति से चल रहा है. सचिव ने जानकारी दी कि उत्तराखंड की पेयजल समस्या को लेकर सौंग बांध और जमनानी बांध परियोजनाओं को सिंचाई विभाग के माध्यम से संचालित की जा रही है.

विभाग ने जानकारी दी है कि सौंग बांध को लेकर क्लीयरेंस और स्टडी को लेकर अंतिम चरण पर काम चल रहा है. वहीं इस निर्माण को लेकर निवेश को लेकर भी कई कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है. जल्द ही निर्माण कार्य शुरु हो पायेगा.

पढ़ें- राजनाथ ने CM धामी को बताया 'धाकड़ बल्लेबाज', कहा- इसलिए 20-20 मैच के स्लॉग ओवरों में उतारा

रिस्पना के नाम पर बजट साफ: आगामी चुनाव के लिहाज से भाजपा सरकार की कथनी और करनी पर कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी सवाल खड़े किये हैं. गणेश गोदियाल का कहना है कि भाजपा सरकार में केवल बड़े बड़े आयोजन किये गये लेकिन धरातल पर कुछ भी देखने को नहीं मिला है. गणेश गोदियाल का कहना है कि भाजपा सरकार रिस्पना नदी को साफ करने के नाम पर पूरा बजट साफ कर गई है. रिस्पना को साफ करने को लेकर बड़े बड़े आयोजनों के सिवा और कुछ नहीं किया गया. उन्होंने कहा आज रिस्पना पहले से ज्यादा गंदी और संकरी होती जा रही है. केवल पेड़ लगाने और बड़े बड़े कार्यक्रम करने से रिस्पना नदी ऋषिपर्णा नहीं बन जाएगी. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम पड़ेगा.

देहरादून: उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार के पांच साल का कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है. इस बीच आज भाजपा सरकार के कुछ उन दावों की जमीनी हकीकत जानना बेहद जरूरी है, जो उन्होंने सत्ता में आते ही किये थे. प्रचंड बहुमत और सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने रिस्पना नदी के कायाकल्प करने का वाद किया था. तब तत्तकालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे लेकर बड़े-बड़े दावे किये थे, इन्ही सवालों को लेकर आज ईटीवी भारत ने रिस्पना नदी की ओर रुख किया. जिसमें हमने वादों को परखने के साथ ही जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की.

क्या है मिशन रिस्पना से ऋषिपर्णा: मिशन रिस्पना की योजना राज्य सरकार के निर्देश पर 2017 में बनाई गई थी. इस मिशन को रिस्पना से ऋषिपर्णा नाम दिया गया था. योजना थी कि देहरादून जिले में रिस्पना के करीब 20 किमी लंबे बहाव क्षेत्र में मृत रिस्पना नदी को पुनर्जीवित किया जाएगा. मई 2018 में इस मिशन को जोर-शोर से शुरू किया गया. नदी के दोनों ओर वृक्षारोपण किया गया. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने मीडिया के सामने दावा किया था कि अगले एक साल में सरकार रिस्पना को इतना साफ कर देगी कि यहां डुबकी लगाकर नहाया जा सकेगा.

दावों और वादों की हकीकत से अब भी दूर है रिस्पना

पढ़ें- देहरादून में छत और पेड़ पर चढ़े राज्य आंदोलनकारी, ये है उनकी मांग

क्या बोले थे पूर्व मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत: तब बतौर मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र रावत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा था कि सरकार ने प्रदेश की सभी जीवनदायिनी नदियों को लेकर एक मुहिम शुरू की है. इसमें देहरादून की रिस्पना-बिंदाल सहित कुमाऊं में पड़ने वाली कोसी नदी को इस योजना के तहत शामिल किया गया है. मुख्यमंत्री ने रिस्पना नदी के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में भी खुलकर बात की थी. जिसमें उन्होंने बताया कि सरकार ने रिस्पना नदी के जीर्णोद्धार के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया है. जिसमें आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट पर सरकार योजना तैयार की. जिसके लिए सरकार ने बजट भी निर्धारित किया. तब बताया गया कि रिस्पना में एक बार फिर से भरपूर पानी लाने के लिए सौंग बांध को एक विकल्प के रूप में देखा गया है.

पढ़ें- बिना ई-पास केदारनाथ जाने की जिद पर अड़े यात्री, 2 अक्टूबर से व्यापारियों का धरना

एक दिन में लगाए गये 2 लाख पौधे: 20 मई 2018 में रिस्पना के किनारे एक ही दिन में 2 लाख पौधे रोपने का दावा किया गया. इसके लिए वन विभाग और ईको टास्क फोर्स को नोडल एजेंसी बनाया गया था. वृक्षारोपण के लिए कई दिन पहले से गड्ढे खोदे गए. लगभग सभी विभागों के साथ ही स्कूली बच्चों को भी वृक्षारोपण के लिए बुलाया गया. वृक्षारोपण नदी के कैचमेंट एरिया से लेकर मोथरावाला तक किया गया था, लेकिन आज करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी इसका कोई खास रिजल्ट देखने को नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें- चारधाम यात्रा: श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर HC पहुंची धामी सरकार, सोमवार को हो सकती है सुनवाई

जिला प्रशासन ने दोबारा फिर से सभी विभागों से रिस्पना पुनर्जीवन के लिए कार्य योजना बनाने के लिए कहा, मगर पिछली कार्ययोजना का क्या हुआ इस पर कोई चर्चा नहीं हुई. रिस्पना के आस पास रहने वाले लोगों का कहना है कि इसमें संदेह नहीं कि सरकार और प्रशासन ने रिस्पना पुनर्जीवन के लिए प्रयास किये, लेकिन सवाल ये है कि नतीजे क्या निकले?

पढ़ें- हरीश रावत बोले- पंजाब में सरकार गिराने का पाप नहीं करे BJP, बहकावे में आ गए हैं कैप्टन

रिस्पना के आस पास रहने वाले लोगों का कहना है कि रिस्पना नदी के हालात नही बदले है. नदी में गंदगी पहले जैसी ही है. नदी के दोनों तरफ कैचमेंट एरिया में काफी काम हुआ है. नदी में गंदगी अब पहले के मुकाबले कम डाली जा रही है. तब की योजना के बाद लोगों की रिस्पना नदी को लेकर धारणा काफी बदल है.

बिन पानी ऋषिपर्णा सिर्फ सपना, सौंग बांध की कल्पना धरी की धरी: जानकारों का कहना है कि रिस्पना तो उसी दिन मर गई थी, जिस दिन रानी कर्णावती ने राजपुर नहर बनाई थी, जो बाकी पानी था, वह भी निकाल लिया. अब तो रिस्पना में केवल घरों से निकला मल मूत्र बहता है. वास्तव में रिस्पना को पुनर्जीवित करना है तो राजपुर नहर बंद करनी होगी. हाल के दिनों में सौंग नदी पर बांध बनाकर उसका पानी लाने की बात हो रही है, लेकिन वह कितना कारगर साबित होगा ये बड़ा सवाल है.

पढ़ें- भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार, 130 रु किलो नमक, 150 रु किलो है आटा

पिछले 3 से 4 सालों में सौंग बांध की नींव तो दूर की बात है, एक नई ईंट तक सौंग बांध के नाम पर नहीं रखी गई है. निर्माण के लिए जिम्मेदार सिंचाई विभाग से हमने सौंग बांध की प्रगति को लेकर जानकारी ली. जिसमें सिंचाई विभाग के सचिव एचएस सेमवाल ने बताया कि सौंग बांध के निर्माण को लेकर कार्य पूरी गति से चल रहा है. सचिव ने जानकारी दी कि उत्तराखंड की पेयजल समस्या को लेकर सौंग बांध और जमनानी बांध परियोजनाओं को सिंचाई विभाग के माध्यम से संचालित की जा रही है.

विभाग ने जानकारी दी है कि सौंग बांध को लेकर क्लीयरेंस और स्टडी को लेकर अंतिम चरण पर काम चल रहा है. वहीं इस निर्माण को लेकर निवेश को लेकर भी कई कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है. जल्द ही निर्माण कार्य शुरु हो पायेगा.

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रिस्पना के नाम पर बजट साफ: आगामी चुनाव के लिहाज से भाजपा सरकार की कथनी और करनी पर कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी सवाल खड़े किये हैं. गणेश गोदियाल का कहना है कि भाजपा सरकार में केवल बड़े बड़े आयोजन किये गये लेकिन धरातल पर कुछ भी देखने को नहीं मिला है. गणेश गोदियाल का कहना है कि भाजपा सरकार रिस्पना नदी को साफ करने के नाम पर पूरा बजट साफ कर गई है. रिस्पना को साफ करने को लेकर बड़े बड़े आयोजनों के सिवा और कुछ नहीं किया गया. उन्होंने कहा आज रिस्पना पहले से ज्यादा गंदी और संकरी होती जा रही है. केवल पेड़ लगाने और बड़े बड़े कार्यक्रम करने से रिस्पना नदी ऋषिपर्णा नहीं बन जाएगी. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम पड़ेगा.

Last Updated : Oct 5, 2021, 2:54 PM IST
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