विकासनगर: उत्तराखंड में पहली बार दो मुंहा कोबरा सांप मिला है. विकासनगर के लहंगा रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र के एक फैक्ट्री परिसर में दो मुंहा कोबरा सांप दिखाई दिया था. जिसकी सूचना लोगों द्वारा वन विभाग को दी गई. सूचना पर मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने दोमुंहे कोबरा सांप का सकुशल रेस्क्यू कर लिया. विकासनगर के लहंगा रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र के एक फैक्ट्री परिसर से दोमुहा कोबरा सांप रेस्क्यू किया गया.
वन विभाग के संविदा कर्मचारी आदिल मिर्जा पिछले 15 साल सांपों का रेस्क्यू कर रहे हैं. स्नेक सेवर (snake saver) आदिल मिर्जा का कहना है कि यह वन्य जीवन संरक्षण में श्रेणी दो का जीव है. आदिल का कहना है कि सांप की लंबाई डेढ़ से दो फीट थी, यह दो हफ्ते से कम उम्र का लग रहा है.
वहीं, डीएफओ कालसी बीबी मर्तोलिया का कहना है कि सांप को रेस्क्यू कर देहरादून जू (Dehradun Zoo) में पशु चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया है. वह इस पर स्टडी कर रहे हैं कि जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण क्या यह जंगल में सर्वाइव कर पाएगा या नहीं. डॉक्टरों और जानकारों का कहना है कि दो मुंहे सांप जेनेटिक डिसऑर्डर (Genetic disorder) के कारण ज्यादा नहीं जी पाते हैं और इनका सर्वाइवल रेट (Survival rate) भी बहुत कम है.
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दोमुंहे सांपों की होती है तस्करी: एक रिपोर्ट के अनुसार, दोमुंहे सांप का इस्तेमाल विशेष रूप से तांत्रिक क्रियाओं में किया जाता है. वहीं, कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि इन सांप को खाने से शारीरिक शक्ति और यौन शक्ति में बढ़ोतरी होती है. साथ ही एड्स जैसी खतरनाक बीमारी का भी इलाज इससे संभव है.
हालांकि, ऐसा होने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं हैं. लेकिन ऐसी किदवंतियों के चलते बड़े पैमाने पर इनकी तस्करी की जाती है. जानकारी के मुताबिक, दोमुंहे सांपों की तस्करी देश के कई हिस्सों में चल रही है. जिसमें मुख्यतौर पर बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश और हरियाणा राज्य शामिल हैं.