ऋषिकेशः श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए एक करोड़ रुपए दान कर चर्चाओं में आए संन्यासी स्वामी शंकर दास महाराज उर्फ टाट वाले बाबा की गुफा के बाहर टीन शेड को राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन ने तोड़ दिया है. इस कार्रवाई के विरोध में टाट वाले बाबा आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. उन्होंने कार्रवाई को नाजायज बताया है.
दरअसल, रविवार को राजाजी टाइगर पार्क की गौहरी रेंज के वन अधिकारी टीम के साथ पैदल मार्ग पर टाट वाले बाबा की गुफा पर पहुंचे. जहां उन्होंने कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए टीन शेड तोड़ना शुरू किया तो टाट वाले बाबा ने इसका विरोध कर दिया. इसके बावजूद पार्क कर्मियों ने उनकी एक नहीं सुनी. उन्होंने कार्रवाई को जारी रखते हुए टीन शेड को ध्वस्त कर दिया.
टाट वाले बाबा स्वामी शंकर दास महाराज ने दावा किया कि वो 65 सालों से भी ज्यादा समय से यहां पर रह रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट से उन्हें वनवासी का दर्जा भी हासिल है. बरसात में गुफा में पानी का रिसाव होता है, जिसके चलते हर साल मॉनसून में वो टीन शेड में शरण लेते हैं.
भूखे प्यासे धरने पर बैठने की दी चेतावनीः वहीं, टाट वाले बाबा का कहना है कि उन्होंने यहां कोई पक्का निर्माण भी नहीं किया गया है और न ही कोई अन्य गतिविधियां संचालित की जा रही है. पार्क प्रशासन जब तक उन्हें दोबारा टीन शेड बनाकर नहीं देता है, तब तक वो भूखे प्यासे यहीं पर बैठे रहेंगे.
बता दें कि टाट वाले बाबा नीलकंठ धाम के लिए पैदल आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को यहां से प्रसाद आदि भी वितरित करते हैं. साल 2021 में श्रीराम मंदिर निर्माण में समर्पण निधि के तौर पर एक करोड़ रुपए का चेक के जरिए दान कर स्वामी शंकर दास महाराज चर्चाओं में आए थे. उन्हें टाट वाले बाबा का शिष्य बताया जाता है. तीर्थनगरी ऋषिकेश में वो भी टाट वाले बाबा के नाम से ही मशहूर हैं.
क्या कहते हैं पार्क निदेशक? राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क निदेशक साकेत बड़ोला का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश पर पार्क क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में यह कार्रवाई की गई है. वनवासी से संबंधित कोई भी कोर्ट का दस्तावेज वो अभी तक पेश नहीं कर नहीं पाए हैं. अनशन का मामला लॉ एंड ऑर्डर से जुड़ा है, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस की है.