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REALITY CHECK: प्रधानमंत्री आवास योजना के कई घरों में अब भी ताले, लाभार्थी भी मिले गायब

रियलिटी चेक में सबसे पहले हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ईडब्लूएस यानी इकोनॉमिकली वीकर सेक्सन वर्ग में आवंटित 224 आवासों का रियलिटी चेक किया. इसमें जो हकीकत निकलकर सामने आई वो वाकई में चौंकाने वाली है.

प्रधानमंत्री आवास योजना का रियलिटी चेक.
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Published : Sep 6, 2019, 7:55 PM IST

Updated : Sep 7, 2019, 5:49 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रगति रिपोर्ट के आंकड़ों को ईटीवी भारत ने पाठकों के सामने रखा था. जिसमें जो आंकड़े निकलकर सामने आये थे वो वाकई में चौंकाने वाले थे. वहीं आंकड़ों की सत्यता को लेकर ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित आवासों का रियलिटी चेक किया. इस रियलिटी चेक में क्या कुछ निकलकर सामने आया आइये आपको बताते हैं.

प्रधानमंत्री आवास योजना का रियलिटी चेक.

रियलिटी चेक में सबसे पहले हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ईडब्लूएस यानी इकोनॉमिकली वीकर सेक्सन वर्ग में आवंटित 224 आवासों का रियलिटी चेक किया. जिसके तहत हमने कॉलोनी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष कांति बल्लभ पांडे से मुलाकात की. जिन्हें एमडीडीए ने मतदान कर सोसायटी का अध्यक्ष तो बना दिया है लेकिन उन्हें अब तक रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र नहीं मिला है. कांति बल्लभ पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कि सोसाइटी में केवल 130 परिवार ही रह रहे हैं. जबकि बाकि आवंटित घरों में ताले पड़े हैं.

पढ़े- उत्तराखंड में चौंकाने वाली है प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत, 'डबल इंजन' की पावर ही दे रही धोखा

आवासों में रहने वालों की स्थिति संदिग्ध
इसके बाद ईटीवी भारत ने आवंटित घरों में दस्तक दी. सबसे पहले हमने N ब्लॉक के मकान नम्बर 207 में पहुंचे. जंहा से एक महिला आनन-फानन में दरवाजा बंद कर जाने की तैयारी में थी. जब हमने इस महिला से बात की तो उन्होंने बताया कि इस मकान में साइना रहती है और वो उनकी रिश्तेदार हैं. जब आवंटन पत्र को लेकर महिला से सवाल पूछा वो महिला बगले झांकती नजर आयी. इसके बाद हमनें मकान संख्या N209 के साथ-साथ कई घरों में छानबीन की लेकिन इन मकानों में भी आवंटन के बाद भी ताला लगा था जो कि इस योजना की आवंटन प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है.

पढ़ें-मानकों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण, HRDA नहीं लगा पा रहा लगाम

इसके बाद हमने बिल्डिंग के उपरी तल पर छानबीन की. जिसके तहत हम कमरा संख्या N309 के बाहर पहुंचे. जैसे ही हमने इस घर की दरवाजा खटखटाया तो युवक दरवाजे से बाहर झांकने लगा. जब युवक से जानकारी मांगी गई तो उसने अपना नाम विजय भट्ट बताया, साथ ही इस युवा ने बताया कि ये उसकी मौसी रश्मि सती का घर है. वहीं जब हमने इस आवास के अलॉटमेंट लेटर के बारे में युवा से पूछा तो उसका जबाब स्पष्ट नही थी. जिससे साफ तौर पर लग रहा था कि ये घर किसी और के नाम पर आवंटित है और इसमें रहने वाला कोई दूसरा ही है.

पढ़ें-बेटी पैदा होने पर पत्नी को दिया तलाक, पुलिस ने शुरू की जांच

इसके बाद हम जब L ब्लॉक के घर संख्या 209 पर पहुंचे तो वंहा भी हमें एक व्यक्ति मिला. इसने बताया कि उसकी पत्नी के नाम पर यह आवास आवंटित है. जब अलॉटमेंट लेटर की बात आई तो इनके पास भी इसका कोई प्रमाण नहीं था लेकिन इस व्यक्ति ने मकान जिसके नाम से आवंटित हुआ है उसकी सही जानकारी दी. हालांकि यहां भी वास्तविक मालिक घर पर नहीं रहता है. आसपास के लोगों ने बताया कि यह व्यक्ति आज ही यहां दिखा है. साथ ही जानकारी जुटाने पर पता चला कि कुछ दिन पहले तक दो-चार लड़के इस घर मे रहते थे. इसके बाद मकान संख्या K113 में भी आवंटित व्यक्ति का रिश्तेदार घर में मिला. जिससे जाहिर होता है कि योजना में जरुरतमंदों को दरकिनार कर आवासों का आवंटन किया गया है.

पढ़ें-नरेंद्र नगरः यहां खुद 'बीमार' है अस्पताल, लापरवाही मरीजों पर पड़ रही भारी


अधिकतर घरों पर लटके मिले ताले

रियलिटी चेक के लिए जब हमने और घरों की ओर रुख किया तो 2 से 3 घर ऐसे मिले जहां संदिग्ध व्यक्ति रह रहे थे. इन लोगों ने पास न तो अलॉटमेंट लेटर मिले और न ही उसका आधार कार्ड. हालांकि कुछ लोगों ने भले की मकान के मालिक का नाम तो सही बताया लेकिन कुछ लोग सही नहीं बता पाये. इसके अलावा यहां के ज्यादातर आवासों में ताला ही लटका मिला. ये वे घर हैं जिनकी सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं. यहां आवंटित किये गये ज्यादातर आवासों में वे लोग ही मौजूद नहीं थे जिनके नाम पर घर एलॉट किये गये हैं. इसके अलावा आवास संख्या N209, N314, N315, N316, K115 में ताले लटके मिले.

कुछ ही घरों में मिले वास्तविक मालिक
प्रधानमंत्री आवास योजना की रियलिटी चेक के दौरान ऐसा भी नहीं हुआ की सभी घरों में ताले मिले या फिर संदिग्ध व्यक्ति मिले. यहां कुछ एक घर ऐसे भी जहां हमें आवासों के वास्तविक मालिक मिले. जिनमें हमें सारे कागजात पूरे मिले. इनमें आवास संख्या N303 था जहां विनोद नेगी नाम का व्यक्ति रह रहा था. इसके अलावा N302 में फूल कुमारी नाम की महिला रह रही थी जो कि आवास की वास्तविक मालिक थी.

मानकों के अनुसार रिश्तेदार रखना भी गैरकानूनी

रियलिटी चेक के दौरान ईटीवी भारत ने जितने घरों में भी छानबीन की उनमें ज्यादातर निवासी सही सही जवाब नही दे पाये . वहीं कुछ आवासों पर लाभार्थियों के तथाकथित रिश्तेदार पाये गये. बता दें कि इस योजना के तहत आवंटित आवास में केवल लाभार्थी का परिवार ही रह सकता है. लाभार्थी यहां अपने रिश्तेदारों को नहीं रख सकता है. अगर वह ऐसा करता है तो ये गैरकानूनी माना जाएगा. साथ ही 10 साल तक न ही इन आवासों को बेचा जा सकता है और न ही इन्हें किराये पर दिया जा सकता है.

पढ़ें-कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लेने ऋषिकेश पंहुचे दीपक रावत, गंगा घाटों का किया निरीक्षण

ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में साफ तौर पर निकलकर सामने आया कि आवंटित किये गये आवासों में या तो संदिग्ध लोग रह रहे थे या फिर कुछ घरों में लाभार्थियों के रिश्तेदार. जो कि गैरकानूनी है. कुल मिलाकर कहा जाए तो उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास तो बांटे गये लेकिन इससे कितने जरुरतमंद लोगों को लाभ मिला ये अभी भी सवालों के घेरे में हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रगति रिपोर्ट के आंकड़ों को ईटीवी भारत ने पाठकों के सामने रखा था. जिसमें जो आंकड़े निकलकर सामने आये थे वो वाकई में चौंकाने वाले थे. वहीं आंकड़ों की सत्यता को लेकर ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित आवासों का रियलिटी चेक किया. इस रियलिटी चेक में क्या कुछ निकलकर सामने आया आइये आपको बताते हैं.

प्रधानमंत्री आवास योजना का रियलिटी चेक.

रियलिटी चेक में सबसे पहले हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ईडब्लूएस यानी इकोनॉमिकली वीकर सेक्सन वर्ग में आवंटित 224 आवासों का रियलिटी चेक किया. जिसके तहत हमने कॉलोनी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष कांति बल्लभ पांडे से मुलाकात की. जिन्हें एमडीडीए ने मतदान कर सोसायटी का अध्यक्ष तो बना दिया है लेकिन उन्हें अब तक रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र नहीं मिला है. कांति बल्लभ पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कि सोसाइटी में केवल 130 परिवार ही रह रहे हैं. जबकि बाकि आवंटित घरों में ताले पड़े हैं.

पढ़े- उत्तराखंड में चौंकाने वाली है प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत, 'डबल इंजन' की पावर ही दे रही धोखा

आवासों में रहने वालों की स्थिति संदिग्ध
इसके बाद ईटीवी भारत ने आवंटित घरों में दस्तक दी. सबसे पहले हमने N ब्लॉक के मकान नम्बर 207 में पहुंचे. जंहा से एक महिला आनन-फानन में दरवाजा बंद कर जाने की तैयारी में थी. जब हमने इस महिला से बात की तो उन्होंने बताया कि इस मकान में साइना रहती है और वो उनकी रिश्तेदार हैं. जब आवंटन पत्र को लेकर महिला से सवाल पूछा वो महिला बगले झांकती नजर आयी. इसके बाद हमनें मकान संख्या N209 के साथ-साथ कई घरों में छानबीन की लेकिन इन मकानों में भी आवंटन के बाद भी ताला लगा था जो कि इस योजना की आवंटन प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है.

पढ़ें-मानकों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण, HRDA नहीं लगा पा रहा लगाम

इसके बाद हमने बिल्डिंग के उपरी तल पर छानबीन की. जिसके तहत हम कमरा संख्या N309 के बाहर पहुंचे. जैसे ही हमने इस घर की दरवाजा खटखटाया तो युवक दरवाजे से बाहर झांकने लगा. जब युवक से जानकारी मांगी गई तो उसने अपना नाम विजय भट्ट बताया, साथ ही इस युवा ने बताया कि ये उसकी मौसी रश्मि सती का घर है. वहीं जब हमने इस आवास के अलॉटमेंट लेटर के बारे में युवा से पूछा तो उसका जबाब स्पष्ट नही थी. जिससे साफ तौर पर लग रहा था कि ये घर किसी और के नाम पर आवंटित है और इसमें रहने वाला कोई दूसरा ही है.

पढ़ें-बेटी पैदा होने पर पत्नी को दिया तलाक, पुलिस ने शुरू की जांच

इसके बाद हम जब L ब्लॉक के घर संख्या 209 पर पहुंचे तो वंहा भी हमें एक व्यक्ति मिला. इसने बताया कि उसकी पत्नी के नाम पर यह आवास आवंटित है. जब अलॉटमेंट लेटर की बात आई तो इनके पास भी इसका कोई प्रमाण नहीं था लेकिन इस व्यक्ति ने मकान जिसके नाम से आवंटित हुआ है उसकी सही जानकारी दी. हालांकि यहां भी वास्तविक मालिक घर पर नहीं रहता है. आसपास के लोगों ने बताया कि यह व्यक्ति आज ही यहां दिखा है. साथ ही जानकारी जुटाने पर पता चला कि कुछ दिन पहले तक दो-चार लड़के इस घर मे रहते थे. इसके बाद मकान संख्या K113 में भी आवंटित व्यक्ति का रिश्तेदार घर में मिला. जिससे जाहिर होता है कि योजना में जरुरतमंदों को दरकिनार कर आवासों का आवंटन किया गया है.

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अधिकतर घरों पर लटके मिले ताले

रियलिटी चेक के लिए जब हमने और घरों की ओर रुख किया तो 2 से 3 घर ऐसे मिले जहां संदिग्ध व्यक्ति रह रहे थे. इन लोगों ने पास न तो अलॉटमेंट लेटर मिले और न ही उसका आधार कार्ड. हालांकि कुछ लोगों ने भले की मकान के मालिक का नाम तो सही बताया लेकिन कुछ लोग सही नहीं बता पाये. इसके अलावा यहां के ज्यादातर आवासों में ताला ही लटका मिला. ये वे घर हैं जिनकी सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं. यहां आवंटित किये गये ज्यादातर आवासों में वे लोग ही मौजूद नहीं थे जिनके नाम पर घर एलॉट किये गये हैं. इसके अलावा आवास संख्या N209, N314, N315, N316, K115 में ताले लटके मिले.

कुछ ही घरों में मिले वास्तविक मालिक
प्रधानमंत्री आवास योजना की रियलिटी चेक के दौरान ऐसा भी नहीं हुआ की सभी घरों में ताले मिले या फिर संदिग्ध व्यक्ति मिले. यहां कुछ एक घर ऐसे भी जहां हमें आवासों के वास्तविक मालिक मिले. जिनमें हमें सारे कागजात पूरे मिले. इनमें आवास संख्या N303 था जहां विनोद नेगी नाम का व्यक्ति रह रहा था. इसके अलावा N302 में फूल कुमारी नाम की महिला रह रही थी जो कि आवास की वास्तविक मालिक थी.

मानकों के अनुसार रिश्तेदार रखना भी गैरकानूनी

रियलिटी चेक के दौरान ईटीवी भारत ने जितने घरों में भी छानबीन की उनमें ज्यादातर निवासी सही सही जवाब नही दे पाये . वहीं कुछ आवासों पर लाभार्थियों के तथाकथित रिश्तेदार पाये गये. बता दें कि इस योजना के तहत आवंटित आवास में केवल लाभार्थी का परिवार ही रह सकता है. लाभार्थी यहां अपने रिश्तेदारों को नहीं रख सकता है. अगर वह ऐसा करता है तो ये गैरकानूनी माना जाएगा. साथ ही 10 साल तक न ही इन आवासों को बेचा जा सकता है और न ही इन्हें किराये पर दिया जा सकता है.

पढ़ें-कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लेने ऋषिकेश पंहुचे दीपक रावत, गंगा घाटों का किया निरीक्षण

ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में साफ तौर पर निकलकर सामने आया कि आवंटित किये गये आवासों में या तो संदिग्ध लोग रह रहे थे या फिर कुछ घरों में लाभार्थियों के रिश्तेदार. जो कि गैरकानूनी है. कुल मिलाकर कहा जाए तो उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास तो बांटे गये लेकिन इससे कितने जरुरतमंद लोगों को लाभ मिला ये अभी भी सवालों के घेरे में हैं.

Intro:
Supar Exclusive Special----

एंकर- उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर हमने आपको पिछले अंक में बताया था कि कैसे लाखो आवास का लक्ष्य लेकर चलने वाली सरकार अब तक गरीबों के लिए केवल 224 आवास बना पाई है उनमें से भी 130 लोग इन आवासों में रह रहे है बाकी घरों में ताला पड़ा है। लेकिन आज हम आपको इन्ही आवासों को लेकर वो रियलिटी चेक दिखाने जा रहें है जो आपको भी चौका देखा। दिखिए क्या सामने आया जब हमने दस्तक दी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने इन घरों के दरवाजे पे.....


Body:वीओ- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ईडब्लूएस यानी इकोनॉमिकली वीकर सेक्सन वर्ग में आबंटित 224 आवासों का जब हमने रियलिटी चैक किया तो शुरुआत में ही हमारी कॉलोनी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष कांति बल्लभ पांडे जी से मुलाकात हुई जीने एमडीडीए द्वारा मतदान कर सोसायटी का अध्यक्ष तो बना दिया गया है लेकिन अभी रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र नही मिला है। उन्होंने हमें बताया कि सोसाइटी में केवल 130 परिवार ही रह रहे हैं और बाकी घरों में ताला पड़ा है।

इन दो से आवासों में रहने वालों की स्थिति संदिग्ध----

इसके बाद हमने घरों में दस्तक देनी शुरू की तो सबसे पहले हम N ब्लॉक कब मकान नम्बर 207 में पहुंचे जंहा से एक महिला आनन फानन में दरवाजा लगा के भागने की तैयारी में थी लेकिन हमने उसे दरवाजे के पास ही पकड़ लिया पूछा तो कहने लगी यंहा साइना रहती है और वो उनकी रिश्तेदार है। हमने जब आबंटन पत्र को लेकर पूछा तो उनके पास कोई आबंटन पत्र निहि था। इसके बाद हमने इसी के पास मौजूद अन्य मकान संख्या N209 के साथ साथ कई मकानों में चैक किया N209 में आबंटन के बाबजूद भी ताला लगा था।

फिर हमने रुख किया इसके ऊपरी तल के कमरा संख्या N309 का। बाहर से तेज म्यूसिक बजने की आवाज आ रही थी दरवाजे पर दस्तक दी तो एक युवा जरवाज़े से बाहर झांका, हमने उसका नाम पूछा तो जवाब आया विजय भट्ट, उससे पूछा किसका घर है तो बोला मौसी का। मौसी का नाम पूछा तो बताया रश्मि सती। अलॉटमेंट लेटर भी इस युवा के पास मौजूद नही था जिससे प्रतीत होता है कि घर मे उसका वास्तविक मालिक नही रह रहा है।

इसके बाद हम जब L ब्लॉक के घर संख्या 209 पर पहुंचे तो वंहा भी हमे एक व्यक्ति मिला जिसने बताया कि उसकी पत्नी के नाम पर यह आवास आबंटित हुआ है लेकिन उसकी पत्नी अभी उसके दूसरे घर पर है। अलॉटमेंट लेटर इनके पास भी नही था लेकिन जो आधार कार्ड और जो नाम इन्होंने बताया उसी नाम से घर आबंटित हुआ है। हालांकि यंहा भी वास्तविक मालिक घर पर नही रहता है और आसपास के लोगों ने बताया कि यह व्यक्ति आज ही यंहा दिखे है अन्य दिन कुछ दो चार लड़के इस घर मे रहते हैं। इज़के K113 में भी आबंटित व्यक्ति का रिश्तेदार घर मे रहता हुआ मिला।


अधिकतर घरों पर लटका मिला ताला---

2 से 3 घर ऐसे थे जंहा हमे हमारे सूत्रों के अनुसार रह रहे व्यक्ति संदिग्ध ही मीले। ना तो इन लोगों के पास अलॉटमेंट लेटर मिला और ना ही उसका आधार कार्ड। कुछ ने अलोर्टी का नाम सही बताया तो कुछ ने बिल्कुल गलत। इसके अलावा ज्यादातर घरों में हमे ताला ही लटका मिला। ये वो सभी घर है जिनकी सभी प्रक्रिया पूरी होकर इन्हें कब्जा दिया जा चुका है लेकिन जिन लोगों को ये आवास दिए गए हैं वो लोग यंहा मोजूद नही है, यानी जरूरतमंदों के साथ साथ कई ऐसे लोग भी जिन्हें शायद इन आवासों की जरूरत नही है और अगर जरूरत होती तो निश्चित वो लोग यंहा होते। ऐसे घर जो हमे ताला बंद मिले उन घरों की संख्या N209, N314, N315, N316, K115, थी। यही नही जंहा हम चेक नही कर पाए वंहा भी कई ऐसे घर है जंहा ताला लगा हुआ।


कुछ घरों में मिले वास्तविक मालिक----
प्रधानमंत्री आवास योजना की रियलिटी चैक के दौरान ऐसा भी नही है कि सभी आवासों में अनियमितताएं मिली। ज्यादातर घरों में अलाटमेंट लेटर के साथ, आधार कार्ड के साथ आबंटित आवास के वास्तविक अलोर्टी भी हमे मिले। इन घरों में मकान संख्या N303 में विनोद नेगी के नाम से, N302 फूल कुमारी के नाम से मिला और अलाटमेंट लेटर सहित आधार कॉर्ड में भी वही था। हमारे द्वारा उन्ही घरों पर जाकर चैक किया गया जो लोगों द्वारा हमे संदिग्ध बताए गए।


मानकों के अनुसार रिश्तेदार रखना भी गैरकानूनी---
जितने भी घरों में हमने चैक किया और उनमें संदिग्ध लोगों को पाया उनका यही कहना था कि हम मालिक के रिश्तेदार है लेकिन आपको बता दें कि इस योजना के तहत आप केवल अपने परिवार के ही लोगों को यंहा रख सकते हैं अपने रिश्तेदारों को यंहा रुकवाना गैरकानूनी है साथ ही आप 10 सालों तक ना तो इन आवासों को बेच सकते हैं और ना ही किराए पर दे सकते हैं। साथ जो सन्दिग्ध लोग इन आवासों में रह रहे है वो किरायदार नही है ऐसा कहना भी मिश्किल है।


Conclusion:
Last Updated : Sep 7, 2019, 5:49 PM IST
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