देहरादून: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रगति रिपोर्ट के आंकड़ों को ईटीवी भारत ने पाठकों के सामने रखा था. जिसमें जो आंकड़े निकलकर सामने आये थे वो वाकई में चौंकाने वाले थे. वहीं आंकड़ों की सत्यता को लेकर ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित आवासों का रियलिटी चेक किया. इस रियलिटी चेक में क्या कुछ निकलकर सामने आया आइये आपको बताते हैं.
रियलिटी चेक में सबसे पहले हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ईडब्लूएस यानी इकोनॉमिकली वीकर सेक्सन वर्ग में आवंटित 224 आवासों का रियलिटी चेक किया. जिसके तहत हमने कॉलोनी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष कांति बल्लभ पांडे से मुलाकात की. जिन्हें एमडीडीए ने मतदान कर सोसायटी का अध्यक्ष तो बना दिया है लेकिन उन्हें अब तक रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र नहीं मिला है. कांति बल्लभ पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कि सोसाइटी में केवल 130 परिवार ही रह रहे हैं. जबकि बाकि आवंटित घरों में ताले पड़े हैं.
आवासों में रहने वालों की स्थिति संदिग्ध
इसके बाद ईटीवी भारत ने आवंटित घरों में दस्तक दी. सबसे पहले हमने N ब्लॉक के मकान नम्बर 207 में पहुंचे. जंहा से एक महिला आनन-फानन में दरवाजा बंद कर जाने की तैयारी में थी. जब हमने इस महिला से बात की तो उन्होंने बताया कि इस मकान में साइना रहती है और वो उनकी रिश्तेदार हैं. जब आवंटन पत्र को लेकर महिला से सवाल पूछा वो महिला बगले झांकती नजर आयी. इसके बाद हमनें मकान संख्या N209 के साथ-साथ कई घरों में छानबीन की लेकिन इन मकानों में भी आवंटन के बाद भी ताला लगा था जो कि इस योजना की आवंटन प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है.
पढ़ें-मानकों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण, HRDA नहीं लगा पा रहा लगाम
इसके बाद हमने बिल्डिंग के उपरी तल पर छानबीन की. जिसके तहत हम कमरा संख्या N309 के बाहर पहुंचे. जैसे ही हमने इस घर की दरवाजा खटखटाया तो युवक दरवाजे से बाहर झांकने लगा. जब युवक से जानकारी मांगी गई तो उसने अपना नाम विजय भट्ट बताया, साथ ही इस युवा ने बताया कि ये उसकी मौसी रश्मि सती का घर है. वहीं जब हमने इस आवास के अलॉटमेंट लेटर के बारे में युवा से पूछा तो उसका जबाब स्पष्ट नही थी. जिससे साफ तौर पर लग रहा था कि ये घर किसी और के नाम पर आवंटित है और इसमें रहने वाला कोई दूसरा ही है.
पढ़ें-बेटी पैदा होने पर पत्नी को दिया तलाक, पुलिस ने शुरू की जांच
इसके बाद हम जब L ब्लॉक के घर संख्या 209 पर पहुंचे तो वंहा भी हमें एक व्यक्ति मिला. इसने बताया कि उसकी पत्नी के नाम पर यह आवास आवंटित है. जब अलॉटमेंट लेटर की बात आई तो इनके पास भी इसका कोई प्रमाण नहीं था लेकिन इस व्यक्ति ने मकान जिसके नाम से आवंटित हुआ है उसकी सही जानकारी दी. हालांकि यहां भी वास्तविक मालिक घर पर नहीं रहता है. आसपास के लोगों ने बताया कि यह व्यक्ति आज ही यहां दिखा है. साथ ही जानकारी जुटाने पर पता चला कि कुछ दिन पहले तक दो-चार लड़के इस घर मे रहते थे. इसके बाद मकान संख्या K113 में भी आवंटित व्यक्ति का रिश्तेदार घर में मिला. जिससे जाहिर होता है कि योजना में जरुरतमंदों को दरकिनार कर आवासों का आवंटन किया गया है.
पढ़ें-नरेंद्र नगरः यहां खुद 'बीमार' है अस्पताल, लापरवाही मरीजों पर पड़ रही भारी
अधिकतर घरों पर लटके मिले ताले
रियलिटी चेक के लिए जब हमने और घरों की ओर रुख किया तो 2 से 3 घर ऐसे मिले जहां संदिग्ध व्यक्ति रह रहे थे. इन लोगों ने पास न तो अलॉटमेंट लेटर मिले और न ही उसका आधार कार्ड. हालांकि कुछ लोगों ने भले की मकान के मालिक का नाम तो सही बताया लेकिन कुछ लोग सही नहीं बता पाये. इसके अलावा यहां के ज्यादातर आवासों में ताला ही लटका मिला. ये वे घर हैं जिनकी सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं. यहां आवंटित किये गये ज्यादातर आवासों में वे लोग ही मौजूद नहीं थे जिनके नाम पर घर एलॉट किये गये हैं. इसके अलावा आवास संख्या N209, N314, N315, N316, K115 में ताले लटके मिले.
कुछ ही घरों में मिले वास्तविक मालिक
प्रधानमंत्री आवास योजना की रियलिटी चेक के दौरान ऐसा भी नहीं हुआ की सभी घरों में ताले मिले या फिर संदिग्ध व्यक्ति मिले. यहां कुछ एक घर ऐसे भी जहां हमें आवासों के वास्तविक मालिक मिले. जिनमें हमें सारे कागजात पूरे मिले. इनमें आवास संख्या N303 था जहां विनोद नेगी नाम का व्यक्ति रह रहा था. इसके अलावा N302 में फूल कुमारी नाम की महिला रह रही थी जो कि आवास की वास्तविक मालिक थी.
मानकों के अनुसार रिश्तेदार रखना भी गैरकानूनी
रियलिटी चेक के दौरान ईटीवी भारत ने जितने घरों में भी छानबीन की उनमें ज्यादातर निवासी सही सही जवाब नही दे पाये . वहीं कुछ आवासों पर लाभार्थियों के तथाकथित रिश्तेदार पाये गये. बता दें कि इस योजना के तहत आवंटित आवास में केवल लाभार्थी का परिवार ही रह सकता है. लाभार्थी यहां अपने रिश्तेदारों को नहीं रख सकता है. अगर वह ऐसा करता है तो ये गैरकानूनी माना जाएगा. साथ ही 10 साल तक न ही इन आवासों को बेचा जा सकता है और न ही इन्हें किराये पर दिया जा सकता है.
पढ़ें-कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लेने ऋषिकेश पंहुचे दीपक रावत, गंगा घाटों का किया निरीक्षण
ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में साफ तौर पर निकलकर सामने आया कि आवंटित किये गये आवासों में या तो संदिग्ध लोग रह रहे थे या फिर कुछ घरों में लाभार्थियों के रिश्तेदार. जो कि गैरकानूनी है. कुल मिलाकर कहा जाए तो उत्तराखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास तो बांटे गये लेकिन इससे कितने जरुरतमंद लोगों को लाभ मिला ये अभी भी सवालों के घेरे में हैं.