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दून अस्पताल की 'बीमारी' को लेकर फिर शुरू हुआ प्रदर्शन, किया घेराव - सेवाएं

दून मेडिकल कॉलेज में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

दून अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन.
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Published : Mar 8, 2019, 11:05 PM IST

देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इसी के चलते शुक्रवार को मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. केके टम्टा का घेराव किया. साथ ही लोगों ने अस्पताल की अनियमितताओं पर अंकुश लगाने की मांग की.

दून अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन.


प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि उत्तराखंड गठन को 18 साल हो चुके हैं, लेकिन उत्तराखंड के लोग स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी अधिकार से आज भी वंचित हैं. कार्यकर्ताओं का मानना है कि दून अस्पताल में संवेदनाएं दम तोड़ चुकी हैं.


उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के महासचिव सुशील कुमार ने बताया कि कुछ समय पहले दून अस्पताल प्रशासन ने 4 साल की दुष्कर्म पीड़िता का इलाज करने से साफ मना कर दिया था. प्रशासन का कहना था जबतक पुलिस कार्रवाई नहीं होती है तब तक वह इस पीड़ित बच्ची का इलाज नहीं करेंगे, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि दून अस्पताल लंबे समय से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है.


सुशील कुमार ने बाताया कि इससे पहले भी दून मेडिकल कॉलेज में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. जिसमें अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उनका कहना है कि दून अस्पताल को जिला अस्पताल ही रहने दिया होता तो बेहतर होता.

देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इसी के चलते शुक्रवार को मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. केके टम्टा का घेराव किया. साथ ही लोगों ने अस्पताल की अनियमितताओं पर अंकुश लगाने की मांग की.

दून अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन.


प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि उत्तराखंड गठन को 18 साल हो चुके हैं, लेकिन उत्तराखंड के लोग स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी अधिकार से आज भी वंचित हैं. कार्यकर्ताओं का मानना है कि दून अस्पताल में संवेदनाएं दम तोड़ चुकी हैं.


उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के महासचिव सुशील कुमार ने बताया कि कुछ समय पहले दून अस्पताल प्रशासन ने 4 साल की दुष्कर्म पीड़िता का इलाज करने से साफ मना कर दिया था. प्रशासन का कहना था जबतक पुलिस कार्रवाई नहीं होती है तब तक वह इस पीड़ित बच्ची का इलाज नहीं करेंगे, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि दून अस्पताल लंबे समय से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है.


सुशील कुमार ने बाताया कि इससे पहले भी दून मेडिकल कॉलेज में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. जिसमें अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उनका कहना है कि दून अस्पताल को जिला अस्पताल ही रहने दिया होता तो बेहतर होता.

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दून मेडिकल कॉलेज में लगातार खराब हो रही स्वास्थ सुविधाओं से आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ केके टम्टा का घेराव किया और अस्पताल की अनियमितताओं पर अंकुश लगाने की मांग की।


Body: दरअसल दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ केके टम्टा को ज्ञापन सौंपते हुए उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने कहां कि उत्तराखंड गठन को 18 वर्ष बीत चुके हैं मगर उत्तराखंड का आम जनमानस स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी अधिकारों से आज भी कोसों दूर है। कार्यकर्ताओं ने दून मेडिकल कॉलेज का जिक्र करते हुए कहा कि इस अस्पताल में संवेदनाएं इस कदर दम तोड़ चुकी है की दून अस्पताल में टिहरी से दुष्कर्म की शिकार एक 4 वर्ष की बच्ची के इलाज को अस्पताल के डॉक्टर ने मना कर दिया, उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के महासचिव सुशील कुमार ने कहा कि अस्पताल ने कहा कि जब तक पुलिस कार्रवाई नहीं होती है तब तक वह इस पीड़ित बच्ची का इलाज नहीं करेंगे, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अस्पताल प्रशासन का अ अमर्यादित बर्ताव भी प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वैसे भी डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है और ऐसे में मुट्ठी भर डॉक्टर्स आम जनता के साथ गलत आचरण करेंगे, तुझसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति इस प्रदेश के अंदर कुछ नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि इलाज प्रदेश में रहने वाले हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, ऐसे में यदि जनमानस को उसके इसी अधिकार से वंचित कर दिया जाए तो यह मानवता एवं मानवीय संवेदनाओं पर कुठाराघात है।
बाईट- सुशील कुमार ,प्रदेश महासचिव ,उत्तराखंड नवनिर्माण सेना


Conclusion: इससे पूर्व भी दून मेडिकल कॉलेज में अनियमितताओं के आरोप लगते हैं, और पहले भी कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन कर स्वास्थ सुविधाओं को सुधारने की मांग की है। मगर दून अस्पताल को दून मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित करने के बाद अब जनता भी सरकार को कोस रही है कि आखिर दून अस्पताल को जिला अस्पताल रहने दिया होता तो बेहतर होता
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