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कोरोनाकाल में नुकसान में प्रदूषण जांच केंद्र, RTO और पुलिस की लापरवाही!

राज्य में कोरोना का असर सभी वर्गों में देखा गया है. देहरादून के प्रदूषण जांच केंद्रों में भी कोरोना का असर साफ देखा जा रहा है. कोरोना काल में आरटीओ और पुलिस महकमे की ओर से भी प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर कोई विशेष अभियान नहीं चलाया गया है. जिससे प्रदूषण जांच केंद्र आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे हैं.

प्रदूषण जांच केंद्र
प्रदूषण जांच केंद्र
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Published : Aug 29, 2021, 8:13 AM IST

Updated : Aug 29, 2021, 8:50 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना का कहर अभी भी जारी है. कोरोना के कारण सभी वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. वहीं, अगर बात करें देहरादून के प्रदूषण जांच केंद्रों की तो यहां भी कोरोना का असर साफ देखा जा रहा है. साथ ही आरटीओ और पुलिस महकमे की ओर से भी प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर कोई विशेष अभियान नहीं चलाया गया है. जिससे आज शहर में संचालित हो रहे तमाम प्रदूषण जांच केंद्र आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे हैं.

बता दें कि, साल 2019 में मोटर व्हीकल अधिनियम (motor vehicle act) में संशोधन के तहत संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय (RTO) और पुलिस महकमे की ओर से वाहन के प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर खासी सख्ती दिखाई गई थी. लेकिन वर्तमान में स्थिति कुछ यह है कि बीते लंबे समय से संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय और पुलिस महकमे की ओर से प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर कोई विशेष अभियान नहीं चलाया गया है. जिसके परिणाम स्वरुप आज शहर में संचालित हो रहे तमाम प्रदूषण जांच केंद्र भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे हैं.

कोरोनाकाल में नुकसान में प्रदूषण जांच केंद्र.

गौरतलब है कि, साल 2019 की शुरुआत तक राजधानी देहरादून में महज 20 प्रदूषण जांच केंद्र ही मौजूद थे. लेकिन अचानक ही मोटर व्हीकल अधिनियम में संशोधन के बाद जब प्रदूषण जान सर्टिफिकेट को लेकर आरटीओ कार्यालय और पुलिस महकमे की ओर से सख्ती बरती गई, तो लोगों में प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट बनाने की होड़ मच गई.

इस दौर में शहर में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी कि जहां शहर में महज 20 प्रदूषण जांच केंद्र हुआ करते थे. वहीं अचानक की प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या बढ़कर 119 तक पहुंच गई. लेकिन इसके बाद मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच देश के साथ ही प्रदेश भर में पूर्ण लॉकडाउन जारी कर दिया गया. जिसकी वजह से प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर आरटीओ कार्यालय और पुलिस महकमे की की ओर से चलाया जा रहा विशेष अभियान ठंडे बस्ते में चला गया.

इतने प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट हो चुके हैं जारी: साल 2019-20 में 3, 47,135 पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (pollution certificate), 2020-21 में 2, 27, 464 और 2021-22 में 28,698 (जुलाई 2021 तक) प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं.

ईटीवी भारत ने देहरादून मुख्य शहर में मौजूद कुछ प्रदूषण जांच केंद्रों का जायजा लिया तो पाया कि शहर के लगभग सभी प्रदूषण जांच केंद्रों में इन दिनों सन्नाटा सा पसरा हुआ है. प्रदूषण जांच केंद्र संचालक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी ओर से प्रदूषण जांच केंद्र का संचालन साल 2019 में शुरू किया गया था. इस दौरान प्रतिदिन उनके केंद्र में लगभग 50 वाहन प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट के लिए पहुंच रहे थे. लेकिन आज प्रतिदिन लगभग 10 से 15 वाहन ही पहुंच रहे हैं. जिससे सीधे तौर पर उन्हें भारी आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है. जबकि इस प्रदूषण जांच केंद्र को शुरू करने में उन्हें लगभग 5 लाख रुपए तक खर्च करने पड़े थे.

पढ़ें: कुंभ कोरोना फर्जीवाड़ा: SIT ने कोर्ट से लिया गैर जमानती वारंट, दोषियों पर कसेगा शिकंजा

वहीं, कुछ इसी तरह का हाल शहर के अन्य प्रदूषण जांच केंद्र संचालकों का भी है. प्रदूषण जांच वैन का संचालन हिमांशु का कहना है कि आज उनके केंद्र में प्रतिदिन 5 से 10 लोग ही पहुंच रहे हैं. जिसकी वजह से अब उनके लिए अपने प्रदूषण जांच वैन का मेंटेनेंस कर पाना और प्रदूषण जांच का सर्टिफिकेट मुहैया कराने वाली कंपनी को हर साल का रिन्यूअल रेंट देना भी मुश्किल हो गया है. जो लगभग 10 से 20 हजार तक का होता है. देहरादून के हरिद्वार बाईपास रोड स्थित एक पेट्रोल पंप में प्रदूषण जांच केंद्र का संचालन मनीष का भी यहीं कहना है.

पढ़ें: गजब! देवस्थानम बोर्ड को CM का नाम नहीं पता, नए CS की जानकारी तक नहीं

मनीष के मुताबिक, जब तक आरटीओ कार्यालय और पुलिस में कमी की ओर से प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर कोई विशेष अभियान शुरू नहीं कर दिया जाता तब तक प्रदूषण जांच केंद्र संचालकों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सकता. गौरतलब है कि देहरादून आरटीओ कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार आरटीओ कार्यालय की ओर से साल 2019-20 में प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट न होने पर सबसे अधिक चालान किए गए थे. यह आंकड़ा 1,686 तक पहुंच गया था. लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे अभियान की गति धीमी पड़ने की वजह से साल दर साल प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट न होना होने की स्थिति में होने वाले चालान की संख्या घटती चली गई.

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट न होने पर देहरादून आरटीओ द्वारा किए गए चालान: साल 2019-20 में 1,686, 2020-21 में 783 और 2021-22 में 294 ( जुलाई 2021 तक ) चालान किए गए.

वहीं, भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे हैं प्रदूषण जांच केंद्रों के संबंध में जब आरटीओ देहरादून द्वारका प्रसाद ने कहा कि साल 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के बाद प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर विभाग और पुलिस महकमे की ओर से चलाए गए अभियान के चलते लोग काफी जागरूक हो चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ क्योंकि शहर में प्रदूषण जांच केंद्र की संख्या भी काफी बढ़ गई है इस वजह से किसी एक प्रदूषण जांच केंद्र में अब लोग कतारों में लगने को मजबूर नहीं हैं. हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि कोविड की दूसरी लहर की दस्तक के चलते आरटीओ द्वारा चलाया जाने वाला अभियान कुछ धीमा पड़ा. लेकिन अब जब कोविड के मामले घटने लगे है. तो विभाग जल्द ही विशेष अभियान शुरू करेगा.

पढ़ें: क्या है चारधाम परियोजना, भारत के लिए क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?

जानकारी के लिए बता दें कि, मोटर व्हीकल एक्ट के तहत प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट न होने की स्थिति में परिवहन विभाग की ओर से आपका 2,000 रुपए तक का चालान किया जा सकता है. अगर आपके पास प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट है लेकिन उसे आप अपने साथ रखना भूल गए हैं तो इस स्थिति में आप अगले दिन अपना प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट आरटीओ कार्यालय में प्रस्तुत करते हैं तो इस स्थिति में आपका 500 रुपए तक का चालान किया जाएगा. जबकि प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको महज 100 रुपए खर्च करने होते हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना का कहर अभी भी जारी है. कोरोना के कारण सभी वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. वहीं, अगर बात करें देहरादून के प्रदूषण जांच केंद्रों की तो यहां भी कोरोना का असर साफ देखा जा रहा है. साथ ही आरटीओ और पुलिस महकमे की ओर से भी प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर कोई विशेष अभियान नहीं चलाया गया है. जिससे आज शहर में संचालित हो रहे तमाम प्रदूषण जांच केंद्र आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे हैं.

बता दें कि, साल 2019 में मोटर व्हीकल अधिनियम (motor vehicle act) में संशोधन के तहत संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय (RTO) और पुलिस महकमे की ओर से वाहन के प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर खासी सख्ती दिखाई गई थी. लेकिन वर्तमान में स्थिति कुछ यह है कि बीते लंबे समय से संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय और पुलिस महकमे की ओर से प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर कोई विशेष अभियान नहीं चलाया गया है. जिसके परिणाम स्वरुप आज शहर में संचालित हो रहे तमाम प्रदूषण जांच केंद्र भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे हैं.

कोरोनाकाल में नुकसान में प्रदूषण जांच केंद्र.

गौरतलब है कि, साल 2019 की शुरुआत तक राजधानी देहरादून में महज 20 प्रदूषण जांच केंद्र ही मौजूद थे. लेकिन अचानक ही मोटर व्हीकल अधिनियम में संशोधन के बाद जब प्रदूषण जान सर्टिफिकेट को लेकर आरटीओ कार्यालय और पुलिस महकमे की ओर से सख्ती बरती गई, तो लोगों में प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट बनाने की होड़ मच गई.

इस दौर में शहर में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी कि जहां शहर में महज 20 प्रदूषण जांच केंद्र हुआ करते थे. वहीं अचानक की प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या बढ़कर 119 तक पहुंच गई. लेकिन इसके बाद मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच देश के साथ ही प्रदेश भर में पूर्ण लॉकडाउन जारी कर दिया गया. जिसकी वजह से प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर आरटीओ कार्यालय और पुलिस महकमे की की ओर से चलाया जा रहा विशेष अभियान ठंडे बस्ते में चला गया.

इतने प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट हो चुके हैं जारी: साल 2019-20 में 3, 47,135 पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (pollution certificate), 2020-21 में 2, 27, 464 और 2021-22 में 28,698 (जुलाई 2021 तक) प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं.

ईटीवी भारत ने देहरादून मुख्य शहर में मौजूद कुछ प्रदूषण जांच केंद्रों का जायजा लिया तो पाया कि शहर के लगभग सभी प्रदूषण जांच केंद्रों में इन दिनों सन्नाटा सा पसरा हुआ है. प्रदूषण जांच केंद्र संचालक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी ओर से प्रदूषण जांच केंद्र का संचालन साल 2019 में शुरू किया गया था. इस दौरान प्रतिदिन उनके केंद्र में लगभग 50 वाहन प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट के लिए पहुंच रहे थे. लेकिन आज प्रतिदिन लगभग 10 से 15 वाहन ही पहुंच रहे हैं. जिससे सीधे तौर पर उन्हें भारी आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है. जबकि इस प्रदूषण जांच केंद्र को शुरू करने में उन्हें लगभग 5 लाख रुपए तक खर्च करने पड़े थे.

पढ़ें: कुंभ कोरोना फर्जीवाड़ा: SIT ने कोर्ट से लिया गैर जमानती वारंट, दोषियों पर कसेगा शिकंजा

वहीं, कुछ इसी तरह का हाल शहर के अन्य प्रदूषण जांच केंद्र संचालकों का भी है. प्रदूषण जांच वैन का संचालन हिमांशु का कहना है कि आज उनके केंद्र में प्रतिदिन 5 से 10 लोग ही पहुंच रहे हैं. जिसकी वजह से अब उनके लिए अपने प्रदूषण जांच वैन का मेंटेनेंस कर पाना और प्रदूषण जांच का सर्टिफिकेट मुहैया कराने वाली कंपनी को हर साल का रिन्यूअल रेंट देना भी मुश्किल हो गया है. जो लगभग 10 से 20 हजार तक का होता है. देहरादून के हरिद्वार बाईपास रोड स्थित एक पेट्रोल पंप में प्रदूषण जांच केंद्र का संचालन मनीष का भी यहीं कहना है.

पढ़ें: गजब! देवस्थानम बोर्ड को CM का नाम नहीं पता, नए CS की जानकारी तक नहीं

मनीष के मुताबिक, जब तक आरटीओ कार्यालय और पुलिस में कमी की ओर से प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर कोई विशेष अभियान शुरू नहीं कर दिया जाता तब तक प्रदूषण जांच केंद्र संचालकों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सकता. गौरतलब है कि देहरादून आरटीओ कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार आरटीओ कार्यालय की ओर से साल 2019-20 में प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट न होने पर सबसे अधिक चालान किए गए थे. यह आंकड़ा 1,686 तक पहुंच गया था. लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे अभियान की गति धीमी पड़ने की वजह से साल दर साल प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट न होना होने की स्थिति में होने वाले चालान की संख्या घटती चली गई.

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट न होने पर देहरादून आरटीओ द्वारा किए गए चालान: साल 2019-20 में 1,686, 2020-21 में 783 और 2021-22 में 294 ( जुलाई 2021 तक ) चालान किए गए.

वहीं, भारी आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहे हैं प्रदूषण जांच केंद्रों के संबंध में जब आरटीओ देहरादून द्वारका प्रसाद ने कहा कि साल 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के बाद प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट को लेकर विभाग और पुलिस महकमे की ओर से चलाए गए अभियान के चलते लोग काफी जागरूक हो चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ क्योंकि शहर में प्रदूषण जांच केंद्र की संख्या भी काफी बढ़ गई है इस वजह से किसी एक प्रदूषण जांच केंद्र में अब लोग कतारों में लगने को मजबूर नहीं हैं. हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि कोविड की दूसरी लहर की दस्तक के चलते आरटीओ द्वारा चलाया जाने वाला अभियान कुछ धीमा पड़ा. लेकिन अब जब कोविड के मामले घटने लगे है. तो विभाग जल्द ही विशेष अभियान शुरू करेगा.

पढ़ें: क्या है चारधाम परियोजना, भारत के लिए क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?

जानकारी के लिए बता दें कि, मोटर व्हीकल एक्ट के तहत प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट न होने की स्थिति में परिवहन विभाग की ओर से आपका 2,000 रुपए तक का चालान किया जा सकता है. अगर आपके पास प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट है लेकिन उसे आप अपने साथ रखना भूल गए हैं तो इस स्थिति में आप अगले दिन अपना प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट आरटीओ कार्यालय में प्रस्तुत करते हैं तो इस स्थिति में आपका 500 रुपए तक का चालान किया जाएगा. जबकि प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको महज 100 रुपए खर्च करने होते हैं.

Last Updated : Aug 29, 2021, 8:50 AM IST
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