देहरादून: उत्तराखंड में श्रम कानूनों के सुधार को लेकर बनाई गई कैबिनेट उप समिति द्वारा लिए गए आपदा काल के दौरान श्रम कानून को निष्प्रभावी करने का निर्णय लिया गया है. जिसके बाद अब राजनीतिक गलियारों के हलचल शुरू हो गयी है. इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट ने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने राज्य सरकार को कर्मचारी विरोधी सरकार बताया है. वहीं, भाजपा नेता इसे कांग्रेस का राजनीतिक एजेंडा बता रहे हैं.
गौर हो कि बीते दिन उत्तराखंड राज्य कैबिनेट की उप समिति ने निर्णय लिया है कि भविष्य में यदि कोरोना की तरह कोई आपदा आती है तो उस दौरान सरकार किसी भी श्रम कानून को कुछ समय के लिए निष्प्रभावी कर सकती है. जिससे सरकारी कामकाज में आसानी होगी. हालांकि, इस निर्णय के बाद अब कैबिनेट उप समिति इसका प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट के सम्मुख प्रस्तुत करेगी. कैबिनेट से पास होने के बाद फिर इस प्रस्ताव को केंद्र में भेजा जाएगा. अगर केंद्र से इसे मंजूरी मिल जाती है तो भविष्य में राज्य सरकार किसी भी आपदा के दौरान श्रम कानूनों को निष्प्रभावी कर सकेगी.
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वहीं, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट ने इस फैसले को लेकर सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि ये सरकार मजदूर और किसान विरोधी है. हालांकि, वो इस मामले को लेकर अधिकारियों से मिल चुके हैं, और जल्द ही मुख्यमंत्री और राज्यपाल से भी मुलाकात करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ये काला कानून राज्य के अंदर लाती है तो राज्य के भीतर एक गलत अध्याय जुड़ जाएगा.
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इस मामले में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन का कहना है कि विरोध कांग्रेस की प्रवृति है. उन्होंने कहा श्रम कानून में जो परिवर्तन करने का निर्णय लिया है उसका फायदा सभी मजदूरों को मिलेगा. यही नहीं ये कानून बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सहमति बन रही है. मगर, कांग्रेस बिना समझबूझ के सिर्फ और सिर्फ हर चीज का विरोध करना जानती है.