देहरादून: कहा जाता है कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता. किस समय सियासत किस ओर करवट बदल लें, कहा नहीं जा सकता है. कुछ ऐसा ही उत्तराखंड की राजनीति में भी देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर नए समीकरण पनपते हुए दिखाई दे रहे हैं, कहीं पुराने गिले-शिकवे मिटाकर दोस्ती की नई शुरुआत की जा रही है, तो कहीं पुराने दोस्त और रिश्तेदार राजनीति के मैदान में दूर होते हुए दिखाई देते हैं.
हरीश रावत और प्रीतम की नजदीकियां: कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच बढ़ती करीबी इसी नए समीकरण का ताजा उदाहरण है. यहां इन दो दिग्गजों में गलबहिया दिनों दिन बढ़ रही हैं, और इसके चलते कांग्रेस के भीतर राजनीति का पारा भी आसमान छू रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रीतम सिंह का पिछले कुछ समय में मंच साझा करने का सिलसिला तेज हो गया है. इन दो नेताओं के बीच आपसी तालमेल काफी बेहतर हुआ है. शायद इसी का नतीजा है कि कुछ ही समय में कई बार यह दोनों ही दिग्गज एक साथ तस्वीरों में कैद होते दिखाई दिए हैं. पिछले दिनों हरीश रावत खुद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के घर पहुंच गए थे.
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अकेले दिख रहे करण माहरा: इस दौरान दोनों ही नेताओं के बीच बंद कमरे में काफी देर गुफ्तगू भी हुई थी. इसके बाद यह नेता कांग्रेस भवन में भी एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पार्टी के भीतर की राजनीति को काफी गर्म कर चुके हैं. दरअसल, एक समय था जब प्रीतम सिंह हरीश रावत खेमे के ही विधायक माने जाते थे, लेकिन इसके बाद दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि प्रीतम सिंह हरीश रावत से दूर हो गए. समय-समय पर दोनों के बीच बयानी तीर भी चले. लेकिन दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई तब खत्म हो गई जब प्रीतम सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. हरीश रावत का प्रीतम सिंह के घर जाना और फिर एक मंच पर देखना इस बात के संकेत दे रहा है. हालांकि इस मामले को लेकर प्रीतम सिंह से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हरीश रावत के साथ वह हमेशा ही देखते रहे हैं और भविष्य में भी उनके साथ दिखाई देते रहेंगे. वैसे तो कांग्रेस के भीतर हमेशा ही समीकरण एकाएक बदलते रहे हैं.
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दोनों नेताओं की दूरियां हुई कम: अधिकतर विधायकों और कार्यकर्ताओं की पसंद रहने वाले हरीश रावत के खिलाफ धीरे-धीरे तमाम विधायकों ने मोर्चा भी खोला है और उनसे दूरी भी बनाई है. फिलहाल राज्य में पार्टी के भीतर हरीश रावत के अलावा प्रीतम सिंह और करण मेहरा तीन धूरिया दिखाई देती हैं. मौजूदा समय में हरीश रावत और प्रीतम सिंह के करीब आने से करण माहरा अकेले पड़ते दिख रहे हैं हालांकि उन्हें प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव का पूरा समर्थन होना बताया जाता है. उधर दूसरी तरफ प्रीतम सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले रखने वाले हरीश रावत अब उनके साथ मंच साझा कर रहे हैं. प्रीतम सिंह भी हरीश रावत के साथ पूर्व में चली राजनीतिक लड़ाई को भूलकर समय की मांग के हिसाब से राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं. हालांकि इन दोनों नेताओं के करीब आने से करण माहरा की मुश्किलें भविष्य में बढ़ने के संकेत भी मिल रहे हैं.
जानिए क्या कह रही भाजपा: उधर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य उनको साबित करने में जुटे हुए हैं. देखा जाए तो पार्टी के भीतर इस वक्त अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की लड़ाई दिखाई देती है. हालांकि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के बेहद संतुलित होने के कारण लड़ाई अध्यक्ष पद को लेकर ज्यादा दिखाई देती है. कांग्रेस के भीतर राजनीतिक उलटफेर को भाजपा भी बड़ी दिलचस्पी और गहनता से देख रही है. हरीश रावत और प्रीतम सिंह के नए गठबंधन के असर को भी सत्ताधारी भाजपा खुद में भाप रही है. इस दौरान पार्टी इसके राजनीतिक फायदे का भी आकलन कर रही है. हालांकि इस सबसे इतर उत्तराखंड भाजपा के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान कहते हैं कि पार्टी के भीतर क्या चल रहा है यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है. लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी को जनता अच्छी तरह से जानती है और अपने हितों के लिए पार्टी में कांग्रेस के नेता रोज नए दांवपेच खेलते रहे हैं.