देहरादून: पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. देशभर में कांग्रेस के अंदर विभाजन का दौर चल रहा है, ज्यादातर राज्यों में जहां कांग्रेस अपनी सरकार नहीं बचा पा रही है तो केंद्र में भी स्थिति सही नहीं है. उत्तराखंड में भी कांग्रेस अपनी जमीन बचाने की कोशिश कर रही है. उत्तराखंड राज्य में क्या है कांग्रेस की असल स्थिति इस पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
उत्तराखंड को बने हुए 19 साल हो चुके है. इनमें से करीब 10 साल उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार रही. यानि उत्तराखंड में भी कांग्रेस ने अपना स्वर्णिम काल देखा है. कांग्रेस ने प्रदेश को तीन मुख्यमंत्री दिए है, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.
पिछले ढाई साल से विपक्ष में बैठी कांग्रेस न तो सही मुद्दे उठा पा रही है और न ही प्रदेश संगठन एकजुट दिखाई दे रहा है. आए दिन कांग्रेस के अंदर से खींचतान की खबरें बाहर आती रहती है. कई गुट तो खुले मंच पर विरोध करते हुए भी दिखाई दिए.
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एक तरह जहां प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का गुट है तो वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का. हरीश रावत की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से भी तनातनी चलती रहती है. दोनों के बीच कई बार मनमुटाव देखने को मिला. जिसका नुकसान उत्तराखंड कांग्रेस को 2017 के विधानसभा और हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भी भुगतना पड़ा है.
पार्टी के इतिहास पर नजर डाले तो उत्तराखंड में कांग्रेस का संगठन और सरकार दोनों ही मजबूत रही है. कांग्रेस ने उत्तराखंड में एनडी तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत जैसे दिग्गज नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया था. एनडी तिवारी ने तो पांच साल का कार्यकाल तक पूरा किया था.
इसके अलावा यशपाल आर्य जो वर्तमान में बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री है, वो भी उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे है. उन्होंने भी उत्तराखंड कांग्रेस को एक मजबूत नेतृत्व दिया था. किशोर उपाध्याय भी मजबूत प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन गुटबाजी से वह भी दूर नहीं रह पाए. प
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उत्तराखंड में पार्टी की इस हालत पर राजनीतिक विशेषज्ञ राजेश कुमार कहना है कि विपक्ष के तौर कांग्रेस फेल है. न उसमें विपक्षी पार्टी वाली आक्रमकता और न ही धार. प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को छोड़ दिया जाए तो वर्तमान समय में कांग्रेस में नेताओं का अभाव हैं, क्योंकि पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी अलग चाल चलते हैं. इसके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अपना अलग संगठन बनाये हुए है. लिहाजा कांग्रेस में जो एकजुटता दिखानी चाहिए वह नहीं दिख रही है. यहीं कारण है कि जनता के मुद्दे को उठाने में विपक्ष विफल हो रही है, जबकि उसके उल्ट बीजेपी मजबूत हो रही है. हालांकि, बीजेपी पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मजबूत है.
दम तोड़ती नज़र आ रही है कांग्रेस- बीजेपी
कांग्रेस की इस हालात पर बीजेपी ने भी टिप्पणी की है. बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन की माने तो कांग्रेस की नियत और नेतृत्व दोनों में ही गड़बड़ है. कांग्रेस ने हमेशा सत्ता का दुरुपयोग किया. कांग्रेस की कार्यप्रणाली में भी कई अपवाद रहा है. एक वंशवाद के नाम पर ही संगठन चलता रहा है. बीजेपी का कहना है कि धरातल पर कांग्रेस खत्म हो चुकी है. अन्य प्रदेशों में भी कांग्रेस का संगठन पूरी तरह चरमरा चुका है.
अधिनायक वादी लोग विपक्ष को मानते है खत्म- सूर्यकांत धस्माना
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी बीजेपी के टि्प्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बनने के बाद 2002 पहला विधानसभा चुनाव हुआ था. उसके बाद कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी. तो क्या उस दौरान विपक्ष की भूमिका में आई बीजेपी खत्म हो गई थी? ऐसी मूर्खता पूर्ण बातें बीजेपी को नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अधिनायक वादी के लोग ही ऐसी बातें करते हैं जो विपक्ष को खत्म मानते हैं. विपक्ष अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से निभा रहा है और कांग्रेस लगातार लड़ती रहेगी.