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उत्तराखंड: बंजर होती जा रही है कांग्रेस की जमीन, नेताओं का घट रहा सियासी कद

पिछले ढाई साल से विपक्ष में बैठी कांग्रेस न तो सही मुद्दे उठा पा रही है और न ही प्रदेश संगठन एकजुट दिखाई दे रहा है. आए दिन कांग्रेस के अंदर से खींचतान की खबरें बाहर आती रहती है. कई गुट तो खुले मंच पर विरोध करते हुए भी दिखाई दिए.

देहरादून
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Published : Sep 11, 2019, 7:05 AM IST

Updated : Sep 12, 2019, 8:11 AM IST

देहरादून: पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. देशभर में कांग्रेस के अंदर विभाजन का दौर चल रहा है, ज्यादातर राज्यों में जहां कांग्रेस अपनी सरकार नहीं बचा पा रही है तो केंद्र में भी स्थिति सही नहीं है. उत्तराखंड में भी कांग्रेस अपनी जमीन बचाने की कोशिश कर रही है. उत्तराखंड राज्य में क्या है कांग्रेस की असल स्थिति इस पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

उत्तराखंड को बने हुए 19 साल हो चुके है. इनमें से करीब 10 साल उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार रही. यानि उत्तराखंड में भी कांग्रेस ने अपना स्वर्णिम काल देखा है. कांग्रेस ने प्रदेश को तीन मुख्यमंत्री दिए है, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.

उत्तराखंड में बंजर होती जा रही है कांग्रेस की जमीन.

पिछले ढाई साल से विपक्ष में बैठी कांग्रेस न तो सही मुद्दे उठा पा रही है और न ही प्रदेश संगठन एकजुट दिखाई दे रहा है. आए दिन कांग्रेस के अंदर से खींचतान की खबरें बाहर आती रहती है. कई गुट तो खुले मंच पर विरोध करते हुए भी दिखाई दिए.

पढ़ें- नए मोटर व्हीकल एक्ट से खौफजदा लोग, लूट रहे प्रदूषण जांच केंद्र संचालक

एक तरह जहां प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का गुट है तो वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का. हरीश रावत की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से भी तनातनी चलती रहती है. दोनों के बीच कई बार मनमुटाव देखने को मिला. जिसका नुकसान उत्तराखंड कांग्रेस को 2017 के विधानसभा और हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भी भुगतना पड़ा है.

पार्टी के इतिहास पर नजर डाले तो उत्तराखंड में कांग्रेस का संगठन और सरकार दोनों ही मजबूत रही है. कांग्रेस ने उत्तराखंड में एनडी तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत जैसे दिग्गज नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया था. एनडी तिवारी ने तो पांच साल का कार्यकाल तक पूरा किया था.

इसके अलावा यशपाल आर्य जो वर्तमान में बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री है, वो भी उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे है. उन्होंने भी उत्तराखंड कांग्रेस को एक मजबूत नेतृत्व दिया था. किशोर उपाध्याय भी मजबूत प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन गुटबाजी से वह भी दूर नहीं रह पाए. प

पढ़ें- बिना नंबर प्लेट सड़क पर 'मौत' बनकर दौड़ रहे निगम के वाहन, हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार?

उत्तराखंड में पार्टी की इस हालत पर राजनीतिक विशेषज्ञ राजेश कुमार कहना है कि विपक्ष के तौर कांग्रेस फेल है. न उसमें विपक्षी पार्टी वाली आक्रमकता और न ही धार. प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को छोड़ दिया जाए तो वर्तमान समय में कांग्रेस में नेताओं का अभाव हैं, क्योंकि पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी अलग चाल चलते हैं. इसके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अपना अलग संगठन बनाये हुए है. लिहाजा कांग्रेस में जो एकजुटता दिखानी चाहिए वह नहीं दिख रही है. यहीं कारण है कि जनता के मुद्दे को उठाने में विपक्ष विफल हो रही है, जबकि उसके उल्ट बीजेपी मजबूत हो रही है. हालांकि, बीजेपी पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मजबूत है.

दम तोड़ती नज़र आ रही है कांग्रेस- बीजेपी
कांग्रेस की इस हालात पर बीजेपी ने भी टिप्पणी की है. बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन की माने तो कांग्रेस की नियत और नेतृत्व दोनों में ही गड़बड़ है. कांग्रेस ने हमेशा सत्ता का दुरुपयोग किया. कांग्रेस की कार्यप्रणाली में भी कई अपवाद रहा है. एक वंशवाद के नाम पर ही संगठन चलता रहा है. बीजेपी का कहना है कि धरातल पर कांग्रेस खत्म हो चुकी है. अन्य प्रदेशों में भी कांग्रेस का संगठन पूरी तरह चरमरा चुका है.

अधिनायक वादी लोग विपक्ष को मानते है खत्म- सूर्यकांत धस्माना
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी बीजेपी के टि्प्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बनने के बाद 2002 पहला विधानसभा चुनाव हुआ था. उसके बाद कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी. तो क्या उस दौरान विपक्ष की भूमिका में आई बीजेपी खत्म हो गई थी? ऐसी मूर्खता पूर्ण बातें बीजेपी को नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अधिनायक वादी के लोग ही ऐसी बातें करते हैं जो विपक्ष को खत्म मानते हैं. विपक्ष अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से निभा रहा है और कांग्रेस लगातार लड़ती रहेगी.

देहरादून: पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. देशभर में कांग्रेस के अंदर विभाजन का दौर चल रहा है, ज्यादातर राज्यों में जहां कांग्रेस अपनी सरकार नहीं बचा पा रही है तो केंद्र में भी स्थिति सही नहीं है. उत्तराखंड में भी कांग्रेस अपनी जमीन बचाने की कोशिश कर रही है. उत्तराखंड राज्य में क्या है कांग्रेस की असल स्थिति इस पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

उत्तराखंड को बने हुए 19 साल हो चुके है. इनमें से करीब 10 साल उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार रही. यानि उत्तराखंड में भी कांग्रेस ने अपना स्वर्णिम काल देखा है. कांग्रेस ने प्रदेश को तीन मुख्यमंत्री दिए है, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.

उत्तराखंड में बंजर होती जा रही है कांग्रेस की जमीन.

पिछले ढाई साल से विपक्ष में बैठी कांग्रेस न तो सही मुद्दे उठा पा रही है और न ही प्रदेश संगठन एकजुट दिखाई दे रहा है. आए दिन कांग्रेस के अंदर से खींचतान की खबरें बाहर आती रहती है. कई गुट तो खुले मंच पर विरोध करते हुए भी दिखाई दिए.

पढ़ें- नए मोटर व्हीकल एक्ट से खौफजदा लोग, लूट रहे प्रदूषण जांच केंद्र संचालक

एक तरह जहां प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का गुट है तो वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का. हरीश रावत की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से भी तनातनी चलती रहती है. दोनों के बीच कई बार मनमुटाव देखने को मिला. जिसका नुकसान उत्तराखंड कांग्रेस को 2017 के विधानसभा और हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भी भुगतना पड़ा है.

पार्टी के इतिहास पर नजर डाले तो उत्तराखंड में कांग्रेस का संगठन और सरकार दोनों ही मजबूत रही है. कांग्रेस ने उत्तराखंड में एनडी तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत जैसे दिग्गज नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया था. एनडी तिवारी ने तो पांच साल का कार्यकाल तक पूरा किया था.

इसके अलावा यशपाल आर्य जो वर्तमान में बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री है, वो भी उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे है. उन्होंने भी उत्तराखंड कांग्रेस को एक मजबूत नेतृत्व दिया था. किशोर उपाध्याय भी मजबूत प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन गुटबाजी से वह भी दूर नहीं रह पाए. प

पढ़ें- बिना नंबर प्लेट सड़क पर 'मौत' बनकर दौड़ रहे निगम के वाहन, हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार?

उत्तराखंड में पार्टी की इस हालत पर राजनीतिक विशेषज्ञ राजेश कुमार कहना है कि विपक्ष के तौर कांग्रेस फेल है. न उसमें विपक्षी पार्टी वाली आक्रमकता और न ही धार. प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को छोड़ दिया जाए तो वर्तमान समय में कांग्रेस में नेताओं का अभाव हैं, क्योंकि पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी अलग चाल चलते हैं. इसके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अपना अलग संगठन बनाये हुए है. लिहाजा कांग्रेस में जो एकजुटता दिखानी चाहिए वह नहीं दिख रही है. यहीं कारण है कि जनता के मुद्दे को उठाने में विपक्ष विफल हो रही है, जबकि उसके उल्ट बीजेपी मजबूत हो रही है. हालांकि, बीजेपी पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मजबूत है.

दम तोड़ती नज़र आ रही है कांग्रेस- बीजेपी
कांग्रेस की इस हालात पर बीजेपी ने भी टिप्पणी की है. बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन की माने तो कांग्रेस की नियत और नेतृत्व दोनों में ही गड़बड़ है. कांग्रेस ने हमेशा सत्ता का दुरुपयोग किया. कांग्रेस की कार्यप्रणाली में भी कई अपवाद रहा है. एक वंशवाद के नाम पर ही संगठन चलता रहा है. बीजेपी का कहना है कि धरातल पर कांग्रेस खत्म हो चुकी है. अन्य प्रदेशों में भी कांग्रेस का संगठन पूरी तरह चरमरा चुका है.

अधिनायक वादी लोग विपक्ष को मानते है खत्म- सूर्यकांत धस्माना
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी बीजेपी के टि्प्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बनने के बाद 2002 पहला विधानसभा चुनाव हुआ था. उसके बाद कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी. तो क्या उस दौरान विपक्ष की भूमिका में आई बीजेपी खत्म हो गई थी? ऐसी मूर्खता पूर्ण बातें बीजेपी को नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अधिनायक वादी के लोग ही ऐसी बातें करते हैं जो विपक्ष को खत्म मानते हैं. विपक्ष अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से निभा रहा है और कांग्रेस लगातार लड़ती रहेगी.

Intro:नोट - कृपया पहले भेजे गए फ़ाइल फुटेज का इस्तेमाल कर लीजिये। स्पेशल-एक्सक्लुसिव स्टोरी........ पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की स्थिति किसी से छिपी नहीं है देशभर में कांग्रेस के अंदर विभाजन का दौर चल रहा है, ज्यादातर राज्यों में जहां कांग्रेस अपनी सरकार नहीं बचा पा रही है तो केंद्र में भी स्थिति सही नहीं है। पिछले 5 सालों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व ज्यादातर राहुल गांधी ने किया है तो अब राहुल गांधी ने भी कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद इस पर से दूरी बनाने की बात भी कह दी थी और एक बार फिर से कमान कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के हाथों में है। इस वजह से कई लोग कांग्रेस पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कि कांग्रेस मुक्त भारत हो रहा है तो दूसरी ओर कांग्रेस के कई बड़े नेता इसका बचाव कर रहे हैं। आखिर उत्तराखंड राज्य में क्या है कांग्रेस की असल स्तिथि? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.....


Body:फिलहाल कांग्रेस की केंद्र में क्या स्थिति है यह किसी से छिपी नहीं है, लेकिन जब हम उत्तराखंड की बात करते हैं तो उत्तराखंड में भी कांग्रेस ने अपना स्वर्णिम काल देखा है। उत्तराखंड को बने अभी दो दशक का समय होने वाला है। तो इन दो दशकों में दो बार कांग्रेस की सरकार प्रदेश में रही। कांग्रेस ने कई मुख्यमंत्री दिए और कई एक मजबूत सरकार भी। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। पिछले ढाई साल से विपक्ष में बैठी कांग्रेस, न सही मुद्दों को उठा पा रही है ना ही पार्टी के अंदर एकजुटता दिखाई दे रही है। और आए दिन पार्टी के अंदर से खींचतान की खबरें बाहर आती रहती है। यही नही उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस में कई गुट है और यह गुट खुलकर सामने भी दिखाई देते हैं। एक और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का गुट है, तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का। तो वही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और किशोर उपाध्याय का गुट भी कहीं पीछे नहीं है। और इन सब का नुकसान प्रदेश कांग्रेस फिलहाल भुगत रही है। जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्षों और सरकारों को देखते हैं तो दिखाई पड़ता है कि एक मजबूत शासन और प्रशासन दोनों ही कांग्रेस ने दिया है। एनडी तिवारी जैसे मुख्यमंत्री जिन्होंने कि अपना कार्यकाल पूरा किया। तो हरीश रावत जैसे मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष भी कांग्रेस दे चुकी है। किशोर उपाध्याय मजबूत प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पहचाने जाते थे। लेकिन गुटबाजी से वह भी दूर नहीं रह पाए। तो वही यशपाल आर्या जो कि अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, और त्रिवेंद्र कैबिनेट में मंत्री हैं। उन्होंने भी उत्तराखंड कांग्रेस को एक मजबूत नेतृत्व दिया था।  .........कांग्रेस में एक जुटता ना होना भी एक वजह........ वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ राजेश कुमार के अनुसार जिस तरह से विपक्ष को आक्रमक दिखना चाहिए, वह विपक्ष में धार नहीं दिख रही है। और अगर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को छोड़ दिया जाए तो वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी में नेताओं का भी अभाव है क्योंकि पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी अलग चाल चलते हैं और अपनी बातें अलग तरीके से लगते हैं तो वही कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अपना अलग संगठन बनाये हुए है। लिहाजा कांग्रेस की जो एकजुटता दिखाई चाहिए वह दिखाई नहीं दे रही है। और जो जनता के मुद्दे को उठाने में विपक्ष विफल दिख रही है। यही वजह है कि भाजपा और मजबूत हो गई है हालांकि इससे पहले से भी भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मजबूत है। ..............सत्ता और वंशवाद भी है मुख्य वजह........... भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन के अनुसार कांग्रेस की नियत और नेतृत्व दोनों में ही गड़बड़ है उनके नेता स्व केंद्रित हैं और उनके द्वारा जिस प्रकार से अपने हितों को ऊपर रखते हुए देश और समाज के हितों को पीछे किया गया बड़े-बड़े घोटाले किए गए और जब सत्ता में रहे तो उसका पूरा दुरुपयोग किया। साथ ही कांग्रेस की जो कार्यप्रणाली रही है उसमें भी कई अपवाद रहा है। एक वंशवाद के नाम पर ही संगठन चलता रहा है और देश के हितों को भी कांग्रेस ने तिलांजलि दी है। अब देश की जनता इस बात को समझती है। क्योकि जनता के लिए विकास, राष्ट्रीय हितों की चिंता, देश की सुरक्षा आदि तमाम बातें महत्वपूर्ण है। जबकि कांग्रेस केवल जनता के बीच दूरियां बढ़ा कर और एक दूसरे को डराकर अपनी राजनीति की है। और यही कारण है कि देश की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। .....अपना दम तोड़ती नज़र आ रही है कांग्रेस - भाजपा..... भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि कांग्रेस की स्थिति इस समय इतनी खराब हो चुकी है कि वह दम तोड़ती नजर आ रही है और खत्म होने की कगार पर कई बार दिखाई देने लगती है। हालांकि अभी कुछ राज्यों में कांग्रेस की सरकार है जरूर है लेकिन धरातल पर वह सरकारें भी अपना आधार खो चुकी हैं। अन्य प्रदेशों में भी कांग्रेस का संगठन पूरी तरह चरमरा चुका है। यही नही बीते दिनों जो अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस के भीतर घमासान चला, उससे साफ है कि कांग्रेस अपने अंतिम दौर में चल रही है और वह दिन दूर नही, जब कांग्रेस इसिहास का हिस्सा बन जाएगी। .....कर्तव्यविमूढ़ और असमंजस की स्थिति में है कांग्रेस.... साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को छोड़, भाजपा का दामन थाम, यमुनोत्री से विधायक बने केदार सिंह रावत ने बताया कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सशक्त विपक्ष का होना बहुत आवश्यक है। लेकिन दुर्भाग्य पूर्ण है कि कांग्रेस पार्टी कर्तव्यविमूढ़ और बिल्कुल असमंजस की स्थिति में आ गई है। और कांग्रेस को पता ही नहीं है कि किस मुद्दे पर उसको क्या करना है। अपने कर्तव्यों और कारनामों से ही कांग्रेस अपनी जमीन खोती जा रही है। कांग्रेस के जो जन नेता थे वह कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं और जो वर्तमान समय में कांग्रेस में बचे हैं उनको ना तो नेतृत्व की समझ है और ना ही जनता की नब्ज से और ना ही जनता से कुछ लेना देना है।  ........अधिनायक वादी लोग विपक्ष को मानते है खत्म..... कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भाजपा पर सवाल खड़े करते हुए बताया कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद जब साल 2002 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था तो उस दौरान कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी, तो क्या उस दौरान विपक्ष की भूमिका में आई भाजपा खत्म हो गई थी? ऐसी मूर्खता पूर्ण बातें भाजपा को नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अधिनायक वादी के लोग ही ऐसी बातें करते हैं जो विपक्ष को खत्म मानते हैं। विपक्ष अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से निभा रहा है और कांग्रेस लगातार लड़ती रहेगी। और जब भाजपा सत्ता से बाहर होगी तो भाजपा का दिमाग ठीक हो जाएगा। .....देश की आजादी में कांग्रेस का अहम योगदान - कांग्रेस..... तो वहीं कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भाजपा पर निशाना साधते हुए बताया कि भाजपा सावन की अंधी है इसीलिए भाजपा को हर जगह हरा ही हरा दिखाई देता है। प्रदेश में डेंगू के हालत बेहद खराब है जिसको लेकर विपक्ष लगातार आवाज उठा रही है तो क्या विपक्ष मर गया? साथ ही बताया कि भाजपा विपक्ष को मृत मान रही है, विपक्ष को भाजपा मानती ही नहीं, और ना ही विश्वास में लेती है। पार्टी के लीडरशिप को समझना चाहिए कि कांग्रेस वो पार्टी है जिसने इस देश को आजाद कराया, आजादी के बाद इस देश का नवनिर्माण किया।  .......कांग्रेस को मजबूती से लड़ने की है जरूरत...... राजनीतिक विशेषज्ञ की मानें तो विपक्ष को घर-घर अभियान चलाने चाहिए, क्योंकि बीजेपी लगातार अपने संगठन को मजबूत करने के लिए अभियान चलती रहती है। इसी तरह कांग्रेस को चाहिए कि वो जनता से जुड़े मुद्दे उठाकर, सरकार पर आक्रामक हो। लेकिन विपक्ष वर्तमान समय में आक्रमक नहीं हो पा रही है। अभी तक उत्तराखंड राज्य में हर 5 साल में सरकारें बदलती रहती हैं लिहाजा कांग्रेस को हताश ना होकर बल्कि दमखम के साथ लड़ना चाहिए। लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस में कोई नेता नहीं है यानी नेतृत्व विहीन है। यही नही केंद्रीय नेतृत्व में भी राहुल गांधी का जो विवाद चल रहा था, उसका असर राज्यो में भी दिख रहा है। ....कांग्रेस को योग, ध्यान, समाधि की है जरूरत- विधायक..... विधायक केदार सिंह रावत ने बताया कि कांग्रेस ने बहुत हाथ पैर मार लिए लेकिन उनकी स्तिथि कुछ संभल नहीं रही है। और उनके लिए असमंजस की स्तिथि पैदा हो गयी है कि वो क्या करे। साथ ही विधायक ने कांग्रेस को सुझाव देते हुए बताया कि भारतीय जनमानस की मानसिकता के अनुसार, भारतीय पद्धति के अनुसार योग, ध्यान, समाधि में जाएं। और कुछ साल चिंतन-मनन करे तो शायद कांग्रेस को कुछ रास्ता मिल सकता है।


Conclusion:लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। पार्टी की कमान प्रीतम सिंह के हाथ में है और यह बात अन्य कई नेताओं को कांग्रेस के अंदर पसंद नहीं आती। और यह साफ दिखाई भी पड़ता है। कई बार प्रीतम सिंह कई बड़े नेताओं से दूरी बना लेते हैं या फिर कई बड़े नेता, प्रीतम सिंह से दूरी बना लेते हैं। स्थिति यह है कि प्रीतम सिंह का कार्यकाल लगभग समाप्त हो चुका है। लेकिन अभी तक नई कार्यकारिणी का गठन भी नहीं किया गया, तो कई पुराने पदाधिकारियों को उन्होंने बाहर का रास्ता भी दिखा दिया है।
Last Updated : Sep 12, 2019, 8:11 AM IST
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