देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरों रेंज में हुए कार्यों को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए तो हरक सिंह के भविष्य पर फिर चर्चाएं शुरू हो गईं. हालांकि हरक सिंह रावत के लिए सीबीआई जांच कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी हरक सिंह रावत एक गंभीर मामले में सीबीआई जांच के घेरे में आ चुके हैं. हरक सिंह रावत का सीबीआई के सवालों से सीधा सामना हो चुका है. सवाल यह है कि हरक सिंह रावत ने पहली बार सीबीआई जांच के दायरे में आने पर अपना मंत्री पद गंवाया था. ऐसे में इस बार उनका क्या दांव पर होगा.
क्या कॉर्बेट की फांस चौपट करेगी हरक का राजनीतिक भविष्य? कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 पेड़ों को काटे जाने और अवैध निर्माण करने के मामले में जल्द सीबीआई अपनी जांच शुरू कर सकती है. हालांकि हाईकोर्ट की तरफ से इस संदर्भ में निर्देश दिए जाने के बाद कुछ औपचारिकताएं भी हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद ही सीबीआई पूरे प्रकरण पर अपनी जांच शुरू करेगी. वैसे मामले में सीबीआई जांच के आदेश होते ही सबसे ज्यादा चर्चाएं हरक सिंह रावत के भविष्य को लेकर होती दिखाई दी. जब हाईकोर्ट का सीबीआई जांच का आदेश हुआ, तब हरक सिंह रावत राजस्थान में थे. दरअसल हाल ही में कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान में होने वाले चुनाव के मद्देनजर हरक सिंह रावत को भी समन्वयक की जिम्मेदारी दी है. इसी सिलसिले में हरक सिंह रावत राजस्थान के चुनावी कार्यक्रमों में पहुंचे हुए हैं.
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पहले भी सीबीआई का सामना कर चुके हैं हरक सिंह रावत: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत पर जो आरोप लग रहे हैं, वह उनके भाजपा में रहते हुए भाजपा सरकार के मंत्री के तौर पर किए कार्यों को लेकर हैं. जाहिर है, इसी वजह से भाजपा भी इस मामले में दबाव में दिखाई दे रही है. जहां तक सवाल हरक सिंह रावत का है, तो उनके लिए सीबीआई जांच कोई नई बात नहीं है. उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार के दौरान उन पर एक महिला के यौन शोषण के आरोप लगे थे. इसी जैनी प्रकरण में सीबीआई जांच के भी आदेश हुए थे. जिसके चलते तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बात 2003 की है, जब उन पर गंभीर आरोप लगे और उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा था. इस दौरान सीबीआई के सवालों का उन्हें सामना करना पड़ा था. मामले में डीएनए टेस्ट तक हुआ था. बहरहाल सीबीआई जांच का कोई नतीजा नहीं निकला और हरक सिंह रावत मजबूती के साथ राजनीति में आगे बढ़ते चले गए.
इस बार बुरे फंसे हैं हरक सिंह रावत: इस बार मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है. सीबीआई जांच के दौरान हरक सिंह रावत को भी सीबीआई की टीम के सामने कई सवालों के जवाब देने होंगे. हाल ही में विजिलेंस की टीम ने दो जेनरेटर भी बरामद किए हैं, जिसका हिसाब उन्हें देना होगा. इतना ही नहीं वन मंत्री रहते हुए कॉर्बेट पार्क में 6000 पेड़ काटे जाने से लेकर अवैध निर्माण तक की स्वीकृतियों पर भी हरक सिंह रावत, सीबीआई की टीम के सवालों के घेरे में होंगे. बड़ी बात यह है कि अब भी लगातार हरक सिंह रावत कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में तमाम निर्माण कार्यों को लेकर, अपने बयानों पर अडिग दिखाई देते हैं. हरक सिंह सभी कार्य नियमों के अनुरूप होने की भी बात कहते हुए नजर आते हैं.
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वैसे तो सीबीआई जांच में यह स्पष्ट हो जाएगा कि कॉर्बेट में तमाम गंभीर आरोपों को लेकर कितनी सच्चाई है. लेकिन अब तक की जांच हरक सिंह रावत समेत शासन के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों और वन विभाग के बड़े आईएफएस अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करती है.
हरक सिंह रावत का लोकसभा पहुंचने का सपना टूट सकता है: इस प्रकरण में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब पहली बार सीबीआई जांच हुई, तो हरक सिंह रावत को अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ा था. इस बार वह विपक्ष में हैं, लिहाजा सीबीआई जांच के आगे बढ़ने पर इस बार उन्हें किस तरह के नुकसान हो सकते हैं. जाहिर है कि सीबीआई जांच शुरू हुई तो एक तरफ हरक सिंह रावत की साख दांव पर होगी तो अब तक का शानदार राजनीतिक कैरियर भी दांव पर लगा हुआ है. इसके अलावा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए हरिद्वार से उनकी दावेदारी सबसे ज्यादा खतरे में है.
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हरिद्वार हरीश रावत के लिए बना खुला मैदान: सीबीआई जांच के आदेश होने के कारण अब हरक सिंह रावत को हरिद्वार लोकसभा सीट से पार्टी हाईकमान के द्वारा टिकट दिया जाना बेहद मुश्किल हो गया है. इस तरह देखा जाए तो सीबीआई जांच के आदेश होने के बाद हरिद्वार लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करने वाले हरीश रावत कांग्रेस के टिकट को लेकर एकमात्र चेहरा बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में हरक सिंह रावत के लिए इस समय सीबीआई जांच के आदेश होना, उनकी आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दावेदारी पर सबसे बड़ा खतरा है.
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