देहरादून: उत्तराखंड के हाई प्रोफाइल स्टिंग मामले में देहरादून पुलिस को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े हैं. पुलिस ने बीती 10 अप्रैल को निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार के खिलाफ गोपनीय तरीके से आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. जबकि, सबूत नहीं होने के चलते ब्लैकमेलिंग की धाराओं को हटा दिया गया है. इससे पहले पुलिस ने इस हाई प्रोफाइल मामले में ब्लैकमेलिंग की धाराएं भी लगाई थी, लेकिन पुलिस ब्लैकमेलिंग का कोई भी आरोप साबित नहीं कर पाई.
पढ़ें- 'मेरी बेटी रोहित से बेहद प्यार करती थी, वो ऐसा कभी नहीं कर सकती'
इस मामले में उमेश कुमार के वकील मनमोहन लाम्बा ने बताया कि पुलिस ने बिना सबूतों के ही कई धाराएं लगाई गई थी. यही कारण है कि पुलिस को बिना सबूतों के लगाई गई ब्लैकमेलिंग की धाराओं को हटाना पड़ा. वकील के मुताबिक, अब आरोप पत्र का अध्ययन किया जाएगा. जबकि बाकी धाराओं पर पुलिस को कोर्ट में अपराध साबित करना होगा.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि पिछले साल 10 अक्टूबर को स्टिंग मामले में देहरादून के राजपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था. 22 अक्टूबर को पुलिस को कोर्ट से गिरफ्तारी का वारंट मिला था. इसके बाद निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार तो गाजियाबाद स्थित उनसे आवास से गिरफ्तार किया गया था. 31 अक्टूबर को कोर्टी मंजूरी के बाद पुलिस ने चैनल सीईओ उमेश कुमार को रिमांड पर लिया. 16 अगस्त को उमेश कुमार की जमानत याचिका कोर्ट ने मंजूर की. 10 अप्रैल को गोपनीय तरीके से ब्लैकमेलिंग की धाराएं हटाते हुए पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया.