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स्टिंग मामले में उमेश शर्मा के खिलाफ पुलिस ने फाइल की चार्जशीट

इससे पहले पुलिस ने इस हाई प्रोफाइल मामले में ब्लैकमेलिंग की धाराएं भी लगाई थी, लेकिन पुलिस ब्लैकमेलिंग का कोई भी आरोप साबित नहीं कर पाई.

umesh kumar
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Published : Apr 20, 2019, 11:28 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के हाई प्रोफाइल स्टिंग मामले में देहरादून पुलिस को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े हैं. पुलिस ने बीती 10 अप्रैल को निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार के खिलाफ गोपनीय तरीके से आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. जबकि, सबूत नहीं होने के चलते ब्लैकमेलिंग की धाराओं को हटा दिया गया है. इससे पहले पुलिस ने इस हाई प्रोफाइल मामले में ब्लैकमेलिंग की धाराएं भी लगाई थी, लेकिन पुलिस ब्लैकमेलिंग का कोई भी आरोप साबित नहीं कर पाई.

उमेश कुमार के वकील मनमोहन लाम्बा.

पढ़ें- 'मेरी बेटी रोहित से बेहद प्यार करती थी, वो ऐसा कभी नहीं कर सकती'

इस मामले में उमेश कुमार के वकील मनमोहन लाम्बा ने बताया कि पुलिस ने बिना सबूतों के ही कई धाराएं लगाई गई थी. यही कारण है कि पुलिस को बिना सबूतों के लगाई गई ब्लैकमेलिंग की धाराओं को हटाना पड़ा. वकील के मुताबिक, अब आरोप पत्र का अध्ययन किया जाएगा. जबकि बाकी धाराओं पर पुलिस को कोर्ट में अपराध साबित करना होगा.

क्या है पूरा मामला
बता दें कि पिछले साल 10 अक्टूबर को स्टिंग मामले में देहरादून के राजपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था. 22 अक्टूबर को पुलिस को कोर्ट से गिरफ्तारी का वारंट मिला था. इसके बाद निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार तो गाजियाबाद स्थित उनसे आवास से गिरफ्तार किया गया था. 31 अक्टूबर को कोर्टी मंजूरी के बाद पुलिस ने चैनल सीईओ उमेश कुमार को रिमांड पर लिया. 16 अगस्त को उमेश कुमार की जमानत याचिका कोर्ट ने मंजूर की. 10 अप्रैल को गोपनीय तरीके से ब्लैकमेलिंग की धाराएं हटाते हुए पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया.

देहरादून: उत्तराखंड के हाई प्रोफाइल स्टिंग मामले में देहरादून पुलिस को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े हैं. पुलिस ने बीती 10 अप्रैल को निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार के खिलाफ गोपनीय तरीके से आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. जबकि, सबूत नहीं होने के चलते ब्लैकमेलिंग की धाराओं को हटा दिया गया है. इससे पहले पुलिस ने इस हाई प्रोफाइल मामले में ब्लैकमेलिंग की धाराएं भी लगाई थी, लेकिन पुलिस ब्लैकमेलिंग का कोई भी आरोप साबित नहीं कर पाई.

उमेश कुमार के वकील मनमोहन लाम्बा.

पढ़ें- 'मेरी बेटी रोहित से बेहद प्यार करती थी, वो ऐसा कभी नहीं कर सकती'

इस मामले में उमेश कुमार के वकील मनमोहन लाम्बा ने बताया कि पुलिस ने बिना सबूतों के ही कई धाराएं लगाई गई थी. यही कारण है कि पुलिस को बिना सबूतों के लगाई गई ब्लैकमेलिंग की धाराओं को हटाना पड़ा. वकील के मुताबिक, अब आरोप पत्र का अध्ययन किया जाएगा. जबकि बाकी धाराओं पर पुलिस को कोर्ट में अपराध साबित करना होगा.

क्या है पूरा मामला
बता दें कि पिछले साल 10 अक्टूबर को स्टिंग मामले में देहरादून के राजपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था. 22 अक्टूबर को पुलिस को कोर्ट से गिरफ्तारी का वारंट मिला था. इसके बाद निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार तो गाजियाबाद स्थित उनसे आवास से गिरफ्तार किया गया था. 31 अक्टूबर को कोर्टी मंजूरी के बाद पुलिस ने चैनल सीईओ उमेश कुमार को रिमांड पर लिया. 16 अगस्त को उमेश कुमार की जमानत याचिका कोर्ट ने मंजूर की. 10 अप्रैल को गोपनीय तरीके से ब्लैकमेलिंग की धाराएं हटाते हुए पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया.

फीड एफटीपी से भेजी है। 

Folder name-uk_ddn_20 april 2019_umesh kumar chargesheet


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रिपोर्ट-नवीन उनियाल

देहरादून

एंकर

उत्तराखंड के हाईप्रोफाइल स्टिंग मामले में पुलिस को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। दरअसल  चैनल सीईओ उमेश कुमार पर नौकरशाह के स्टिंग को लेकर पुलिस ने पहले तमाम धाराओं के साथ ब्लैक मेलिंग की धाराएं भी  लगाई थी। लेकिन गोपनीय रूप से 10 अप्रैल को दाखिल चार्जशीट में सुबूत ना होने के चलते ब्लैक मेलिंग की धाराओं को हटा दिया गया है। आपको बता दें कि हाई प्रोफाइल इस मामले में चैनल सीईओ उमेश कुमार के साथ ही उनके सहयोगियों के खिलाफ भी कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। 

क्या है पूरा मामला

देहरादून में पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज करने के बाद 22 अक्टूबर को पुलिस को कोर्ट से गिरफ्तारी का वारंट मिला था। इसके बाद चैनल के सीईओ को 28 अक्टूबर को उनके गाजियाबाद स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। 31 अक्टूबर को कोर्ट की मंजूरी के बाद पुलिस ने चैनल सीईओ उमेश कुमार को रिमांड पर लिया। इसके बाद 16 अगस्त को चैनल सीईओ की जमानत याचिका कोर्ट में मंजूर की गई...जबकि अब 10 अप्रैल को गोपनीय तरीके से ब्लैक मेलिंग की धाराएं हटाते हुए पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। 

चैनल सीईओ उमेश कुमार के वकील ने बताया कि पुलिस द्वारा बिना सबूतों के ही कई धाराएं लगाई गई और यही कारण है कि पुलिस को बिना सबूतों के लगाई गई ब्लैक मेलिंग की धाराओं को हटाना पड़ा हालांकि अब चार्ट शीट का अध्ययन किया जाएगा जबकि बाकी धाराओं पर पुलिस को कोर्ट में अपराध साबित करना होगा। उधर मामले को लेकर पुलिस से भी बात करने की कोशिश की गई लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी से संपर्क नहीं हो पाया। 


बाइट- मनमोहन लाम्बा, वकील, बचाव पक्ष



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