देहरादून: उत्तराखंड के अंतरराष्ट्रीय सीमांत क्षेत्र को फिर आबाद करने के लिए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सीमा क्षेत्र विकास योजना का खाका तैयार किया है. राज्य सरकार की योजना केंद्र के उस गंभीर मंथन के बाद शुरू की जा रही है. जिसमें उन्होंने सीमांत क्षेत्र से हो रहे पलायन पर चिंता जाहिर की थी.
हाल ही में भारत सरकार ने चीन से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर हो रहे पलायन को लेकर चिंता जाहिर की थी. इसके लिए बकायदा 2 महीने पहले उत्तराखंड, हिमाचल और चाइना से सटे दूसरे राज्यों से भी सीमांत क्षेत्रों की रिपोर्ट मांगी गई थी.
उत्तराखंड की तरफ से पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने चीन और नेपाल से सटे क्षेत्रों की पूरी रिपोर्ट भारत सरकार को पेश की थी. इसमें खासतौर पर पिथौरागढ़ जिले के धारचूला और मुनस्यारी, चमोली जिले के जोशीमठ और उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी क्षेत्र में हुए पलायन का जिक्र किया गया था.
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जानकारी के अनुसार सितंबर में हुई बैठक के बाद भारत सरकार ने इन राज्यों को सीमांत क्षेत्रों में रिवर्स पलायन को लेकर निर्देश भी जारी किए थे. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार ने मुख्यमंत्री सीमा क्षेत्र विकास योजना को शुरू करने का फैसला ले लिया है.
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड का सीमांत क्षेत्र करीब 650 किलोमीटर है. जिससे चीन और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा लगी हुई है. रिवर्स पलायन के लिए इन क्षेत्रों पर खास योजना चलाई जा रही है. साथ ही मूलभूत सुविधाओं को भी बेहतर करने की ओर कदम उठाए गए हैं.