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ऋषिकेश नगर निगम के खिलाफ मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर, बस्ती तोड़ने का मामला - ऋषिकेश नगर निगम न्यूज उत्तराखंड

चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती को नगर निगम द्वारा तोड़ने के संबंध में डोईवाला निवासी सामाजिक कार्यकर्ता ने मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की है, जहां उनकी याचिका मंजूर कर ली गई है. 7 सितंबर को एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम की टीम ने चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झोपड़ियों को तोड़ दिया था, जिसके बाद वहां रहने वाले लोगों के ऊपर न छत है और न खाने को रोटी.

मानवाधिकार आयोग में याचिका
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Published : Sep 14, 2019, 11:27 AM IST

Updated : Sep 14, 2019, 7:36 PM IST

ऋषिकेशः हाल ही में तीर्थनगरी ऋषिकेश के चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती को नगर निगम द्वारा तोड़ने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. वहां रहने वाले लोगों की स्थिति बद से बदतर होने के बाद डोईवाला निवासी एक सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की है, जहां उनकी याचिका मंजूर कर ली गई है.

ऋषिकेश नगर निगम के खिलाफ याचिका.

अजय कुमार ने बताया कि उनको समाचार के माध्यम से जानकारी मिली कि ऋषिकेश के चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झुग्गी झोपड़ियों को नगर निगम द्वारा तोड़ दिया गया. इसके बाद वह वहां रहने वाले लोगों के लिए किसी भी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, जबकि इस तरह की बस्ती को तोड़ने से पहले वहां रहने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए उनके लिए रैन बसेरों में रहने व खाने के साथ-साथ चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जाता है, लेकिन इस तरह की कोई भी सुविधा नहीं कराई गई.

पढ़ें- प्रशासन की लापरवाही ने ले ली एक मासूम की जान, उजड़ गया पूरा परिवार, देखिए ये रिपोर्ट

यही कारण रहा कि बस्ती में रहने वाली एक 5 वर्षीय मासूम बच्ची की जान चली गई, साथ ही कई लोग बीमार हुए. इसी को देखते हुए उन्होंने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है जिसमें उनकी शिकायत को मंजूरी मिल गई है. जल्द ही इस पर कार्रवाई करते हुए संबंधित विभागों को नोटिस भी जारी किया जा सकता है.

शिकायतकर्ता अजय कुमार ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार सभी को रहने खाने और चिकित्सा की सुविधा मिलने का अधिकार है, वहीं अगर किसी भी तरह की झुग्गी झोपड़ियों को हटाया जाता है तो उनके लिए हर तरह की रहने खाने और स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया कराई जाती है. लेकिन प्रशासन ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है यही कारण है कि उन्होंने मानवाधिकार में शिकायत की है.

गौर हो कि ये मामला ऋषिकेश की चंद्रभागा नदी किनारे बसी बस्ती का है. यहां प्रशासन ने नदी किनारे बसी बस्तियों को तोड़ दिया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं को देना भूल गई. जिस कारण प्रशासन की ये लापरवाही बस्तियों में रहने वाले लोगों के ऊपर भारी पड़ रही है. स्थानीय लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण लगातार बीमार हो रहे हैं. वहीं, इस बीमारी के कारण एक बच्ची काल के गाल में समा गई.

दरअसल, 7 सितंबर को एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम की टीम ने चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झोपड़ियों को तोड़ दिया था. जिसके बाद वहां रहने वाले लोगों के ऊपर न छत है और न खाने को रोटी. यही कारण है कि वहां बच्चों के साथ-साथ बड़े बुजुर्ग भी लगातार बीमार हो रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की अनदेखी के कारण लगातार बीमारियों के चलते एक 5 साल की मासूम बच्ची की मौत भी हो गई. उसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे अभी भी लोग लगातार बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं.

ऋषिकेश में NGT के आदेश के बाद नगर निगम ने अगस्त महीने में चंद्रभागा नदी किनारे बसी झोपड़ियों को एक माह में हटाने का नोटिस दिया था. उसके बाद 7 सितंबर को नगर निगम ने उन झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद वहां रहने वाले परिवार और उनके बच्चे सड़क पर आ गए. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये हालत होने के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी लापरवाह बना बैठा हुआ है.

ऋषिकेशः हाल ही में तीर्थनगरी ऋषिकेश के चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती को नगर निगम द्वारा तोड़ने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. वहां रहने वाले लोगों की स्थिति बद से बदतर होने के बाद डोईवाला निवासी एक सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की है, जहां उनकी याचिका मंजूर कर ली गई है.

ऋषिकेश नगर निगम के खिलाफ याचिका.

अजय कुमार ने बताया कि उनको समाचार के माध्यम से जानकारी मिली कि ऋषिकेश के चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झुग्गी झोपड़ियों को नगर निगम द्वारा तोड़ दिया गया. इसके बाद वह वहां रहने वाले लोगों के लिए किसी भी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, जबकि इस तरह की बस्ती को तोड़ने से पहले वहां रहने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए उनके लिए रैन बसेरों में रहने व खाने के साथ-साथ चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जाता है, लेकिन इस तरह की कोई भी सुविधा नहीं कराई गई.

पढ़ें- प्रशासन की लापरवाही ने ले ली एक मासूम की जान, उजड़ गया पूरा परिवार, देखिए ये रिपोर्ट

यही कारण रहा कि बस्ती में रहने वाली एक 5 वर्षीय मासूम बच्ची की जान चली गई, साथ ही कई लोग बीमार हुए. इसी को देखते हुए उन्होंने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है जिसमें उनकी शिकायत को मंजूरी मिल गई है. जल्द ही इस पर कार्रवाई करते हुए संबंधित विभागों को नोटिस भी जारी किया जा सकता है.

शिकायतकर्ता अजय कुमार ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार सभी को रहने खाने और चिकित्सा की सुविधा मिलने का अधिकार है, वहीं अगर किसी भी तरह की झुग्गी झोपड़ियों को हटाया जाता है तो उनके लिए हर तरह की रहने खाने और स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया कराई जाती है. लेकिन प्रशासन ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है यही कारण है कि उन्होंने मानवाधिकार में शिकायत की है.

गौर हो कि ये मामला ऋषिकेश की चंद्रभागा नदी किनारे बसी बस्ती का है. यहां प्रशासन ने नदी किनारे बसी बस्तियों को तोड़ दिया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं को देना भूल गई. जिस कारण प्रशासन की ये लापरवाही बस्तियों में रहने वाले लोगों के ऊपर भारी पड़ रही है. स्थानीय लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण लगातार बीमार हो रहे हैं. वहीं, इस बीमारी के कारण एक बच्ची काल के गाल में समा गई.

दरअसल, 7 सितंबर को एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम की टीम ने चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झोपड़ियों को तोड़ दिया था. जिसके बाद वहां रहने वाले लोगों के ऊपर न छत है और न खाने को रोटी. यही कारण है कि वहां बच्चों के साथ-साथ बड़े बुजुर्ग भी लगातार बीमार हो रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की अनदेखी के कारण लगातार बीमारियों के चलते एक 5 साल की मासूम बच्ची की मौत भी हो गई. उसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे अभी भी लोग लगातार बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं.

ऋषिकेश में NGT के आदेश के बाद नगर निगम ने अगस्त महीने में चंद्रभागा नदी किनारे बसी झोपड़ियों को एक माह में हटाने का नोटिस दिया था. उसके बाद 7 सितंबर को नगर निगम ने उन झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद वहां रहने वाले परिवार और उनके बच्चे सड़क पर आ गए. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये हालत होने के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी लापरवाह बना बैठा हुआ है.

Intro:Feed send on LU ऋषिकेश-- ऋषिकेश के चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती को नगर निगम के द्वारा तोड़े जाने के बाद वहां रहने वाले लोगों की स्थिति बद से बदतर होने के बाद डोईवाला के रहने वाले एक व्यक्ति ने बस्ती में रहने वाले गरीब लोगों की आवाज उठाते हुए मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की है, जहां पर उनकी याचिका मंजूर कर ली गई है।


Body:वी/ओ-- सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने बताया कि समाचार के माध्यम से जानकारी मिली कि ऋषिकेश के चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झुग्गी झोपड़ियों को नगर निगम के द्वारा तोड़ दिया गया इसके बाद वह वहां रहने वाले लोगों के लिए किसी भी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई जबकि इस तरह की बस्ती को तोड़ने से पहले वहां के रहने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए उनके लिए रैन बसेरों में रहने व खाने के साथ-साथ चिकित्सा सुविधा मुहैया कराया जाता है लेकिन इस तरह की कोई भी सुविधा नहीं कराई गई जिसकी वजह से चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती में रहने वाली एक 5 वर्षीय मासूम बच्ची की जान चली गई साथ ही कई लोग बीमार हुए इसी को देखते हुए उन्होंने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है जिसमें उनकी शिकायत को मंजूरी मिल गई है जल्द ही इस पर कार्रवाई करते हुए संबंधित विभागों को नोटिस भी जारी किया जा सकता है।


Conclusion:वी/ओ-- शिकायतकर्ता अजय कुमार ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार सभी को रहने खाने और चिकित्सा की सुविधा मिलने का अधिकार है,वहीं अगर किसी भी तरह की झुग्गी झोपड़ियों को हटाया जाता है तो उनके लिए हर तरह की रहने खाने और स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया कराया जाता है हालांकि प्रशासन ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है यही कारण है कि उन्होंने मानवाधिकार में शिकायत की है आपको बता दें कि बीते 7 सितंबर को ऋषिकेश नगर निगम ने एनजीटी के आदेश अनुसार चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती को तोड़ा था। बाईट-- अजय कुमार (याचिकाकर्ता मानवाधिकार आयोग)
Last Updated : Sep 14, 2019, 7:36 PM IST
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