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पर्यावरण दिवस विशेष: रिहायशी इलाके के पास डंप हो रहा शहरभर का कूड़ा, दुर्गंध से हाल बेहाल

ISBT बाइपास स्थित डंपिंग जोन में हर दिन शहरभर का कूड़ा डंप किया जाता है. इस वजह से लोगों का घरों में रहना मुश्किल हो गया है. इस दुर्गंध की वजह से न तो वे कुछ खा पा रहे हैं और ना ही चैन से सो पा रहे हैं. लोगों ने कहा कि प्रदूषण के कारण उन्हें सांस संबंधी बीमारियां भी हो रही हैं.

आईएसबीटी बाइपास स्थित डंपिंग जोन
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Published : Jun 4, 2019, 10:15 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 12:49 PM IST

देहरादून: यदि हम आने वाली पीढ़ी के लिए अपने पर्यावरण को बचाए रखना चाहते हैं तो ये जरूरी है कि हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ भी रखें. लेकिन सूबे की राजधानी देहरादून के आईएसबीटी बाइपास रोड के किनारे ही नगर निगम प्रशासन की ओर से डंपिंग जोन बना दिया गया है. जिसकी वजह से इस इलाके की हवा कूड़े से निकलने वाली दुर्गंध की वजह से प्रदूषित होती जा रही है. स्थिति कुछ ऐसी है कि इस डंपिंग जोन के लगभग एक किलोमीटर के दायरे में स्थित आवासीय कॉलोनियों में रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो चुका है.

Etv भारत के कैमरे के सामने फूटा लोगों का दर्द

नगर निगम के इस डंपिंग जोन और आसपास के इलाकों का जायज़ा लेने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो हम भी यह सोचने को मजबूर हो गए कि आखिर इस दुर्गंध के बीच लोग जिंदगी कैसे बिता रहे हैं. इस दौरान जब हमने स्थानीय लोगों से बात की तो उनका कहना था कि इस डंपिंग जोन में हर दिन शहरभर का कूड़ा डंप किया जाता है. इस दुर्गंध की वजह से न तो वह कुछ खा पा रहे हैं और न ही चैन से सो पा रहे हैं. इसके साथ ही छोटे बच्चों में भी कई तरह की बीमारियां हो रही हैं.

इस बात की शिकायत कई बार नगर निगम प्रशासन से की जा चुकी है लेकिन 2 से 3 सालों का वक्त बीत चुका है और आज भी स्थिति जस की तस ही बनी हुई है.

पढ़ें- आखिर कब निर्मल होगी गंगा की धारा? पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा

वहीं, आईएसबीटी रोड पर बने नगर निगम के डंपिंग जोन के संबंध में जब हमने मुख्य नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय से बात की तो उनका कहना था कि जल्द ही इस डंपिंग जोन को पास के ही अलग स्थान में शिफ्ट किया जाएगा. इसके लिए राजधानी में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान का काम कर रही कंपनी को निर्देशित दिया गया है. इस नए डंपिंग जोन में खुले आसमान के नीचे कूड़ा डंप नहीं किया जाएगा.

गौरतलब है कि आईएसबीटी रोड के पास बने इस डंपिंग जोन की सिर्फ दुर्गंध ही एक बड़ी समस्या नहीं है बल्कि इस डंपिंग जोन के किनारे ही रिस्पना नदी भी बह रही हैं जो वर्तमान में एक नाले का रूप ले चुकी है. ऐसे में यह भी एक गंभीर सवाल है कि जिस रिस्पना नदी को सूबे की त्रिवेंद्र सरकार पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों की धनराशि खर्च कर रही है. आखिर इस स्थिति में यह कैसे संभव हो पायेगा.

वहीं, रिस्पना नदी के किनारे बसे इस डंपिंग जोन को लेकर प्रदेश के जाने-माने पर्यावरणविद् अनिल जोशी भी काफी गंभीर नजर आए. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि यदि समय रहते लोगों ने पर्यावरण को बचाने की पहल एकजुटता के साथ शुरू नहीं की तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर होती चली जाएगी. यदि हम अपना और अपनी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रखना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि शासन-प्रशासन के साथ ही स्थानीय निवासी भी पर्यावरण संरक्षण में अपना सहयोग देना शुरू करें.

देहरादून: यदि हम आने वाली पीढ़ी के लिए अपने पर्यावरण को बचाए रखना चाहते हैं तो ये जरूरी है कि हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ भी रखें. लेकिन सूबे की राजधानी देहरादून के आईएसबीटी बाइपास रोड के किनारे ही नगर निगम प्रशासन की ओर से डंपिंग जोन बना दिया गया है. जिसकी वजह से इस इलाके की हवा कूड़े से निकलने वाली दुर्गंध की वजह से प्रदूषित होती जा रही है. स्थिति कुछ ऐसी है कि इस डंपिंग जोन के लगभग एक किलोमीटर के दायरे में स्थित आवासीय कॉलोनियों में रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो चुका है.

Etv भारत के कैमरे के सामने फूटा लोगों का दर्द

नगर निगम के इस डंपिंग जोन और आसपास के इलाकों का जायज़ा लेने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो हम भी यह सोचने को मजबूर हो गए कि आखिर इस दुर्गंध के बीच लोग जिंदगी कैसे बिता रहे हैं. इस दौरान जब हमने स्थानीय लोगों से बात की तो उनका कहना था कि इस डंपिंग जोन में हर दिन शहरभर का कूड़ा डंप किया जाता है. इस दुर्गंध की वजह से न तो वह कुछ खा पा रहे हैं और न ही चैन से सो पा रहे हैं. इसके साथ ही छोटे बच्चों में भी कई तरह की बीमारियां हो रही हैं.

इस बात की शिकायत कई बार नगर निगम प्रशासन से की जा चुकी है लेकिन 2 से 3 सालों का वक्त बीत चुका है और आज भी स्थिति जस की तस ही बनी हुई है.

पढ़ें- आखिर कब निर्मल होगी गंगा की धारा? पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा

वहीं, आईएसबीटी रोड पर बने नगर निगम के डंपिंग जोन के संबंध में जब हमने मुख्य नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय से बात की तो उनका कहना था कि जल्द ही इस डंपिंग जोन को पास के ही अलग स्थान में शिफ्ट किया जाएगा. इसके लिए राजधानी में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान का काम कर रही कंपनी को निर्देशित दिया गया है. इस नए डंपिंग जोन में खुले आसमान के नीचे कूड़ा डंप नहीं किया जाएगा.

गौरतलब है कि आईएसबीटी रोड के पास बने इस डंपिंग जोन की सिर्फ दुर्गंध ही एक बड़ी समस्या नहीं है बल्कि इस डंपिंग जोन के किनारे ही रिस्पना नदी भी बह रही हैं जो वर्तमान में एक नाले का रूप ले चुकी है. ऐसे में यह भी एक गंभीर सवाल है कि जिस रिस्पना नदी को सूबे की त्रिवेंद्र सरकार पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों की धनराशि खर्च कर रही है. आखिर इस स्थिति में यह कैसे संभव हो पायेगा.

वहीं, रिस्पना नदी के किनारे बसे इस डंपिंग जोन को लेकर प्रदेश के जाने-माने पर्यावरणविद् अनिल जोशी भी काफी गंभीर नजर आए. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि यदि समय रहते लोगों ने पर्यावरण को बचाने की पहल एकजुटता के साथ शुरू नहीं की तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर होती चली जाएगी. यदि हम अपना और अपनी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रखना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि शासन-प्रशासन के साथ ही स्थानीय निवासी भी पर्यावरण संरक्षण में अपना सहयोग देना शुरू करें.

Intro:This is a special Story on पर्यावरण दिवस

Desk please star the story from opening PTC which is attached with the video .

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File name- Kude me zindagi

देहरादून- यदि हम आने वाली पीढ़ी के लिए अपने पर्यावरण को बचाएं रखना चाहते हैं तो ये जरूरी है कि हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ भी रखें । लेकिन सूबे की राजधानी देहरादून के आईएसबीटी बायपास रोड़ के किनारे ही नगर निगम प्रशासन की ओर से डंपिंग ज़ोन बना दिया गया है । जिसकी वजह से इस इलाके की हवा कूड़े से निकलने वाली दुर्गंध की वजह से प्रदूषित होती जा रही है । स्थिति कुछ यह है कि इस डंपिंग जोन के लगभग एक किलोमीटर के दायरे में स्थित आवासीय कॉलोनियों में रहने वाले लोगो का जीना दूभर हो चुका है ।

नगर निगम के इस डंपिंग जोन और आसपास के इलाकों का जायज़ा लेने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो हम भी यह सोचने को मजबूर हो गए कि आखिर इस दुर्गंध के बीच लोग जिंदगी कैसे बिता रहे हैं।

नगर निगम के इस डंपिंग जोन और आसपास के इलाकों का जायज़ा लेने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो हम भी यह सोचने को मजबूर हो गए कि आखिर इस दुर्गंध के बीच लोग जी कैसे रहे हैं। इस दौरान जब हमने यहां के स्थानीय निवासियों से बात की तो उनका कहना था कि इस डंपिंग जोन में हर दिन शहर भर का कूड़ा डंप किया जाता है । जिसकी वजह से उनका अपने घरों में रहना दूभर हो चुका है। वहीं इस दुर्गंध की वजह से न तो वह कुछ खा पा रहे हैं न ही चेन से सो पा रहे हैं । इसके साथ ही छोटे बच्चों में भी कई तरह की बीमारियां हो रही हैं।

इस दौरान जब हमने यहां के स्थानीय निवासियों से बात की तो उनका कहना था कि इस डंपिंग जोन में हर दिन शहर भर का कूड़ा डंप किया जाता है । जिसकी वजह से उनका अपने घरों में रहना दूभर हो चुका है। वहीं इस दुर्गंध की वजह से न तो वह कुछ खा पा रहे हैं न ही चेन से सो पा रहे हैं । इसके साथ ही छोटे बच्चों में भी कई तरह की बीमारियां हो रही हैं।

बाइट- स्थानीय निवासी

स्थानीय निवासी बताते हैं कि उन्होंने कई बार नगर निगम प्रशासन को इस डंपिंग जोन को कहीं ओर शिफ्ट करने को लेकर शिकायत भी की है । लेकिन 2 से 3 सालों का वक्त बीत चुका है और आज भी स्थिति जस की तस ही बनी हुई है।

बाइट- स्थानीय निवासी





Body:वही आईएसबीटी रोड पर बने नगर निगम के डंपिंग जोन के संबंध में जब हमने मुख्य नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय से बात की तो उनका कहना था कि जल्द ही इस डंपिंग जोन को पास के ही अलग स्थान में शिफ्ट किया जाएगा इसके लिए राजधानी में डोर टू डोर कूड़ा उठान का काम कर रही कंपनी को निर्देशित दिया गया है । इस नए डंपिंग जोन मैं खुले आसमान के नीचे कूड़ा डंप नहीं किया जाएगा । जिससे आसपास के इलाकों में कूड़े से फैलने वाली दुर्गंध की समस्या से निजात मिल पाएगी।

बाइट- विनय शंकर पांडेय मुख्य नगर आयुक्त

गौरतलब है कि आईएसबीटी रोड के पास बने इस डंपिंग जोन की सिर्फ दुर्गंधी ही एक बड़ी समस्या नहीं है । बता दें कि इस डंपिंग जोन के किनारे ही रिस्पना नदी भी बह रही हैं जो वर्तमान में एक नाले का रूप ले चुकी है ऐसे में यह भी एक गंभीर सवाल है कि जिस रिस्पना नदी को सूबे की त्रिवेंद्र सरकार पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ो की धनराशि खर्च कर रही है। आखिर इस स्थिति में यह कैसे संभव हो पायेगा ।




Conclusion:वहीं राजधानी की रिस्पना नदी के किनारे बसे इस डंपिंग जोन को लेकर प्रदेश के जाने-माने पर्यावरणविद् अनिल जोशी भी काफी गंभीर नजर आए । ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहाना कि यदि समय रहते लोगों ने पर्यावरण को बचाने की पहल एकजुटता के साथ शुरू नहीं की तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर होती चली जाएगी । यदि हम अपना और अपनी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रखना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि शासन-प्रशासन के साथ ही स्थानीय निवासी भी पर्यावरण संरक्षण में अपना सहयोग देना शुरू करें ।

बाइट- अनिल जोशी पर्यावरणविद
Last Updated : Jun 5, 2019, 12:49 PM IST
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