देहरादून: कोरोना महामारी के चलते जारी संपूर्ण लॉकडाउन को आज प्रदेश में 1 महीने का वक्त पूरा हो चुका है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश भर में लॉकडाउन आगामी 3 मई तक जारी है. ऐसे में लॉकडाउन के बीच जहां आम जनता को एक तरफ आर्थिक संकट और खाद्य सामग्री की कमी से जूझना पड़ रहा है तो, दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जो लॉकडाउन की इस अवधि में कोर्ट बंद होने की वजह से खासे परेशान हैं.
ऐसे लोग जिन्हें लॉकडाउन के दौरान कानूनी सलाह की जरूरत है. ऐसे लोगों की मदद के लिए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) और सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नेहा कुशवाहा की अध्यक्षता में पैनल लॉयर्स की एक खास टीम बनाई गई है. जिसमें दो पुरुष अधिवक्ता और 2 महिला अधिवक्ता शामिल हैं. ऐसे में यदि आपको भी लॉकडाउन के दौरान किसी भी तरह की कानूनी सलाह की जरूरत है तो आप इन अधिवक्ताओं से फोन पर संपर्क कर कानूनी सलाह ले सकते हैं.
पैनल लॉयर के मोबाइल नंबर
महिला अधिवक्ता
-लता राणा-98974 44742
-मंजू सकलानी-94113 11929
पुरुष अधिवक्ता
-आशुतोष गुलाटी -9897 870644
-दीपक थपलियाल-8077012577
ईटीवी भारत से खास बातचीत में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) और सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नेहा कुशवाहा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को तरह-तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. विशेषकर, अगर बात महिलाओं और बच्चों की करें तो लॉकडाउन की इस अवधि में आज भी कई महिलाएं और बच्चे घरेलू हिंसा और शोषण का शिकार हो रहे हैं.
ऐसी स्थिति में यदि कोई जरूरतमंद उनकी लीगल टीम से संपर्क साधता है तो उसे तुरंत फोन पर कानूनी सलाह दी जा रही है. साथ ही साथ जरूरत पड़ने पर फोन पर काउंसलिंग कर मामले को सुलझाने का प्रयास भी किया जा रहा है.
लॉकडाउन के दौरान जेल में बंद कैदियों के विषय में जानकारी देते हुए सिविल जज ( सीनियर डिवीजन ) नेहा कुशवाहा ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेशों के तहत गठित हाई पावर कमेटी ने ऐसे सभी कैदी जिनकी सजा 7 साल की अवधि से कम थी, उन्हें इंटिरिम बैल या पैरोल पर छोड़ दिया है.
ऐसे कैदियों की संख्या लगभग 100 से अधिक है. लेकिन इनमें भी कई बाहरी राज्यों के कैदी ऐसे हैं जो लॉकडाउन के चलते अपनी पैतृक भूमि का रुख न कर पाने के स्थिति में जेल में बंद हैं.
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ईटीवी भारत से खास बातचीत में नेहा कुशवाहा ने आम जनता से अपील की कि लॉकडाउन की इस घड़ी में हर कोई आगे आकर जरूरतमंदों की मदद करें. इसके साथ ही जहां तक संभव हो लोगों को बेजुबान जानवरो की मदद के लिए भी आगे आना चाहिए, क्योंकि लॉकडाउन में सिर्फ मनुष्य ही नहीं आवारा जानवर भी खाने-पीने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.