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कोरोना के डर से दून अस्पताल में नहीं पहुंच रहे रक्तदाता

गांधी नेत्र चिकित्सालय और कोरोनेशन हॉस्पिटल के लिए भी दून हॉस्पिटल के ब्लड बैंक से रक्त जाता है. अभी तक यहां सिर्फ 9 से 10 यूनिट होती रक्त है, जबकि कोरोना के पहले औसतन 300 यूनिट तक ब्लड होता था.

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Published : Oct 23, 2020, 8:42 PM IST

देहरादून: कोरोना के कारण लोग दून हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में रक्तदान करने से डर रहे हैं. शुरू में दून हॉस्पिटल को कोविड-19 हॉस्पिटल बनाया गया था. उसके बाद से ही लोग रक्तदान करने के हिचक रहे है. हालांकि, दून मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक की तरफ से समय-समय पर लोगों से रक्तदान करने की अपील की जाती है.

ऐसे में अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को दून हॉस्पिटल में रक्त नहीं मिल पा रहा है. दून अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी की मानें तो इमरजेंसी के लिए दून हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में हमेशा रक्त उपलब्ध रहता था. इतना ही नहीं गांधी नेत्र चिकित्सालय और कोरोनेशन हॉस्पिटल के लिए यहीं से ब्लड भेजा जाता था, लेकिन कोरोना काल के दौरान लोगों ने न के बारबार रक्तदान किया है. यही कारण है कि दून मेडिकल कॉलेज में इस समय महज नौ यूनिट रक्त मौजूद है, जबकि सामान्य दिनों में अस्पताल आमतौर पर 300 यूनिट तक ब्लड उपलब्ध रहता है.

पढ़ें- सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में पोस्ट कोविड-19 ओपीडी होगी शुरू

ऐसे में दून अस्पताल प्रबंधन ने लोगों से रक्तदान की अपील की है, ताकि उनके रक्त में किसी का जीवन बजाया जा सकें. यदि किसी व्यक्ति को रक्तदान किए हुए 90 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका है तो वो दोबारा से रक्तदान कर सकता है.

दून अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र भंडारी के अनुसार लोगों के अंदर यह भय है कि अगर वे अस्पताल की रुख करेंगे तो उन्हें कोरोना संक्रमण हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होगा. क्योंकि ब्लड बैंक में खून लेने के लिए सभी तरह की सावधानियां बरती जाती है.

बता दें कि रक्तदान में केवल एक यूनिट रक्त ही लिया जाता है, जबकि एक औसत व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानी 5 से 6 लीटर रक्त होता है. ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्तदाता को इसमें कोई खास मुश्किल नहीं होती. 18 से 60 वर्ष की आयु का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है.

देहरादून: कोरोना के कारण लोग दून हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में रक्तदान करने से डर रहे हैं. शुरू में दून हॉस्पिटल को कोविड-19 हॉस्पिटल बनाया गया था. उसके बाद से ही लोग रक्तदान करने के हिचक रहे है. हालांकि, दून मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक की तरफ से समय-समय पर लोगों से रक्तदान करने की अपील की जाती है.

ऐसे में अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को दून हॉस्पिटल में रक्त नहीं मिल पा रहा है. दून अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी की मानें तो इमरजेंसी के लिए दून हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में हमेशा रक्त उपलब्ध रहता था. इतना ही नहीं गांधी नेत्र चिकित्सालय और कोरोनेशन हॉस्पिटल के लिए यहीं से ब्लड भेजा जाता था, लेकिन कोरोना काल के दौरान लोगों ने न के बारबार रक्तदान किया है. यही कारण है कि दून मेडिकल कॉलेज में इस समय महज नौ यूनिट रक्त मौजूद है, जबकि सामान्य दिनों में अस्पताल आमतौर पर 300 यूनिट तक ब्लड उपलब्ध रहता है.

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ऐसे में दून अस्पताल प्रबंधन ने लोगों से रक्तदान की अपील की है, ताकि उनके रक्त में किसी का जीवन बजाया जा सकें. यदि किसी व्यक्ति को रक्तदान किए हुए 90 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका है तो वो दोबारा से रक्तदान कर सकता है.

दून अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र भंडारी के अनुसार लोगों के अंदर यह भय है कि अगर वे अस्पताल की रुख करेंगे तो उन्हें कोरोना संक्रमण हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होगा. क्योंकि ब्लड बैंक में खून लेने के लिए सभी तरह की सावधानियां बरती जाती है.

बता दें कि रक्तदान में केवल एक यूनिट रक्त ही लिया जाता है, जबकि एक औसत व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानी 5 से 6 लीटर रक्त होता है. ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्तदाता को इसमें कोई खास मुश्किल नहीं होती. 18 से 60 वर्ष की आयु का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है.

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